
- डॉ. राजेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर यूपी बोर्ड में पर्यावरण शिक्षा अनिवार्य करने की मांग की।
- पत्र में जलवायु परिवर्तन, प्लास्टिक प्रदूषण, जल संकट जैसी पाँच गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियाँ उजागर की गईं।
- डॉ. सिंह ने कहा कि “प्राकृतिक संरक्षण का संस्कार छात्र जीवन से ही विकसित होना चाहिए।”
- सरोजनीनगर में 28,000 इको-फ्रेंडली बैग्स वितरण, रुद्राक्ष व फलदार पौधों का रोपण जैसे जमीनी कार्य किए जा रहे हैं।
- ‘एनवायरमेंट वारियर्स अभियान’ के तहत प्रदेश के छात्रों व वनकर्मियों को जोड़ते हुए हरित आंदोलन को जन-आंदोलन का रूप दिया गया।

लखनऊ: विश्व पृथ्वी दिवस के अवसर पर सरोजनीनगर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने पर्यावरणीय संरक्षण को लेकर एक महत्वपूर्ण और दूरगामी पहल की। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक विस्तारपूर्वक पत्र लिखकर आग्रह किया है कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (UP Board) के अंतर्गत संचालित सभी स्कूलों में पर्यावरण शिक्षा को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल किया जाए। उनका यह प्रयास केवल एक नीति सुझाव नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और राष्ट्रीय उत्तरदायित्व के रूप में देखा जा रहा है।
मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में डॉ. सिंह ने उजागर की पाँच गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियाँ
डॉ. सिंह द्वारा भेजे गए पत्र में उन्होंने पर्यावरणीय संकट की गहराई को पाँच ठोस बिंदुओं में बाँधा और बताया कि किस प्रकार ये मुद्दे वर्तमान और भविष्य दोनों के लिए खतरा बन चुके हैं:
1. जलवायु परिवर्तन:
पृथ्वी का औसत तापमान तेजी से बढ़ रहा है। 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष घोषित हो चुका है। औसत वैश्विक तापमान 15.1 डिग्री सेल्सियस पहुँच चुका है, जो औद्योगीकरण से पहले की तुलना में 1.6 डिग्री अधिक है। तापमान में यह वृद्धि प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति और तीव्रता को कई गुना बढ़ा रही है।
2. जैव विविधता की क्षति:
भारत में 22% जीव-जंतु और वनस्पतियाँ विलुप्ति के कगार पर हैं। जैव विविधता में गिरावट खाद्य सुरक्षा, पारिस्थितिकी संतुलन और औषधीय प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है।
3. प्लास्टिक प्रदूषण:
प्रति वर्ष 1.5 करोड़ टन प्लास्टिक समुद्रों में जाता है। इसका सीधा प्रभाव न केवल समुद्री जीवन बल्कि मानव स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। माइक्रोप्लास्टिक की उपस्थिति अब हमारी थालियों तक पहुँच चुकी है।
4. जल संकट:
भारत की केवल 4% जल संसाधनों पर 18% आबादी की निर्भरता है। भूजल का स्तर प्रतिवर्ष औसतन 1.2 मीटर तक गिर रहा है। आने वाले दशक में पानी युद्ध और पलायन का कारण बन सकता है।
5. वनों की कटाई:
तेजी से हो रहे नगरीकरण, सड़क निर्माण और औद्योगीकरण के कारण बड़े पैमाने पर वन नष्ट हो रहे हैं, जिससे पारिस्थितिकी संतुलन टूट रहा है और जलवायु परिवर्तन को और बल मिल रहा है।
“माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः” – प्रकृति कोई विषय नहीं, एक संस्कार है: डॉ. सिंह
अपने सोशल मीडिया पोस्ट में डॉ. सिंह ने अथर्ववेद के इस मंत्र के माध्यम से स्पष्ट किया कि प्रकृति से जुड़ाव हमारी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है। उन्होंने कहा, “आज हम संकट की ओर नहीं, संकट के भीतर जी रहे हैं।” उन्होंने अपने तर्कों को आंकड़ों से सशक्त किया, जैसे कि:
- भारत में 2019 में 23 लाख मौतें केवल वायु और जल प्रदूषण के कारण हुईं।
- देश की 100% आबादी PM2.5 के मानक से अधिक प्रदूषित वायु में सांस ले रही है।
शिक्षा के ज़रिए समाधान: पर्यावरणीय साक्षरता ही भविष्य की कुंजी
डॉ. सिंह का मानना है कि यदि स्कूल स्तर पर बच्चों को पर्यावरण संरक्षण के मूल सिद्धांतों की शिक्षा दी जाए, तो वे न केवल अपने परिवेश के प्रति जागरूक बनेंगे, बल्कि “हर बच्चा प्रकृति का संरक्षक” बनकर उभरेगा।
उन्होंने लिखा, “सिर्फ जागरूकता नहीं, जिम्मेदारी का भी भाव जरूरी है और यह भाव विद्यालयों में ही विकसित हो सकता है।”
सरोजनीनगर: शिक्षा और क्रियान्वयन का आदर्श मॉडल
डॉ. सिंह ने अपने क्षेत्र सरोजनीनगर को इस सोच का प्रयोग स्थल बना रखा है, जहां धरातलीय क्रियान्वयन के अनेक प्रेरणादायक उदाहरण देखने को मिलते हैं।
प्रमुख स्थानीय पहलें:
- 28,000 ईको-फ्रेंडली बैग्स का निर्माण तारा शक्ति केंद्र की महिलाओं द्वारा और उनका बच्चों में वितरण।
- 200 रुद्राक्ष के पौधों का रोपण धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से।
- 1 अगस्त 2025 से 2,000 फलदार पौधों का प्रस्तावित रोपण – आम, जामुन, इमली, कटहल, महुआ आदि।
- पौधों की देखभाल को ‘वृक्ष रक्षा यज्ञ’ का स्वरूप देना, जिससे बच्चों, माता-पिता और समाज की भावनात्मक भागीदारी सुनिश्चित हो।
जन सहभागिता की अपील: वृक्षारोपण से बने सामाजिक अभियान
डॉ. सिंह ने अपने पत्र और पोस्ट के माध्यम से यह आग्रह किया कि आगामी वृक्षारोपण अभियान में सभी RWA, ग्राम प्रधान, विद्यालय और स्वयंसेवी संगठन सक्रिय रूप से भाग लें। उनका उद्देश्य केवल वृक्षारोपण नहीं, बल्कि हर पौधे को एक परिवार की जिम्मेदारी बनाना है।
‘एनवायरमेंट वारियर्स’ बना जनआंदोलन
डॉ. सिंह द्वारा शुरू किया गया ‘एनवायरमेंट वारियर्स अभियान’ अब एक राज्यव्यापी जागरूकता आंदोलन बन चुका है, जिसमें अब तक निम्नलिखित कार्य संपन्न हो चुके हैं:
- 90 वन रक्षकों को साइकिल वितरित की गईं ताकि वे वन सुरक्षा का कार्य अधिक दक्षता से कर सकें।
- 15 वन कर्मियों को सम्मानित किया गया।
- 35 स्कूलों के 500 से अधिक छात्र वाद-विवाद, क्विज़ और ड्राइंग प्रतियोगिताओं के माध्यम से पर्यावरण रक्षकों के रूप में प्रशिक्षित हुए।
एक विधायक नहीं, एक दूरदर्शी नागरिक की आवाज़
डॉ. राजेश्वर सिंह का यह पत्र, यह सोच और यह सक्रियता एक राजनेता की सीमाओं से परे है। यह उस नागरिक की पुकार है जो आने वाले भारत को हरित, जीवंत और टिकाऊ देखना चाहता है।
यदि यह सुझाव स्वीकार होता है और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद में पर्यावरण शिक्षा को अनिवार्य विषय के रूप में जोड़ा जाता है, तो यह केवल राज्य ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणादायक कदम साबित होगा।