
- जस्टिस संजीव खन्ना ने भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में राष्ट्रपति भवन में शपथ ली, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ दिलाई।
- उन्होंने न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की जगह ली, जो 65 वर्ष की आयु पूरी करने पर सेवानिवृत्त हुए।
- न्यायमूर्ति खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा, जिसमें उन्हें न्यायपालिका की प्रक्रिया सुधारने और लंबित मामलों की संख्या घटाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
- अपने करियर में, जस्टिस खन्ना ने कई महत्वपूर्ण मामलों का निर्णय लिया, जैसे चुनावी बॉन्ड योजना और अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण।
- जस्टिस खन्ना के कार्यकाल से न्यायिक स्वतंत्रता और पारदर्शिता की ओर न्यायपालिका की नई दिशा और संतुलन की उम्मीद की जा रही है।

नई दिल्ली/लखनऊ, 11 नवंबर 2024 : आज भारत ने अपने न्यायिक इतिहास में एक नया अध्याय लिखा, जब न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना और दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। जस्टिस खन्ना ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का स्थान लिया, जो 65 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का न्यायिक सफर

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का जन्म 14 मई, 1960 को हुआ था। उन्होंने कानून की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय से की और अपने करियर की शुरुआत दिल्ली हाईकोर्ट में वकील के रूप में की थी। खन्ना ने 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला और कई महत्वपूर्ण मामलों में फैसले सुनाए। सुप्रीम कोर्ट में वे 2019 में न्यायाधीश नियुक्त हुए। उनके कार्यकाल के दौरान कई ऐतिहासिक फैसलों ने देश की दिशा और दशा को प्रभावित किया, जिनमें चुनावी बॉन्ड योजना और अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण जैसे मामले शामिल हैं का महत्व राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह न केवल एक औपचारिक प्रक्रिया थी, बल्कि न्यायपालिका की महत्वपूर्णता को रेखांकित करने वाला एक अवसर भी था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य प्रमुख नेताओं की उपस्थिति ने इस समारोह की गरिमा को बढ़ाया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संजीव खन्ना को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई, जिसके बाद उन्होंने अधिकारिक रूप से भारत के मुख्य न्यायाधीश का पदभार ग्रहण किया।
चीफ जस्टिस खन्ना को मिली चुनौतियाँ और संभावनाएँ

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा। इस अवधि में उन्हें कई महत्वपूर्ण मुद्दों का सामना करना पड़ेगा। न्यायपालिका में लंबित मामलों की संख्या घटाना, न्यायिक प्रक्रियाओं में सुधार लाना और संविधान की रक्षा करना उनके प्रमुख लक्ष्य होंगे। उनका मुख्य न्यायाधीश के रूप में योगदान भारतीय कानून प्रणाली के लिए दिशा-निर्देश स्थापित करेगा।
न्यायमूर्ति खन्ना के आने से न्यायपालिका में संतुलन और न्याय की भावना को और सशक्त बनाने की उम्मीद है। उनकी न्यायिक दृष्टिकोण का बड़ा हिस्सा सामाजिक न्याय और पारदर्शिता पर केंद्रित रहा है, जिससे उनके कार्यकाल के दौरान न्यायपालिका की शक्ति और स्वायत्तता में वृद्धि की उम्मीद की जा रही है । न्यायमूर्ति खन्ना का अनुभव और उनकी सटीकता उन्हें एक कुशल मुख्य न्यायाधीश बनाएंगे। वे संवैधानिक मामलों और न्यायिक स्वतंत्रता की सुरक्षा में विशेष रुचि रखते हैं। उनके कार्यकाल के दौरान संभावित सुधारों और न्यायिक निष्पक्षता की दिशा में किए गए कदम न्यायपालिका को मजबूत करेंगे। जस्टिस संजीव खन्ना का मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार ग्रहण करना भारतीय न्यायपालिका के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उनका न्यायिक दृष्टिकोण, संवैधानिक विशेषज्ञता और सामाजिक मामलों पर जागरूकता उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त बनाते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में वे किस प्रकार भारतीय न्यायिक प्रणाली को नई दिशा में ले जाते हैं।
पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ की विदाई

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने लगभग एक साल तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहकर कई ऐतिहासिक फैसलों का नेतृत्व किया। उनकी न्यायिक पद्धति और संवेदनशीलता को व्यापक स्तर पर सराहा गया। उनके सेवानिवृत्त होने के बाद न्यायमूर्ति खन्ना ने इस जिम्मेदारी को संभाला। चंद्रचूड़ के कार्यकाल में न्यायपालिका ने पारदर्शिता और संवैधानिकता को सर्वोपरि माना, जिससे भारतीय लोकतंत्र को मजबूत आधार मिला ।