
- डॉ. राजेश्वर सिंह ने ‘माइंड मैराथन क्विज’ की शुरुआत कर युवाओं को UPSC-UPPSC जैसी परीक्षाओं के लिए प्रेरित करने का बीड़ा उठाया।
- प्रतियोगिता केवल रटने की नहीं, सोचने, विश्लेषण करने और रणनीतिक समझ को विकसित करने पर केंद्रित है।
- भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली की चुनौतियों को संबोधित करते हुए, यह पहल 21वीं सदी की स्किल्स जैसे critical thinking और decision making पर जोर देती है।
- क्विज़ प्रतियोगिता का विस्तार 50 वार्डों और गाँवों तक किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के युवाओं को मिलेगा लाभ।
- विजेताओं को लैपटॉप पुरस्कार स्वरूप भेंट कर उनके आत्मविश्वास और तैयारी को मिली नई ऊर्जा।

लखनऊ: सरोजनीनगर विधानसभा क्षेत्र के विधायक और पूर्व आईएएस अधिकारी डॉ. राजेश्वर सिंह ने युवाओं को सिविल सेवाओं के लिए प्रेरित करने तथा उनमें विश्लेषणात्मक और रचनात्मक सोच विकसित करने के उद्देश्य से बुधवार को एक नवाचारी पहल ‘माइंड मैराथन क्विज’ की शुरुआत की। यह आयोजन वृंदावन योजना स्थित एल्डिको सौभाग्यम परिसर में आयोजित किया गया, जिसमें सैकड़ों युवाओं ने भाग लिया।
प्रतियोगिता का उद्देश्य: केवल रटना नहीं, सोच को दिशा देना

विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने बताया कि यह क्विज़ प्रतियोगिता केवल एक सामान्य ज्ञान या रटने की परीक्षा नहीं है, बल्कि यह युवाओं की मौलिक सोच, मानसिक सहनशक्ति और रणनीतिक विश्लेषण को विकसित करने का एक सशक्त मंच है। उन्होंने कहा, “AI स्मृति आधारित काम कर सकता है, लेकिन सोचने वाला मस्तिष्क ही भविष्य गढ़ेगा।”
देश की चुनौतियों पर प्रस्तुत किये चौंकाने वाले आंकड़े
डॉ. सिंह ने भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली और युवाओं की मानसिक तैयारी को लेकर कई महत्वपूर्ण आंकड़े प्रस्तुत किए:
- भारत की 65% आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है, लेकिन ASER रिपोर्ट के अनुसार केवल 21% युवा व्यावहारिक ज्ञान से लैस हैं।
- PISA 2023 रिपोर्ट के अनुसार भारत, 81 देशों में ग्लोबल प्रॉब्लम-सॉल्विंग रैंकिंग में 72वें स्थान पर है।
- UNESCO की रिपोर्ट के अनुसार 56% भारतीय युवा Critical Thinking और Problem Solving जैसी आवश्यक स्किल्स में कमजोर हैं।
- राष्ट्रीय रोजगार योग्यता रिपोर्ट 2024 के अनुसार, सिर्फ 46% ग्रेजुएट्स ही रोजगार योग्य हैं।
डॉ. सिंह ने कहा, “समस्या प्रतिभा की नहीं, सोच पर आधारित शिक्षा की कमी की है। माइंड मैराथन इस अंतर को पाटने का प्रयास है।“
सोच की चार प्रमुख चुनौतियाँ

डॉ. सिंह ने युवाओं में देखी जाने वाली चार प्रमुख मानसिक समस्याओं की भी पहचान की:
- इनफॉर्मेशन ओवरलोड लेकिन इनसाइट की कमी — युवा 6–8 घंटे स्क्रीन पर बिताते हैं, लेकिन आत्म-चालित अध्ययन मुश्किल से 30 मिनट।
- अटेंशन स्पैन में गिरावट — माइक्रोसॉफ्ट की स्टडी के अनुसार, 2000 में औसत अटेंशन स्पैन 12 सेकंड था जो 2023 में घटकर 8 सेकंड रह गया।
- पढ़ने की आदत में गिरावट — 25% युवा साल में एक भी किताब नहीं पढ़ते।
- करियर चयन में स्वतंत्रता की कमी — 74% युवा माता-पिता या समाज के दबाव में करियर का चयन करते हैं।
NCERT और पूर्व वर्षों के प्रश्नपत्रों पर आधारित होगा क्विज़: डॉ. राजेश्वर सिंह ने युवाओं को सलाह दी कि वे NCERT की पुस्तकों को आधार बनाकर तैयारी करें और दसवीं कक्षा के बाद से ही UPSC व UPPSC जैसी परीक्षाओं के प्रति गंभीर हो जाएं। क्विज़ प्रतियोगिता को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि इसमें पूर्व वर्षों के प्रश्न, करंट अफेयर्स और एनसीईआरटी आधारित तथ्यों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
सरोजनीनगर से 1,000 अफसरों का लक्ष्य: विधायक डॉ. सिंह का विजन है कि सरोजनीनगर विधानसभा से 1,000 युवा यूपीएससी, यूपीपीएससी और अन्य उच्चस्तरीय सेवाओं में चयनित होकर देश की दिशा और दशा बदलें। उन्होंने बताया कि इस प्रतियोगिता को RWA क्षेत्रों से आगे बढ़ाकर अब इसे 50 वार्डों और गाँवों तक ले जाया जाएगा, ताकि हर वर्ग के युवाओं को समान अवसर मिल सके।
विजेताओं को मिला लैपटॉप पुरस्कार

कार्यक्रम के अंत में ‘माइंड मैराथन क्विज’ में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विजेताओं को लैपटॉप देकर सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार न केवल उनकी मेहनत का सम्मान है, बल्कि उनके आगामी अध्ययन और तैयारी के लिए संसाधन भी प्रदान करता है।
डॉ. सिंह ने दिया युवाओं को संदेश
डॉ. राजेश्वर सिंह ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा, “नेता वही होता है जो सोच को दिशा दे। माइंड मैराथन प्रतियोगिता युवाओं को केवल प्रतियोगी परीक्षाओं में नहीं, जीवन के हर मोर्चे पर विजेता बनाएगी।