HomeLucknowभारत के भविष्य की दृष्टि से अवैध आप्रवासियों पर सख़्ती की ज़रूरत:...

भारत के भविष्य की दृष्टि से अवैध आप्रवासियों पर सख़्ती की ज़रूरत: डॉ. राजेश्वर सिंह ने कहा- अन्य देशों की तरह भारत भी उठाए निर्णायक कदम, यूपी में बने विशेष टास्क-फ़ोर्स

भारत आज विश्व की सबसे तेज़ी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इसकी लोकतांत्रिक प्रणाली, तकनीकी उपलब्धियां और वैश्विक नेतृत्व की क्षमता लगातार दुनिया का ध्यान खींच रही है। लेकिन इस विकास यात्रा के समानांतर एक ऐसा संकट भी है जो चुपचाप देश की आंतरिक शांति और सुरक्षा को कमजोर कर रहा है—अवैध आप्रवासन। सरोजनीनगर से भाजपा विधायक और वरिष्ठ नेता डॉ. राजेश्वर सिंह ने इस चुनौती को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यदि भारत को आने वाले दशक में वैश्विक महाशक्ति बनना है, तो उसे अपनी सीमाओं और आंतरिक सुरक्षा को और मज़बूत करना होगा।

ब्रिटेन-जर्मनी-पोलैंड का उदाहरण

डॉ. राजेश्वर सिंह ने अपने संदेश में यूरोप का हवाला देते हुए कहा कि ब्रिटेन, जर्मनी और पोलैंड ने अवैध आप्रवासियों से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहद कठोर कदम उठाए। ब्रिटेन ने हाल ही में Illegal Migration Bill पारित कर यह सुनिश्चित किया कि अवैध तरीके से आने वाले प्रवासियों को तुरंत वापस भेजा जा सके। इसी तरह जर्मनी ने अपने शरणार्थी शिविरों की निगरानी को और मज़बूत किया तथा अवैध रूप से रहने वालों के अपराधों पर Zero Tolerace Policy लागू की। पोलैंड ने भी सीमा सुरक्षा पर भारी निवेश करते हुए बेलारूस से हो रही घुसपैठ को सख़्ती से रोका।
इन उदाहरणों से यह साफ़ होता है कि जब राष्ट्र अपनी सुरक्षा और जनसांख्यिकीय संतुलन की रक्षा के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाते हैं, तब ही वे स्थिर और सुरक्षित रह पाते हैं। भारत के सामने चुनौती कहीं बड़ी है, क्योंकि यहां संख्या भी अधिक है और भौगोलिक क्षेत्र भी विशाल।

भारत में अवैध बांग्लादेशियों का संकट

भारत में अवैध बांग्लादेशियों की मौजूदगी का मुद्दा नया नहीं है, लेकिन समय के साथ यह और गंभीर होता जा रहा है। ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक देश में करीब 1 से 2 करोड़ अवैध बांग्लादेशी रह रहे हैं। वर्ष 2024–25 में दिल्ली से ही 2,100 से अधिक बांग्लादेशी नागरिकों को निर्वासित किया गया, वहीं असम में मई 2025 से अब तक 303 अवैध नागरिकों को वापस भेजा गया है।
यह समस्या केवल संख्याओं तक सीमित नहीं है। ये लोग भारत में प्रवेश करने के बाद फर्जी आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी बनवा लेते हैं और स्थानीय आबादी में घुलमिल जाते हैं। धीरे-धीरे यह न केवल संसाधनों पर बोझ डालते हैं बल्कि स्थानीय लोगों के रोज़गार और शिक्षा के अवसर भी छीन लेते हैं। सबसे बड़ी चिंता यह है कि सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्टों में कई बार यह सामने आया है कि अवैध बांग्लादेशी आपराधिक गतिविधियों और आतंकी मॉड्यूल में भी शामिल पाए गए हैं।

जनसांख्यिकीय असंतुलन का ख़तरा

भारत की सबसे बड़ी शक्ति उसकी युवा आबादी है। लेकिन जब यह आबादी बाहरी दबावों और अवैध प्रवासियों से प्रभावित होती है, तो यही ताक़त कमजोरी में बदल सकती है। उत्तर प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल और दिल्ली जैसे राज्यों में अवैध बांग्लादेशियों की बढ़ती संख्या स्थानीय आबादी के जनसांख्यिकीय स्वरूप को बदल रही है। इसका सीधा असर रोज़गार के अवसरों पर पड़ता है और सामाजिक तनाव भी बढ़ता है।
डॉ. राजेश्वर सिंह का कहना है कि यह केवल आर्थिक बोझ का मामला नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी गंभीर चुनौती है। उन्होंने चेतावनी दी कि “जनसांख्यिकीय असंतुलन से बड़ा कोई ख़तरा नहीं है।”

