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श्री कृष्ण दत्त एकेडमी वृंदावन में आर्ट वर्कशॉप: फैलाओ पंख, भरो उड़ान- कैनवास के रंग से हो नई पहचान, छह दिवसीय फाइन आर्ट वर्कशॉप का उत्साहपूर्वक आगाज़

श्री कृष्ण दत्त एकेडमी वृंदावन में आर्ट वर्कशॉप: फैलाओ पंख, भरो उड़ान- कैनवास के रंग से हो नई पहचान, छह दिवसीय फाइन आर्ट वर्कशॉप का उत्साहपूर्वक आगाज़
  • श्री कृष्ण दत्त एकेडमी वृंदावन में छह दिवसीय फाइन आर्ट वर्कशॉप की शुरुआत उत्साहपूर्वक हुई।
  • कार्यशाला में कैनवास पेंटिंग, क्ले मॉडलिंग, डिजिटल पेंटिंग और फोटोग्राफी की विधाएं सिखाई जा रही हैं।
  • उद्घाटन समारोह में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, शिक्षकों, समाजसेवियों व अभिभावकों ने भाग लिया।
  • बच्चों की रुचि व रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए विशेषज्ञ प्रशिक्षकों द्वारा मार्गदर्शन दिया जा रहा है।
  • 6 जून को प्रतिभागियों की कलाकृतियों की एग्जीबिशन आयोजित कर आमजन के लिए प्रदर्शनी व खरीदारी की सुविधा होगी।

लखनऊ (वृंदावन), 2 जून 2025 — गर्मी की छुट्टियों में प्रकृति की गोद में रचनात्मक प्रतिभा को परवान चढ़ाने और बच्चों तथा युवाओं को कला के विविध आयामों से जोड़ने के उद्देश्य से श्री कृष्ण दत्त एकेडमी, वृंदावन में आज एक विशेष छह दिवसीय फाइन आर्ट वर्कशॉप का शुभारंभ हुआ। इस वर्कशॉप के माध्यम से प्रतिभागियों को कैनवास पेंटिंग, क्ले मॉडलिंग, डिजिटल पेंटिंग और फोटोग्राफी जैसी विधाओं की गहन समझ एवं प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे अपनी कल्पनाशक्ति को आकार दे सकें और आत्मविश्वास के साथ अपने हुनर को प्रदर्शित कर सकें।

परंपरा और आधुनिकता का सुंदर संगम

कार्यशाला का उद्घाटन एकेडमी की आर्ट गैलरी में विधिवत रूप से किया गया। उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता एकेडमी की अतिरिक्त निदेशक कुसुम बत्रा ने की, जिनके साथ सरोजनी नगर की पार्षद द्रोपदी रावत, महाराजा बिजली पासी किले की प्राचार्या सुमन गुप्ता, गौतम बुद्ध डिग्री कॉलेज की प्राचार्या रश्मि शर्मा, सर्वांगीण विकास के मैनेजर विवेक सिंह, मां विंध्यवासिनी इंटर कॉलेज से शील्मथाओं के प्रतिनिधि वीरेंद्र यादव, और माँ सरस्वती की वंदना के बाद दीप प्रज्जवलन करके कार्यक्रम को आध्यात्मिक पावनता दी गई। उपस्थित रहे रिटायर्ड कर्नल सत्येंद्र सिंह, शिक्षक प्रतिनिधि एवं समाजसेवी रीना त्रिपाठी, मुकुल पांडे, सुदीर मिश्रा सहित अभिभावक एवं कला के प्रति रूचि रखने वाले अनेक लोग। उद्घाटन के पश्चात बच्चों, युवाओं एवं अभिभावकों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया।

कार्यशाला की रूपरेखा और संचालन की जानकारी एस.के.डी. एकेडमी के प्रशिक्षकों—सुभाष तिवारी, एस.डी. त्रिपाठी, निमिषा, प्रेरणा एवं अस्मित कौर द्वारा दी गई। इस अवसर पर प्रशिक्षकों ने बताया कि यह वर्कशॉप सिर्फ रंग-रोगन सिखाने तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि प्रतिभागियों के अंदर रचनात्मकता को प्रोत्साहित करते हुए उन्हें समय का सदुपयोग करना भी सिखाया जाएगा।

