
- भारत में पहली बार बिजली का आगमन 1879 में कोलकाता (तब के कलकत्ता) में हुआ था, जहां बिजली की रोशनी का प्रदर्शन किया गया।
- पी. डब्ल्यू. फ़्लेरी एंड कंपनी ने 24 जुलाई 1879 को कोलकाता में पहला विद्युत बल्ब प्रदर्शन आयोजित किया।
- इस ऐतिहासिक घटना से पहले भारत में आधुनिक विद्युत सुविधाओं की कोई व्यवस्था नहीं थी।
- बंगाल सरकार ने 1895 में कलकत्ता इलेक्ट्रिक लाइटिंग एक्ट पारित किया जिससे शहर में बिजली आपूर्ति का औपचारिक लाइसेंस दिया गया।
- मुंबई में बिजली की व्यवस्था थोड़ी बाद में हुई, जबकि कलकत्ता ने भारत में बिजली के आगमन की नींव रखी।

लखनऊ/नई दिल्ली: भारत में बिजली के आगमन ने आधुनिकता और तकनीकी प्रगति की दिशा में पहला बड़ा कदम उठाया। यह भारत के सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि कैसे और कब भारत में बिजली का आरंभ हुआ और यह कैसे विभिन्न क्षेत्रों में फैलता गया।
1. कोलकाता में बिजली की शुरुआत
24 जुलाई 1879 को, पी. डब्ल्यू. फ्लेरी एंड कंपनी ने कोलकाता (तब का कलकत्ता) में पहली बार बिजली से जलने वाली लाइट का प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शनी भारत के आधुनिक विद्युत युग की नींव साबित हुई। इसके कुछ समय बाद, 30 जून 1881 को, मैकिनन एंड मैकेंजी कंपनी की गार्डन रीच कॉटन मिल्स में 36 बिजली के बल्बों से मिल को रोशन किया गया, जिससे उद्योगों में बिजली के उपयोग का विस्तार हुआ।
2. कानूनी संरचना और विकास
भारत में बिजली के विस्तार को कानूनी आधार देने के लिए 1895 में ब्रिटिश भारत सरकार ने कलकत्ता इलेक्ट्रिक लाइटिंग एक्ट पारित किया। इससे बिजली आपूर्ति और उपयोग को औपचारिक रूप से मान्यता मिली। इसके बाद, 17 अप्रैल 1899 को, कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CESC) ने प्रिंसेप घाट के पास पहला थर्मल पावर प्लांट शुरू किया। यह कदम कोलकाता में बिजली आपूर्ति की विश्वसनीयता को मजबूत बनाने में सहायक रहा।
3. अन्य शहरों में विस्तार
कोलकाता के बाद, बिजली का विस्तार भारत के अन्य प्रमुख शहरों में भी हुआ। 1882 में मुंबई (तत्कालीन बंबई) में पहली बार बिजली पहुंचाई गई। इसके साथ ही बैंगलोर में 5 अगस्त 1905 को एशिया की पहली इलेक्ट्रिक स्ट्रीट लाइट जलाई गई। इससे भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता बढ़ी और बिजली ने आम जीवन में प्रवेश किया।
4. पनबिजली परियोजनाएं और देशभर में विकास
भारत में पहला पनबिजली संयंत्र 1897 में सिद्रपोंग (दार्जिलिंग) में स्थापित किया गया था। यह एशिया का पहला पनबिजली संयंत्र था जिसकी उत्पादन क्षमता 130 किलोवाट थी। इसी प्रकार, राजस्थान के डूंगरपुर में भी 1897 में बिजली का आगमन हुआ। उत्तर प्रदेश के कानपुर में पहली बार 1906 में बिजली उपलब्ध हुई, जिससे इस राज्य में भी विद्युत सेवा का विस्तार हुआ।
5. आधुनिक युग और परमाणु ऊर्जा
भारत में परमाणु ऊर्जा उत्पादन की शुरुआत 1969 में हुई जब महाराष्ट्र में पहला परमाणु विद्युत संयंत्र स्थापित किया गया। इसने भारत के ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत की। आज, भारत विभिन्न ऊर्जा स्रोतों से विद्युत उत्पादन करने की क्षमता रखता है, जैसे पनबिजली, थर्मल, और परमाणु ऊर्जा।
भारत में बिजली का आगमन और उसका विकास एक दीर्घकालिक प्रक्रिया रही है। कोलकाता में बिजली की शुरुआत से लेकर पूरे देश में इसके विस्तार तक, यह यात्रा तकनीकी प्रयासों और उपलब्धियों से भरी रही है। बिजली के आगमन ने न केवल उद्योगों और घरों में उजाला किया, बल्कि यह भारत की अर्थव्यवस्था के विकास और समाज में सामाजिक बदलावों का आधार भी बना।