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आखिरी हिन्दू के पलायन तक प्रतीक्षा ठीक नहीं, पड़ोसी देशों में हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए सभी एकजुट हों- डॉ.राजेश्वर सिंह

  • बांग्लादेश में हिन्दुओं को निशाना बनाए जाने की खबरों के बीच डॉ.राजेश्वर सिंह ने एक्स पर पोस्ट कर की हिंदुओं की सुरक्षा के लिए एकजुटता की अपील
  • आंकड़ों के मुताबिक उन्होंने बताया कि पिछले 49 सालों में 1.13 करोड़ हिन्दु धार्मिक उत्पीड़न के कारण बांग्लादेश छोड़ने पर मजबूर हुए
  • उन्होंने अपील करते हुए कहा कि बांग्लादेशी हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार को देख मूकदर्शक बनना अपने दरवाजे पर हिंसा को आमंत्रित करने जैसा, हिंसा के विरुद्ध दुनिया के सभी राजनीतिक दल आएं एकसाथ
  • पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में हिन्दू आबादी घोर उत्पीड़न और भेदभाव से प्रभावित, उनकी आस्था, अस्मिता और संपत्ति की हो रही लूट

लखनऊ: बांग्लादेश में जारी हिंसा और राजनीतिक उथल – पुथल के बीच अल्पसंख्यक हिन्दुओं, उनके प्रतिष्ठानों और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाए जाने की ख़बरों के बीच सरोजनीनगर से भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने बांग्लादेश के हिन्दुओं पर हो रही हिंसा के विरुद्ध सभी को एकजुट होने की अपील की।

विधायक डॉ. सिंह ने बुधवार को अपने आधिकारिक एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट कर लिखा कि इस्लामिक देशों में हिंदुओं को जिस गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, उसके खिलाफ सभी को आवाज उठानी चाहिए। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में हिन्दु आबादी उत्पीड़न और भेदभाव से गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। विधायक ने जनसांख्यिकी परिवर्तन से जुड़े आंकड़े प्रस्तुत करते हुए लिखा कि 1947 के विभाजन के बाद से, जबकि भारत की मुस्लिम आबादी 9% से बढ़कर लगभग 16% हो गई है, बांग्लादेश में हिन्दु आबादी 23% से घटकर केवल 7% रह गई है। सुनियोजित हिंसा और भारत में अवैध प्रवासन इस गिरावट का स्पष्ट संकेतक है। वर्ष1964 से वर्ष 2013 के बीच, अनुमानित 1.13 करोड़ हिन्दु धार्मिक उत्पीड़न के कारण बांग्लादेश छोड़ने पर मजबूर हुए, 1971 के नरसंहार के दौरान करीब 24 लाख हिन्दु मारे गये।

सरोजनीनगर विधायक ने आगे जोड़ा कि इन देशों में हिंदुओं को अपनी सुरक्षा, संपत्ति और धार्मिक स्वतंत्रता पर लगातार खतरों का सामना करना पड़ता है। मंदिरों को तोड़ा गया, घरों में तोड़फोड़ की गई और पूजा स्थलों को नष्ट कर दिया गया। यह हिंसा आज भी जारी है, हाल की रिपोर्टों में चंद्रपुर और भारतीवाड़ा जैसे जिलों में हिन्दु परिवारों को भारी नुकसान और भय का सामना करना पड़ा है।

नागरिकता संशोधन अधिनियम का उलेख करते हुए डॉ. सिंह ने लिखा कि सीएए हिन्दु, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों सहित इन इस्लामी गणराज्यों के उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को शरण प्रदान करने में एक महत्वपूर्ण कदम है। इन देशों के विपरीत, जो समान सुरक्षा प्रदान नहीं करते हैं, सीएए का लक्ष्य इस असंतुलन को दूर करना है। इन कमजोर समुदायों की सुरक्षा और उनकी विरासत को संरक्षित करने के लिए तत्काल अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई आवश्यक है। हम तब तक इंतजार नहीं कर सकते जब तक आखिरी हिन्दु को पलायन के लिए मजबूर नहीं किया जाता। भारत और दुनिया भर में हर किसी को अपनी सुरक्षा और अस्तित्व सुनिश्चित करने के लिए अभी कार्रवाई करनी चाहिए।

इस से पहले मंगलवार को भी डॉ. राजेश्वर सिंह ने अपने एक्स पर पोस्ट कर दुनिया भर के हर राजनीतिक दल, हर नागरिक को बांग्लादेश में निर्दोष हिंदुओं पर हमले की पूरी ताकत से निंदा करने की अपील करते हुए लिखा था, हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार दर्दनाक एवं शर्मनाक हैं। मूक दर्शक अपने दरवाजे पर हिंसा को आमंत्रित करते हैं।

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