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शिक्षक भर्ती विवाद: SC ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को माना सही, 27,000 रिक्त पदों पर चयन होगा

शिक्षक भर्ती विवाद: SC ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को माना सही, 27,000 रिक्त पदों पर चयन होगा
  • सुप्रीम कोर्ट ने 68,500 शिक्षक भर्ती में 27,000 रिक्त पदों पर चयन के लिए हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा।
  • 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों के समायोजन को रद्द कर 1.37 लाख पद रिक्त कर दिए थे।
  • 2018 में राज्य सरकार ने 68,500 और 69,000 सहायक शिक्षक भर्ती की परीक्षा आयोजित की थी।
  • कुछ अभ्यर्थियों ने कटआफ अंक घटाने और कापी बदलने के आरोप लगाए थे, जिसके बाद हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।
  • सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब बेसिक शिक्षा विभाग को भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का आदेश दिया गया है।

प्रयागराज/लखनऊ, 08 दिसम्बर 2024 – उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित 68,500 सहायक शिक्षक भर्ती में 27,000 से अधिक रिक्त पदों पर चयन की प्रक्रिया को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के आदेश को यथावत बरकरार रखते हुए राज्य सरकार को इन रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी रखने का आदेश दिया है। इस फैसले के बाद अब बेसिक शिक्षा विभाग को इन पदों पर चयन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना पड़ेगा।

यह मामला तब शुरू हुआ था जब कुछ अभ्यर्थियों ने परीक्षा के बाद रिक्त रह गए 27,000 से ज्यादा पदों पर चयन की मांग की थी। अभ्यर्थियों का कहना था कि कटआफ अंक को कम किया जाए, ताकि अधिक संख्या में उम्मीदवारों को अवसर मिल सके। इसके साथ ही कुछ अभ्यर्थियों ने परीक्षा में कापी बदलने का भी आरोप लगाया था, और यह मांग की थी कि रिक्त पदों पर भर्ती के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जांच के आदेश दिए थे और सीबीआई को इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा था।

वहीं, उच्चतम न्यायालय में मामला पहुंचने पर सुप्रीम कोर्ट ने इन अभ्यर्थियों की याचिका को खारिज कर दिया। इस निर्णय के बाद अब प्रदेश सरकार को हाई कोर्ट के आदेश के अनुरूप भर्ती प्रक्रिया को जारी रखने का आदेश दिया गया है। यह आदेश उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद लागू हुआ है। इसके साथ ही भर्ती प्रक्रिया में किसी भी तरह के बदलाव की संभावना समाप्त हो गई है।

मामला पिछली घटनाओं से जुड़ा है: यह मामला वर्ष 2017 से जुड़ा हुआ है, जब सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद पर कार्यरत शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया था। इस निर्णय के परिणामस्वरूप लगभग 1.37 लाख सहायक अध्यापक के पद रिक्त हो गए थे। इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने 2018 में दो चरणों में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू की। पहले चरण में 68,500 और दूसरे चरण में 69,000 पदों पर भर्ती निकाली गई थी।

भर्ती परीक्षा में कटआफ अंक निर्धारित किए गए थे, जिसमें अनारक्षित श्रेणी के लिए 45 प्रतिशत और ओबीसी तथा अन्य श्रेणियों के लिए 40 प्रतिशत अंक तय किए गए थे। हालांकि, परीक्षा परिणाम के बाद कई पद रिक्त रह गए थे क्योंकि सभी रिक्तियों के लिए पर्याप्त योग्य अभ्यर्थी नहीं मिल सके थे। इन रिक्त पदों की संख्या 27,000 से अधिक थी, जिसे लेकर अभ्यर्थियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

हाई कोर्ट का आदेश और सीबीआई जांच: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई जांच का आदेश दिया था। कोर्ट ने आदेश दिया था कि भर्ती परीक्षा में कापी बदलने के आरोपों की जांच की जाए और परीक्षा प्रक्रिया में हुई किसी भी गड़बड़ी की पुष्टि की जाए। साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर परीक्षा में किसी तरह की अनियमितताएं पाई जाती हैं, तो उन पर कार्रवाई की जाए और चयन प्रक्रिया को सही तरीके से संपन्न किया जाए। हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार को आदेश के अनुरूप भर्ती प्रक्रिया जारी रखनी होगी।

अब क्या होगा? सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, अब बेसिक शिक्षा विभाग को अपनी भर्ती प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का निर्देश दिया गया है। इसके अंतर्गत वे 27,000 रिक्त पदों पर योग्य उम्मीदवारों का चयन करेंगे। भर्ती प्रक्रिया में अब कोई कटआफ अंक में बदलाव नहीं होगा और कोई नई मांग नहीं मानी जाएगी। इस प्रक्रिया को जल्द ही पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने सभी तैयारियां शुरू कर दी हैं।

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