प्रकृति से जुड़ाव एवं रचनात्मक विकास

अतिरिक्त निदेशक कुसुम बत्रा ने उद्घाटन के दौरान कहा,

“गर्मी की छुट्टियों में बच्चों और युवाओं का सही दिशा में मार्गदर्शन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस वर्कशॉप के माध्यम से हम उन्हें प्रकृति के करीब लाकर उनकी रचनात्मक शक्ति को निखारना चाहते हैं। प्रत्येक प्रतिभागी को उसकी रुचि अनुसार मार्गदर्शन मिलेगा, जिससे आत्मविश्वास और कला के प्रति प्रेम दोनों का विकास हो सके।”

कार्यशाला 2 जून से लेकर 6 जून तक दो सत्रों—प्रातः 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक तथा दोपहर 3 बजे से सांयकाल 5 बजे तक— निर्देशकीय और व्यावहारिक सत्रों के संयोजन में संचालित होगी। प्रतिदिन दो घंटे के प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को निम्नलिखित प्रमुख विधाओं की बारीकियाँ सिखाई जाएँगी:

  1. कैनवास पेंटिंग:
    • रंगों का चयन, संतुलन, और चित्रों में प्रकाश-छाया का महत्व।
    • प्राकृतिक दृश्यों, पुष्पों और स्थानीय स्थापत्य कला को कैनवास पर उकेरने की तकनीक।
    • रचनात्मक दृष्टिकोण और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति के माध्यम से अपनी कहानी कहना।
  2. क्ले मॉडलिंग:
    • मिट्टी की बनावट समझना, उसे आकार देना और बुनियादी आकृतियाँ बनाना।
    • मानव-प्राणी और वास्तुशिल्पीय आकृतियों की डिज़ाइनिंग तकनीक।
    • मिट्टी से जुड़ाव एवं पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता का विकास।
  3. डिजिटल पेंटिंग:
    • टैबलेट या कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर के माध्यम से रंगों का मिश्रण, ब्रश टेक्निक, और लेयरिंग।
    • आधुनिक कला की नई दिशाएँ और डिजिटल माध्यम से चित्र निर्माण की प्रक्रिया।
    • टेक्नोलॉजी का उपयोग कर पारंपरिक कला को डिजिटल युग में ढालना।
  4. फोटोग्राफी:
    • बेसिक कैमरा हैंडलिंग (मोबाइल कैमरा समेत), फ्रेमिंग, फोकसिंग और प्रकाश व्यवस्था।
    • प्रकृति, मानव आकृतियाँ और जनजीवन को कॅप्चर करने के विशेष उपाय।
    • संपादन सॉफ्टवेयर के माध्यम से फोटो को प्रोसेस करना और उसकी प्रस्तुति में सुधार।

नवाचारी एवं समग्र प्रशिक्षण

लोकेश वर्मा, जिन्हें पारंपरिक एवं आधुनिक कला दोनों का अनुभव है, ने बताया,

“इस वर्कशॉप में हमने परंपरागत चित्रकला के साथ-साथ फोटोग्राफी को भी शामिल किया है, ताकि प्रतिभागियों को संपूर्ण तरीके से फाइन आर्ट का एक पैकेज प्राप्त हो सके। कम समय में उन्हें रंगों, मिट्टी और कैमरे की बारीकियाँ समझना होगी, जिससे उनकी कल्पनाशक्ति को दिशा मिल सके।”

