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“भारत में तिब्बती नागरिक की साइबर क्राइम में बड़ी गिरफ्तारी, फर्जी दस्तावेज और पासपोर्ट जब्त”

तिब्बती नागरिक द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए साइबर क्राइम में संलिप्तता

TRUENEWSUP

नई दिल्ली: छीन्जों थारचिंन की गिरफ्तारी ने साइबर क्राइम की जटिलता और इसके अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क की गंभीरता को उजागर किया है। अभियुक्त की पृष्ठभूमि और उसके द्वारा किए गए अपराधों से यह स्पष्ट होता है कि कैसे अंतर्राष्ट्रीय अपराधी फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से भारतीय नागरिकता प्राप्त करके अपने आपराधिक मंसूबों को अंजाम देते हैं।

अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम नेटवर्क का पर्दाफाश: छीन्जों थारचिंन उर्फ चंद्रा ठाकुर का नेटवर्क केवल भारत तक सीमित नहीं था, बल्कि इसके तार नेपाल, श्रीलंका, और चीन तक फैले हुए थे। पूछताछ में यह सामने आया कि अभियुक्त नेपाल और श्रीलंका में स्थित चीनी अपराधियों के संपर्क में था, जिनके माध्यम से वह भारतीय बैंक खाते विदेशी नागरिकों को उपलब्ध कराता था। इन खातों का उपयोग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर साइबर क्राइम के लिए किया जाता था। अभियुक्त ने बताया कि वह नकद पैसों के बदले भारतीय नागरिकों से बैंक खाते खरीदता था और उन्हें चीनी अपराधियों को बेचता था।

फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय नागरिकता की प्राप्ति

अभियुक्त ने फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से भारतीय नागरिकता प्राप्त की और ‘चंद्रा ठाकुर’ के नाम से पासपोर्ट हासिल किया। इसके बाद, उसने कई देशों की यात्रा की और विभिन्न साइबर क्राइम गतिविधियों में लिप्त रहा। 2023 में पासपोर्ट की वैधता समाप्त होने पर उसने पुनः फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट बनवा लिया। एसटीएफ की जांच में यह भी सामने आया कि उसके पास 26 से अधिक भारतीय बैंक खातों की जानकारी थी, जिनका उपयोग साइबर अपराधों के लिए किया गया।

एसटीएफ की कड़ी मेहनत और जांच

एसटीएफ उत्तर प्रदेश की टीम ने निरीक्षक सचिन कुमार के नेतृत्व में अभियुक्त को पकड़ने के लिए कड़ी मेहनत की। टीम ने अभियुक्त के नेटवर्क को ट्रैक किया और उसे गौतमबुद्धनगर स्थित एसटीएफ कार्यालय में पूछताछ के लिए लाया। पूछताछ के दौरान, अभियुक्त ने अपने अपराधों को कबूल किया और अपने नेटवर्क की जानकारी साझा की।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग और आगे की कार्यवाही

एसटीएफ ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से अभियुक्त के खिलाफ सबूत जुटाए हैं और अब आगे की विधिक कार्यवाही की जा रही है। स्थानीय पुलिस भी इस मामले की गहन जांच कर रही है और उन सभी भारतीय नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, जिन्होंने अपने बैंक खातों को साइबर अपराधियों को बेचा था।

जनता के लिए एसटीएफ की चेतावनी

एसटीएफ उत्तर प्रदेश ने जनता को आगाह किया है कि वे अपने व्यक्तिगत दस्तावेजों और बैंक खातों की जानकारी को सुरक्षित रखें और किसी अज्ञात व्यक्ति के साथ साझा न करें। साइबर क्राइम की रोकथाम के लिए एसटीएफ ने जनता से अपील की है कि वे संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी तुरंत स्थानीय पुलिस या एसटीएफ को दें।

एसटीएफ की आगामी रणनीति

एसटीएफ अब इस मामले की तह तक जाने के लिए प्रतिबद्ध है और अन्य संबंधित अपराधियों को पकड़ने के लिए भी कार्यवाही तेज कर दी गई है। एसटीएफ का लक्ष्य है कि इस तरह के अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम नेटवर्क को खत्म किया जाए और भविष्य में इस प्रकार के अपराधों को रोका जा सके।

साइबर क्राइम की रोकथाम और सुरक्षा के उपाय

साइबर क्राइम से बचने के लिए एसटीएफ ने कुछ सुरक्षा उपाय सुझाए हैं, जैसे कि अपने डिजिटल लेन-देन के लिए सुरक्षित पासवर्ड का उपयोग करना, अपने व्यक्तिगत जानकारी को अज्ञात वेबसाइट्स पर साझा न करना, और किसी भी संदिग्ध ईमेल या संदेशों से सतर्क रहना। साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक रहना और उचित कदम उठाना साइबर क्राइम के खिलाफ सबसे बड़ा बचाव है। छीन्जों थारचिंन की गिरफ्तारी से एसटीएफ उत्तर प्रदेश ने एक बड़ा संदेश दिया है कि कोई भी अपराधी कानून से बच नहीं सकता। साइबर क्राइम के खिलाफ यह एक बड़ी जीत है और एसटीएफ आगे भी इसी प्रतिबद्धता और समर्पण के साथ कार्य करती रहेगी। जनता की सुरक्षा और कानून का पालन सुनिश्चित करना एसटीएफ की प्राथमिकता है और वह इसके लिए हर संभव प्रयास करेगी।

इस प्रकार, एसटीएफ की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि साइबर क्राइम के खिलाफ हमारी सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क और सक्रिय हैं। इस तरह की कार्रवाई साइबर अपराधियों के लिए एक कड़ा संदेश है कि उनके अपराध का कोई स्थान नहीं है।

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