
लखनऊ: नवरात्रि का पर्व हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह नौ दिनों का पर्व देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना और शक्ति की उपासना का प्रतीक है। नवरात्रि के अंतिम दिन, जिसे महानवमी कहा जाता है, विशेष महत्त्व रखता है। इस दिन देवी दुर्गा की नौवीं शक्ति ‘सिद्धिदात्री’ की पूजा की जाती है, जो भक्तों को सिद्धियाँ प्रदान करती हैं।
महानवमी का दिन शक्ति, भक्ति और आस्था का संगम होता है। इस दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करके साधक अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, शांति और सिद्धियाँ प्राप्त करते हैं। इस लेख में हम महानवमी का महत्व और देवी दुर्गा के नौ रूपों का विस्तार से वर्णन करेंगे।
नवरात्रि में महानवमी का महत्व

महानवमी नवरात्रि का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन देवी दुर्गा की पूर्ण कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा और हवन का आयोजन किया जाता है। कई स्थानों पर कन्या पूजन (कन्या भोज) की भी परंपरा है, जिसमें नौ कन्याओं को देवी के नौ रूपों का प्रतीक मानकर भोजन कराया जाता है।
महानवमी के दिन साधक अपनी साधनाओं को पूर्णता की ओर ले जाते हैं और देवी से मोक्ष, सिद्धि और आशीर्वाद की प्राप्ति की कामना करते हैं। देवी दुर्गा के सभी रूप इस दिन जागृत होते हैं और भक्तों की इच्छाओं को पूर्ण करते हैं।
देवी दुर्गा के नौ रूप: नवदुर्गा

1. शैलपुत्री देवी
नवरात्रि के पहले दिन देवी दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा की जाती है। शैलराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। यह देवी प्रकृति और पर्वतों की अधिष्ठात्री हैं और साधक को शांति और धैर्य प्रदान करती हैं।
2. ब्रह्मचारिणी देवी
दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी देवी की आराधना होती है। यह देवी तपस्या और आत्मसंयम की प्रतीक हैं। उनकी पूजा करने से साधक को मानसिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है। देवी ब्रह्मचारिणी जीवन में धैर्य, साधना और तप के मार्ग पर चलने का संदेश देती हैं।
3. चंद्रघंटा देवी
नवरात्रि के तीसरे दिन चंद्रघंटा देवी की पूजा की जाती है। उनके मस्तक पर आधे चंद्र का आभूषण होता है, जिसे ‘चंद्रघंटा’ कहा जाता है। यह देवी साहस, वीरता और शक्ति की प्रतीक हैं। इनकी आराधना से साधक भयमुक्त होकर अपने जीवन में विजय प्राप्त करता है।
4. कूष्माण्डा देवी
चौथे दिन कूष्माण्डा देवी की पूजा होती है, जिन्हें ब्रह्मांड की सृजनकर्ता माना जाता है। उनकी पूजा से साधक को स्वास्थ्य, समृद्धि और ऊर्जा की प्राप्ति होती है। यह देवी जीवन में सकारात्मकता और उत्साह भरती हैं।
5. स्कंदमाता देवी
पाँचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है, जो भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं। इनकी पूजा से साधक को संतान सुख और बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। स्कंदमाता जीवन में प्रेम, करुणा और मातृत्व का प्रतीक हैं।
6. कात्यायनी देवी
छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। यह देवी अत्यंत शक्तिशाली और वीरता की प्रतीक हैं। इन्हें आदिशक्ति का अवतार माना जाता है, जिन्होंने महिषासुर का संहार किया था। इनकी पूजा से साधक को साहस और आत्मबल प्राप्त होता है।
7. कालरात्रि देवी
सातवें दिन देवी कालरात्रि की आराधना की जाती है। यह देवी अत्यंत भयंकर रूप धारण करके राक्षसों और बुराई का नाश करती हैं। इनकी पूजा से साधक सभी प्रकार के भय और बाधाओं से मुक्त हो जाता है। देवी कालरात्रि जीवन में सुरक्षा और विजय का प्रतीक हैं।
8. महागौरी देवी
नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती है। यह देवी सफेद वस्त्र धारण किए हुए हैं और उनकी पूजा से साधक को पवित्रता, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। महागौरी देवी जीवन में सुख और समृद्धि लाती हैं और सभी पापों का नाश करती हैं।
9. सिद्धिदात्री देवी
नवरात्रि के अंतिम दिन यानी महानवमी पर सिद्धिदात्री देवी की पूजा की जाती है। यह देवी सभी सिद्धियों की दात्री हैं और साधक को अष्ट सिद्धियों का वरदान प्रदान करती हैं। इनकी पूजा से साधक को ज्ञान, सफलता और सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।
महानवमी की पूजा विधि
महानवमी के दिन विशेष पूजा और हवन का आयोजन किया जाता है। इस दिन माता सिद्धिदात्री की मूर्ति को स्थापित कर उनका विधिवत पूजन किया जाता है। साधक मंत्रों और श्लोकों का जाप करते हुए देवी से आशीर्वाद की कामना करते हैं। कन्या पूजन और हवन के माध्यम से देवी को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है।
महानवमी का आध्यात्मिक संदेश
महानवमी का दिन हमें आत्म-शक्ति और भक्ति के माध्यम से जीवन की चुनौतियों का सामना करने की प्रेरणा देता है। देवी के नव रूप हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं से निपटने की शक्ति और साहस प्रदान करते हैं। यह पर्व हमें सकारात्मकता, शक्ति, शांति और समृद्धि के मार्ग पर अग्रसर होने की प्रेरणा देता है।
नवरात्रि की महानवमी देवी दुर्गा की पूजा का समापन दिवस है, जिसमें भक्त देवी के नव रूपों की आराधना करते हैं। यह पर्व आस्था, भक्ति और शक्ति का प्रतीक है, जो जीवन में शांति, समृद्धि और सिद्धियाँ प्रदान करता है।