
- उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने प्रतापगढ़ के मंदिरों, धामों और बौद्ध स्थलों के कायाकल्प के लिए 8 करोड़ की योजना शुरू की।
- श्रद्धालुओं और पर्यटकों को स्वच्छ, सुरक्षित और आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएंगी।
- बाबा घुईसरनाथ धाम, मां ज्वाला देवी धाम, नरसिंह धाम समेत कई प्रमुख स्थलों का होगा विकास।
- परियोजना से प्रतापगढ़ धार्मिक-पर्यटन मानचित्र पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाएगा।
- योजना से स्थानीय स्तर पर युवाओं के लिए रोजगार और अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी।
लखनऊ/प्रतापगढ़, 05 सितम्बर 2025: उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रतापगढ़ जिले की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों के कायाकल्प के लिए ऐतिहासिक पहल की है। पर्यटन विभाग द्वारा लगभग ₹8 करोड़ की लागत से स्वीकृत इन योजनाओं का उद्देश्य जिले के प्रमुख मंदिरों, धामों और बौद्ध स्थलों को नया स्वरूप प्रदान करना है। इससे श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आधुनिक सुविधाएँ मिलेंगी, धार्मिक स्थलों की भव्यता बढ़ेगी और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
परियोजना का उद्देश्य
प्रतापगढ़ जिले की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरें अब तक अपनी पूरी संभावनाओं के बावजूद पर्यटन मानचित्र पर वह पहचान नहीं बना पाई थीं, जिसकी वे हकदार हैं। सरकार का मकसद है कि इन धरोहरों को ऐसा स्वरूप दिया जाए, जिससे श्रद्धालु और पर्यटक यहाँ आकर न केवल धार्मिक शांति और आस्था का अनुभव करें, बल्कि आधुनिक सुविधाओं का भी लाभ उठा सकें। स्वच्छ वातावरण, सुरक्षित व्यवस्था और आकर्षक पर्यटन ढाँचे के जरिए प्रतापगढ़ आने वाले लोगों का अनुभव यादगार बनेगा। इसके साथ ही, स्थानीय स्तर पर होटल, परिवहन, खान-पान और स्मारिका उद्योग जैसे क्षेत्रों में नए अवसर पैदा होंगे, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को सीधा लाभ मिलेगा।
किन धार्मिक स्थलों का होगा कायाकल्प
पर्यटन विभाग ने जिले के कई प्रमुख स्थलों को विकास कार्यों के लिए चयनित किया है। नगर पालिका बेल्हा का कायाकल्प होगा, वहीं रंजितपुर चिलबिला स्थित सुगतानन्द बौद्ध बिहार को आधुनिक स्वरूप दिया जाएगा। जगापुर वार्ड में स्थित राम जानकी मंदिर और बुआपुर, रूपपुर मान्धाता क्षेत्र का बौद्ध बिहार इस योजना का हिस्सा बनेगा। इसके अलावा, सांगीपुर क्षेत्र का प्रसिद्ध बाबा घुईसरनाथ धाम, पट्टी तहसील के ग्राम सर्वजीत स्थित माँ दुर्गा मंदिर, कुण्डा क्षेत्र के गंगा तट पर स्थित नरसिंह धाम मंदिर और बाबा अवधेश्वरनाथ धाम को भी विकसित किया जाएगा।
इन सबके साथ, नगर पंचायत मानिकपुर स्थित मां ज्वाला देवी धाम सिद्धपीठ का कायाकल्प योजना में विशेष स्थान रखता है। इन सभी स्थलों का विकास श्रद्धालुओं के लिए सुगम मार्ग, पार्किंग की बेहतर सुविधा, शौचालय, पेयजल और प्रकाश व्यवस्था जैसे इंतजामों से जुड़ा होगा। इसके साथ ही, सौंदर्यीकरण और धार्मिक स्थलों की ऐतिहासिकता को ध्यान में रखते हुए संरचनात्मक सुधार किए जाएंगे।
सरकार का दृष्टिकोण
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश सरकार का उद्देश्य आस्था और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाना है। उन्होंने कहा कि प्रतापगढ़ में जिन धार्मिक स्थलों का कायाकल्प किया जाएगा, वहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को ऐसा अनुभव मिलेगा, जिसमें परंपरा और आधुनिक सुविधाओं का संगम होगा। गंगा तट के प्राचीन धाम हों या बौद्ध विहार, प्रत्येक स्थल को इस तरह विकसित किया जाएगा कि उसकी ऐतिहासिक और धार्मिक पहचान बनी रहे, साथ ही लोगों को आरामदायक वातावरण भी उपलब्ध हो।
मंत्री ने यह भी बताया कि इस योजना से पर्यटन को नई गति मिलेगी। अधिक से अधिक पर्यटक प्रतापगढ़ की ओर आकर्षित होंगे, जिससे यह जिला धार्मिक-पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरेगा।
स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार
प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम ने कहा कि प्रतापगढ़ की यह परियोजना केवल धार्मिक स्थलों का कायाकल्प भर नहीं है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त करने का भी माध्यम बनेगी। जब इन स्थलों पर श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, तो स्वाभाविक रूप से होटल, परिवहन, भोजनालय और स्थानीय दुकानों का व्यवसाय भी फलेगा-फूलेगा।
इससे युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। चाहे वह स्थानीय गाइड के रूप में हो, स्मारिका बेचने वाले दुकानदारों के रूप में या छोटे होटल और लॉज संचालकों के रूप में—हर क्षेत्र में विकास की संभावनाएँ बढ़ेंगी। इस प्रकार यह योजना प्रतापगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हुए स्थानीय लोगों के जीवन स्तर को भी ऊँचा उठाने का काम करेगी।
निष्कर्ष
प्रतापगढ़ जिले के धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों के विकास की यह योजना प्रदेश सरकार की पर्यटन नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इन परियोजनाओं के पूर्ण होने पर प्रतापगढ़ न केवल उत्तर प्रदेश में बल्कि पूरे देश और विदेश में भी धार्मिक-पर्यटन का प्रमुख केंद्र बनेगा। श्रद्धालुओं को यहाँ आकर स्वच्छ, सुरक्षित और आधुनिक सुविधाओं से भरपूर वातावरण मिलेगा।
यह पहल आस्था और परंपरा को आधुनिकता से जोड़ते हुए प्रतापगढ़ को पर्यटन मानचित्र पर एक नई पहचान दिलाएगी और आने वाले समय में जिले की आर्थिक प्रगति और सामाजिक विकास का आधार भी बनेगी।