
लखनऊ, 15 सितंबर। बहराइच जनपद का छोटा सा कारिकोट गांव अब राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है। ग्रामीण पर्यटन को नई दिशा देने वाले इस गांव को इंडियन सबकांटिनेंटल रिस्पांसिबल टूरिज्म (ICRT) अवार्ड-2025 से सम्मानित किया गया है। 13 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित समारोह में उत्तराखण्ड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने यह अवार्ड बहराइच के मुख्य विकास अधिकारी मुकेश चन्द्र, ग्राम सचिव सुशील कुमार सिंह और ग्राम प्रधान पार्वती को सौंपा।
समारोह में सतपाल महाराज ने कारिकोट गांव को बधाई देते हुए कहा कि ग्रामीण होम स्टे की अवधारणा उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के सीमावर्ती इलाकों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। उन्होंने ग्रामीणों की इस उपलब्धि को पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणा बताया।
प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि कारिकोट की यह सफलता पर्यटन विभाग और स्थानीय लोगों की मेहनत का परिणाम है। गांव ने न केवल सीमा पर्यटन को बढ़ावा दिया है, बल्कि अपनी संस्कृति, व्यंजन, हस्तशिल्प और लोककलाओं को भी नई पहचान दी है। यहां युवाओं और महिलाओं को रोजगार के नए अवसर मिले हैं।
आईसीआरटी ने कारिकोट गांव को ‘शांति एवं आपसी समझ’ श्रेणी में सिल्वर कैटेगरी का अवार्ड दिया है। यह पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदार और सतत पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिए प्रतिष्ठित माना जाता है।
भारत-नेपाल सीमा और कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य के पास स्थित कारिकोट अब एक वैश्विक पर्यटन मॉडल के रूप में उभर रहा है। यहां होम स्टे की सुविधाओं के साथ-साथ हल्दी की खेती भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही है। खासकर महिलाओं ने हल्दी उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल की है। थारू समुदाय सहित स्थानीय लोगों की भागीदारी ने गांव की पहचान को और मजबूत किया है।
गांव की प्राकृतिक सुंदरता भी पर्यटकों को खूब लुभाती है। गेरुआ और कोरियाला नदियों का संगम, सिंचाई विभाग का डैम, हरे-भरे जंगल और जैव विविधता आगंतुकों को एक अनोखा अनुभव कराते हैं। यही वजह है कि प्रदेश और पड़ोसी राज्यों से बड़ी संख्या में सैलानी यहां आते रहते हैं।


