डॉ. राजेश्वर सिंह की मांग

इस संकट के समाधान के लिए डॉ. सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सीधी अपील की है। उन्होंने कहा है कि उत्तर प्रदेश में एक विशेष टास्क-फ़ोर्स का गठन होना चाहिए, जो अवैध बांग्लादेशियों की पहचान करे, उन्हें गिरफ्तार करे और निर्वासन की प्रक्रिया को तेज़ी से पूरा करे। इसके साथ ही उन लोगों पर भी कठोर कार्रवाई की जाए जो अवैध प्रवासियों को काम पर रखते हैं। फर्जी दस्तावेज़ बनाने वाले गिरोहों पर शिकंजा कसना और उनके संरक्षकों को पकड़ना भी उतना ही आवश्यक है। डॉ. सिंह का मानना है कि यदि अभी निर्णायक कदम नहीं उठाए गए तो यह समस्या आने वाले वर्षों में और गहरी हो जाएगी और प्रदेश के सामाजिक तथा आर्थिक ढांचे को कमजोर कर देगी।

भारत का उज्ज्वल भविष्य: विकास और सुरक्षा दोनों ज़रूरी

डॉ. सिंह ने अवैध आप्रवासन के मुद्दे पर सख़्त कार्रवाई की मांग करते हुए भारत के उज्ज्वल भविष्य की तस्वीर भी सामने रखी। उनका कहना है कि भारत आज निराशा नहीं बल्कि उपलब्धियों की ओर बढ़ रहा है। 2035 तक भारत का लक्ष्य 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का है, जिससे यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा।
भारत नवाचार का केंद्र बन रहा है, जहाँ 1.25 लाख से अधिक स्टार्टअप्स कार्यरत हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), डीप टेक, इलेक्ट्रिक वाहन, स्पेस टेक और बायोटेक जैसे क्षेत्रों में भारत अग्रणी बनता जा रहा है। शिक्षा और कौशल के क्षेत्र में भी भारत की ताक़त लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में 4.3 करोड़ छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और 2040 तक भारत दुनिया को 25% प्रशिक्षित कार्यबल देने वाला सबसे बड़ा राष्ट्र होगा।

ऊर्जा के क्षेत्र में भारत ने 2030 तक 500 गीगावॉट स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य तय किया है, जिससे यह ग्रीन सुपरपावर बनेगा। वहीं, अंतरिक्ष और रक्षा के क्षेत्र में चंद्रयान-3, गगनयान, तेजस और ब्रह्मोस जैसी परियोजनाएँ भारत को शीर्ष 3 अंतरिक्ष शक्तियों और बड़े रक्षा निर्यातकों की श्रेणी में शामिल करेंगी।

संतुलन ही सुरक्षा की गारंटी

डॉ. राजेश्वर सिंह का मानना है कि भारत का भविष्य तभी सुरक्षित होगा जब आर्थिक विकास और सामाजिक शांति साथ-साथ आगे बढ़ें। सीमाओं की सुरक्षा, जनसंख्या का संतुलन और संसाधनों का न्यायसंगत वितरण ही भारत को स्थायी प्रगति की ओर ले जा सकता है। उन्होंने कहा- “भारत का भविष्य युवा है, हरित है, डिजिटल है और अजेय है।”

भारत आज एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। एक ओर यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, दूसरी ओर अवैध आप्रवासन जैसी गंभीर चुनौती उसके सामने है। डॉ. राजेश्वर सिंह की यह मांग केवल राजनीतिक बयान नहीं है, बल्कि यह एक नीति सुझाव है जिसे लागू करना भारत की सुरक्षा, सामाजिक संतुलन और समृद्धि के लिए अनिवार्य है। अगर समय रहते ठोस कदम उठाए गए तो भारत न केवल एक मजबूत राष्ट्र बनेगा बल्कि अपने उज्ज्वल भविष्य की ओर भी आत्मविश्वास के साथ बढ़ेगा।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments