
विश्व हिंदी सचिवालय की महासचिव डॉ.माधुरी रामधारी से सम्मान पत्र लेती हुई डॉ.अंजना सिंह सेंगर
लखनऊ: साहित्य जगत में अपनी उत्कृष्ट रचनाओं के माध्यम से पहचान बनाने वाली डॉ. अंजना सिंह सेंगर को हाल ही में मॉरिशस और म्यांमार (यांगून) में उनके साहित्यिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया। मॉरिशस के विश्व हिंदी सचिवालय और यांगून स्थित भारतीय दूतावास ने हिंदी साहित्य में उनके योगदान को मान्यता दी है।
मॉरिशस में विश्व हिंदी सम्मेलन में सम्मान

अगस्त महीने में मॉरिशस में आयोजित तीन दिवसीय विश्व हिंदी सचिवालय के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में डॉ. अंजना सिंह सेंगर को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया। इस सम्मेलन में मॉरिशस के राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन, प्रधानमंत्री प्रवीण कुमार जगनोथ, उप प्रधानमंत्री लीला देवी दुकन, और भारत की उच्चायुक्त नंदिनी के. सिंगला सहित अन्य प्रमुख हिंदी विद्वानों ने हिस्सा लिया। डॉ. अंजना सिंह को उनकी उत्कृष्ट साहित्यिक कृतियों के लिए सम्मानित किया गया, और उनका साक्षात्कार तथा काव्य पाठ मॉरिशस के रेडियो चैनल पर प्रसारित किया गया।
यांगून में हिंदी दिवस पर विशिष्ट काव्य पाठ

मॉरिशस के बाद, डॉ.अंजना सिंह सेंगर को म्यांमार की राजधानी यांगून में स्थित भारतीय दूतावास और स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र द्वारा आयोजित हिंदी दिवस समारोह में आमंत्रित किया गया। इस अवसर पर उन्होंने “डिजिटल युग में हिंदी की भूमिका” विषय पर वक्तव्य दिया और अपने ओजस्वी काव्य पाठ से वहां उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। भारतीय राजदूत अभय ठाकुर ने उनके काव्य पाठ की सराहना करते हुए कहा, “डॉ.सेंगर की पंक्तियां हारे हुए इंसान में जीत का जोश भर देती हैं।”

यांगून में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान स्थानीय महिलाओं ने डॉ. अंजना सिंह के साथ ऑटोग्राफ और सेल्फी लेने की होड़ मचा दी। स्त्री विमर्श पर आधारित उनकी कविताओं ने वहां की महिलाओं को गहराई से प्रभावित किया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें पुनः यांगून आने का निमंत्रण दिया गया।
भारतीय प्रतिनिधि मंडल का हिस्सा
यांगून में भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित रात्रि भोज में डॉ. अंजना सिंह के साथ भारत के प्रसिद्ध ग़ज़लकार सुशील साहिल, डॉ. इंद्रजीत शर्मा, अंजू शर्मा, डॉ. प्रेम भारद्वाज, पत्रकार सनोज तिवारी और रविंद्र शुक्ला ने भी हिस्सा लिया।
डॉ.अंजना सिंह सेंगर की यह अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक यात्रा उनके समर्पण और साहित्यिक कौशल का प्रतीक है। मॉरिशस और यांगून में उन्हें मिले ये सम्मान न केवल उनके लेखन की शक्ति को दर्शाते हैं, बल्कि यह हिंदी साहित्य के वैश्विक विस्तार की भी पुष्टि करते हैं।