
- उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि केजीएमयू को संसाधनों की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी
- कुलपति प्रो.सोनिया नित्यानंद ने सरकार के प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया और नए लीनियर एक्सीलरेटर की स्थापना की घोषणा की
- प्रशामक देखभाल इकाई के तहत गंभीर रोगियों के उपचार और देखभाल में हो रहे नवाचारों पर चर्चा की गई
- कार्यक्रम में विभिन्न विशेषज्ञों ने गंभीर बीमारियों से जूझ रहे रोगियों की मानसिक और शारीरिक देखभाल पर अपने विचार साझा किए

लखनऊ: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के रेडियोथेरेपी विभाग में प्रशामक देखभाल इकाई द्वारा आयोजित सतत चिकित्सा कार्यक्रम में प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद रहीं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे रोगियों की देखभाल और उपचार में हो रहे नवाचारों पर चर्चा करना था।
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का संबोधन

उपमुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि केजीएमयू प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों में से एक है, और यह अपनी परंपरा को बखूबी निभा रहा है। राज्य सरकार केजीएमयू के कार्यों से अत्यंत प्रसन्न है और हरसंभव वित्तीय एवं प्रशासनिक सहायता प्रदान करने के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने जोर देकर कहा कि केजीएमयू को किसी भी प्रकार की संसाधनों की कमी नहीं होने दी जाएगी, ताकि यह संस्थान अपनी उत्कृष्ट सेवाएं जारी रख सके।
कुलपति केजीएमयू का धन्यवाद ज्ञापन

कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने राज्य सरकार और उपमुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया, जिनके प्रयासों के चलते केजीएमयू को एक्सटेंशन के लिए भूमि उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने जानकारी दी कि रेडियोथेरेपी विभाग में जल्द ही एक नया लीनियर एक्सीलरेटर स्थापित किया जाएगा, जिससे कैंसर के रोगियों को और बेहतर उपचार मिल सकेगा।
प्रशामक देखभाल की महत्ता पर चर्चा

कार्यक्रम में प्रशामक देखभाल के विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञों ने विचार-विमर्श किया। प्रशामक देखभाल (पैलियेटिव केयर) का उद्देश्य उन रोगियों की देखभाल करना है, जिनकी जीवन की संभावना शून्य होती है।
प्रो. राजेंद्र कुमार ने बताया कि वर्ष 2016 में जीव दया फाउंडेशन के सहयोग से इस परियोजना की शुरुआत हुई थी। अब सिप्ला फाउंडेशन इस परियोजना का संचालन कर रहा है, जिसमें 21,000 से अधिक रोगियों को चिकित्सा सेवाएं दी गई हैं। इसके तहत मानसिक चिकित्सा, पोषण संबंधी सुविधाएं, और रोगियों की देखभाल में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की जा रही है।
प्रो. शालीन कुमार ने कहा कि मरीज के आखिरी समय की देखभाल अत्यंत कठिन और भावनात्मक होती है। हमारे देश में इच्छामृत्यु की अनुमति नहीं है, इसलिए ऐसी स्थिति में रोगियों और उनके परिवार के साथ दार्शनिक दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक होता है।
प्रो. संजय धीराज ने बताया कि इस प्रकार के रोगियों को नारकोटिक्स की दवाएं, जैसे अफीम, दी जाती हैं, जो कि बेहद दर्दनिवारक होती हैं। इसकी खुराक 2.5 से 5 मिलीग्राम से शुरू की जाती है और आवश्यकता अनुसार इसे बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, इसका प्रमुख दुष्प्रभाव कब्ज होता है, जिस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
कार्यक्रम में शामिल प्रमुख विशेषज्ञ

कार्यक्रम में प्रो. विनीत शर्मा, प्रो. अपजीत कौर, प्रो. राजीव गुप्ता, प्रो. अभिनव सोनकर, प्रो. संदीप तिवारी, प्रो. बीके ओझा, प्रो. क्षितिज श्रीवास्तव, प्रो. आनंद मिश्रा, और प्रो. पवित्र रस्तोगी सहित कई प्रमुख विशेषज्ञों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. सुधीर सिंह ने किया और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. सीमा गुप्ता ने दिया।
इस कार्यक्रम ने गंभीर बीमारियों से जूझ रहे रोगियों की देखभाल और उपचार में आ रही चुनौतियों पर चर्चा करने के साथ ही, प्रशामक देखभाल के महत्व पर प्रकाश डाला। उपमुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकार केजीएमयू को हरसंभव सहायता प्रदान करेगी, जिससे यह संस्थान अपने चिकित्सीय प्रयासों को और मजबूत बना सके।
यह कदम केजीएमयू की उत्कृष्ट सेवाओं को बनाए रखने और रोगियों को बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।