राज किरण द्विवेदी, डिजिटल पेंटिंग और फोटोग्राफी के विशेषज्ञ प्रशिक्षक, ने कहा,

“आज के समय में फ़ोटो और डिजिटल कला का महत्व बढ़ गया है। बच्चे और बड़े सभी मोबाइल या कैमरा लेकर चलते हैं, इसलिए यहां सीखाया जाएगा कि कैसे सही तरीके से दृश्य को कैप्चर करें, प्रकाश का उपयोग किस तरह करें और अंततः संपादन के माध्यम से एक उत्कृष्ट कलाकृति तैयार करें।”

रीना त्रिपाठी, जो स्वयं एक शिक्षिका एवं समाजसेवी हैं, ने अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा,

“यह वर्कशॉप बच्चों के लिए सिर्फ कला सीखने का अवसर नहीं, बल्कि अपनी स्वयं की हॉबी को निखारने का भी मंच है। अभिभावक और बच्चे मिलकर इस कार्य में हिस्सा ले रहे हैं और इसके माध्यम से क्रिएटिविटी डेवलपमेंट को बढ़ावा मिलेगा।”

सीखने से लेकर प्रदर्शन तक का सफर

  • मनोरंजक एवं शैक्षिक दोनों पहलूः बच्चों को केवल कला की तकनीकी जानकारी नहीं, बल्कि एक रचनात्मक दृष्टिकोण भी सिखाया जाएगा, जिससे वे प्रकृति से जुड़े महसूस कर सकें।
  • समय का सदुपयोग एवं सुनियोजित दिनचर्या: दो घंटे के सत्र में प्रतिभागियों को एकाग्रता से सीखने के साथ-साथ समय प्रबंधन का भी महत्व समझाया जाएगा।
  • सर्टिफिकेट और पुरस्कार: कार्यशाला के समापन पर प्रशिक्षुओं को प्रमाण-पत्र प्रदान किए जाएंगे। प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को विशेष पुरस्कार भी प्रदान किए जाएंगे, जो उनकी मेहनत को सार्थक बनाएंगे।
  • अंतर्दृश्य (इंस्टॉलमेंट) और प्रदर्शनी: 6 जून को श्री कृष्ण दत्त एकेडमी आर्ट गैलरी में एक विशेष आर्ट एग्ज़ीबिशन का आयोजन होगा, जहां प्रशिक्षण के दौरान बनाई गई विभिन्न कलाकृतियाँ प्रदर्शित की जाएँगी। इस अवसर पर क्षेत्र के सभी कला-प्रेमी, अभिभावक और आम नागरिक आमंत्रित हैं। प्रतिभागियों की कृतियाँ देखने के साथ-साथ इच्छुक लोग खरीदारी भी कर सकेंगे, जिससे बच्चों को अपने काम का वाणिज्यिक महत्व समझने का अवसर मिलेगा।

प्रतिभागियों की भागीदारी और उत्साह

वर्कशॉप के पहले दिन कैनवास के समक्ष रंगों का बिखराव देख उपस्थित सभी बच्चों, युवाओं एवं अभिभावकों ने ख़ूब उत्साह दिखाया। आरंभ में ड्राइंग स्केच, रंगों की पैलेट तैयार करना और क्ले मॉडलिंग के मूल तत्व सिखाए गए, जिसमें अधिकांश प्रतिभागियों ने अपनी सहज प्रतिभा का प्रदर्शन किया। युवा कलाकार अन्वेषा तिवारी ने बताया,

“मुझे यहां आकर बहुत अच्छा अनुभव हो रहा है। प्रकृति से जुड़कर कला सीखना अलग ही उत्साह देता है। मैंने आज पहली बार मिट्टी से छोटी-छोटी आकृतियाँ बनाईं, जिससे मेरी आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई है।”

एक अन्य प्रतिभागी विराज मिश्रा ने कहा,

“डिजिटल पेंटिंग के बारे में मुझे पहले ज्यादा जानकारी नहीं थी, लेकिन आज प्रशिक्षक की सहायता से मैंने अपने पहले डिजिटल चित्र का निर्माण किया। इससे मेरी रूचि और बढ़ गई है।”

