
- उत्तर प्रदेश के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से की मुलाकात
- प्रदेश के पर्यटन विकास से जुड़े 12 प्रमुख प्रस्तावों पर हुई चर्चा
- बौद्ध सर्किट, किले, प्रासाद योजना, संग्रहालय और आईकोनिक डेस्टिनेशन पर रहेगा फोकस – जयवीर सिंह

नई दिल्ली/लखनऊ, 18 अगस्त 2025 : उत्तर प्रदेश के पर्यटन को नई ऊँचाई देने के लिए सोमवार को नई दिल्ली में एक अहम बैठक हुई। इस दौरान केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह के बीच प्रदेश की पर्यटन संभावनाओं पर गहन चर्चा हुई। बैठक में पर्यटन विकास से जुड़े 12 बड़े प्रस्ताव रखे गए। बैठक में प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम भी मौजूद रहे।
बैठक में मुख्य रूप से सिद्धार्थनगर जिले के ककरहवा बॉर्डर पर इमीग्रेशन ऑफिस स्थापित करने की आवश्यकता पर चर्चा हुई। इससे लुम्बिनी (नेपाल) से आने वाले बौद्ध श्रद्धालुओं और पर्यटकों को सीधे कपिलवस्तु तक पहुंचने में सुविधा होगी। इसके साथ ही पिपरहवा में वर्ष 1898 में मिले भगवान बुद्ध के अवशेष, जिन्हें हाल ही में विदेश से वापस लाया गया है, को एक भव्य स्तूप में संरक्षित करने का प्रस्ताव भी रखा गया।
इसके अलावा कालिंजर और तालबेहट किलों के विकास पर भी विस्तृत चर्चा हुई। प्रस्ताव दिया गया कि कालिंजर किले स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर में श्रावण मास और प्रमुख त्योहारों के दौरान श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क प्रवेश की व्यवस्था की जाए। साथ ही प्रदेश में मौजूद प्राचीन टीलों और पुरातात्विक स्थलों की वैज्ञानिक खुदाई व शोध को बड़े पैमाने पर आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया।
बैठक में बताया गया कि भारत सरकार की प्रासाद योजना के तहत मथुरा के गोवर्धन और वाराणसी की पर्यटन विकास परियोजनाएं पूरी कर ली गई हैं और अब संचालन हेतु सौंप दी गई हैं। वहीं, फतेहपुर सीकरी में प्रस्तावित साउंड एंड लाइट शो अंतिम चरण में है, जिसके शुरू होने से यहां आने वाले पर्यटकों का अनुभव और भी समृद्ध होगा।
प्रदेश सरकार ने मांग की कि वर्ष 2025–26 में भारत सरकार की आइकोनिक डेस्टिनेशन योजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश को दो से अधिक प्रोजेक्ट दिए जाएं। इसी क्रम में गौतमबुद्ध नगर में टैगोर सांस्कृतिक संकुल, लखनऊ के रवीन्द्रालय सभागार का आधुनिकीकरण, तथा लखनऊ, मथुरा और कुशीनगर के संग्रहालयों के उन्नयन से जुड़े प्रस्तावों पर भी विस्तृत चर्चा की गई।
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि “उत्तर प्रदेश की धरोहर केवल भारत की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की अमूल्य संपदा है। इन परियोजनाओं के पूर्ण होने से बौद्ध सर्किट, किले और संग्रहालयों को नया स्वरूप मिलेगा और प्रदेश विश्व पर्यटन मानचित्र पर और सशक्त पहचान बनाएगा। साथ ही इससे रोजगार और विकास के नए अवसर भी खुलेंगे।”
प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम ने कहा कि,“ये प्रस्ताव प्रदेश की उस दृष्टि को प्रतिबिंबित करते हैं, जिसमें धरोहर संरक्षण और आधुनिक सुविधाओं का समन्वय शामिल है। इन परियोजनाओं के लागू होने से न केवल पर्यटकों का अनुभव और समृद्ध होगा, बल्कि पर्यटन के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक विकास को भी नई गति मिलेगी।”