
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के हरदोई में सड़क निर्माण घोटाले का खुलासा होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ी कार्रवाई करते हुए लोक निर्माण विभाग (PWD) के 16 अभियंताओं को सस्पेंड कर दिया है। इस कदम से पूरे विभाग में हड़कंप मच गया है। मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर कहा है कि जहां भी जांच में दोषी अभियंता पाए जाएंगे, उनके खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई होगी।
घोटाले का पर्दाफाश: लैब टेस्ट में चार सड़कों के नमूने फेल
हरदोई में चार नवनिर्मित सड़कों की गुणवत्ता को लेकर संदेह व्यक्त किया गया था। जब इन सड़कों के नमूने लैब में भेजे गए तो जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। रिपोर्ट के अनुसार:
• सड़कों में तारकोल की मात्रा मानक से काफी कम पाई गई।
• गिट्टी और अन्य निर्माण सामग्री में भी भारी गड़बड़ी मिली।
• नमूनों के फेल होने से सड़क निर्माण में बड़े पैमाने पर अनियमितता उजागर हुई।
सस्पेंड किए गए अभियंता
मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद जिन अभियंताओं पर कार्रवाई हुई है, उनमें वरिष्ठ और कनिष्ठ स्तर के अभियंता शामिल हैं:
1. अधीक्षण अभियंता (SE): सुभाष चंद्र
2. अधिशासी अभियंता (XEN): सुमंत कुमार, शरद कुमार मिश्रा
3. 8 अवर अभियंता (JE): मोहम्मद शोएब, राजीव कुमार, अमर सिंह, रुचि गुप्ता, सत्येंद्र कुमार, अवधेश कुमार गुप्ता, मकरंद सिंह यादव, और वीरेंद्र प्रताप सिंह
विभागीय जांच के आदेश
न केवल सस्पेंशन, बल्कि सभी निलंबित अभियंताओं के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दिए गए हैं। लोक निर्माण विभाग के सूत्रों के अनुसार, हरदोई के अलावा अन्य नौ जिलों में भी सड़कों की गुणवत्ता की जांच शुरू कर दी गई है। इन जिलों के नमूने भी लैब में भेजे गए हैं, और रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री की सख्त चेतावनी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट कर दिया है कि भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा:
“जहां भी मानकों से समझौता होगा, दोषियों पर कठोरतम कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। लोक निर्माण विभाग की छवि सुधारने के लिए यह कदम जरूरी है।”
PWD में हलचल, बड़े अधिकारियों पर निगरानी
इस कार्रवाई के बाद लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों और अभियंताओं में जबरदस्त हलचल मची हुई है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक, अब सड़कों के निर्माण में गुणवत्ता पर विशेष जोर दिया जाएगा।
हरदोई में सड़क निर्माण में अनियमितता ने प्रदेश में सरकारी निर्माण कार्यों की निगरानी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मुख्यमंत्री की त्वरित कार्रवाई ने यह संकेत दिया है कि राज्य सरकार गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं करेगी। आने वाले दिनों में अन्य जिलों में भी इस तरह की सख्त कार्रवाई देखने को मिल सकती है।
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