आत्मविश्वास और कौशल विकास

अतिरिक्त निदेशक कुसुम बत्रा ने बताया कि इस वर्कशॉप का उद्देश्य केवल कला सिखाना नहीं, बल्कि बच्चों में आत्मविश्वास जगाना, समूह में काम करने की आदत डालना और समय का सदुपयोग सीखाना भी है। वे चाहती हैं कि प्रतिभागी यह जानें कि कला केवल रंगों का मेल नहीं, बल्कि एक संदेश, एक दृष्टिकोण और जीवन-दृष्टि भी हो सकती है।

प्रशिक्षक लोकेश वर्मा का योगदान भी उल्लेखनीय है, जिन्होंने पारंपरिक कला विधियों के साथ-साथ नवाचार को भी सम्मिलित कर दिया है, ताकि बच्चे स्थापत्य कला, नैचुरल टेक्सचर और आधुनिक प्रिंट मेथड की जानकारी भी प्राप्त कर सकें।

प्रशिक्षक राज किरण द्विवेदी ने आशा व्यक्त की कि आने वाले वर्षों में यह वर्कशॉप अन्य जिलों में भी आयोजित की जाएगी, ताकि प्रदेश भर के बच्चे अपनी प्रतिभा को पहचाने और कला की नई दिशाएँ तलाश सकें।

प्रतिभाओं का उत्कर्ष

छह दिवसीय वर्कशॉप के अंत में—6 जून 2025 को—श्री कृष्ण दत्त एकेडमी की आर्ट गैलरी में आयोजित होने वाली आर्ट एग्ज़ीबिशन की तैयारियाँ पूरी चरणबद्ध तरीके से की जा रही हैं। इस प्रदर्शनी में निम्नलिखित विशेषताएँ होंगी:

  • प्रशिक्षण के दौरान निर्मित प्रत्येक कलाकृति की प्रदर्शनी एवं व्याख्या।
  • प्रतिभागी बच्चों का लाइव आर्ट डेमोंस्ट्रेशन, जिससे आगंतुक उनकी प्रक्रिया को समझ सकें।
  • उत्तम कलाकृतियों पर पुरस्कार वितरण कार्यकम, जहां प्रथम तीन स्थान प्राप्त कलाकारों को रंग, ब्रश, क्ले किट जैसी सामग्री के साथ प्रशंसा पुरस्कार दिया जाएगा।
  • कलाप्रेमियों के लिए खरीदारी स्टाल, जहां वे छपे हुए पोस्टर, कैनवास पेंटिंग और शिल्प उत्पाद खरीद सकते हैं तथा कलाकारों का समर्थन कर सकते हैं।
  • संस्थान द्वारा प्रकाशित एक संक्षिप्त कैटलॉग, जिसमें प्रतिभागियों के नाम, कलाकृतियों की संक्षेप जानकारी और प्रशिक्षकों के लेख शामिल होंगे, ताकि आगंतुकों को जानकारीपत्रिका के रूप में सौंपा जा सके।

कला की उड़ान के लिए नए पंख

श्री कृष्ण दत्त एकेडमी, वृंदावन की यह पहल केवल एक कार्यशाला नहीं, बल्कि बच्चों और युवाओं के रचनात्मक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कला की इस साप्ताहिक यात्रा में प्रतिभागी न केवल विविध कलात्मक विधाओं से रूबरू होंगे, बल्कि प्रकृति के साथ गहरा संवाद कर पाएंगे। कार्यशाला के समापन पर होने वाली एग्ज़ीबिशन उन्हें अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने और समाज के समक्ष अपनी पहचान बनाने का सुनहरा अवसर देगी।

इस प्रकार, “फैलाओ पंख, भरो उड़ान: कैनवास के रंग से हो नई पहचान” का संदेश पूरी तरह सार्थक होता दिख रहा है। कला के माध्यम से बच्चों को आत्मविश्वासी, सृजनात्मक और प्रकृति-संवेदनशील बनाना—यह स्वप्न अब श्री कृष्ण दत्त एकेडमी के प्रयास से साकार हो रहा है।

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