
- न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के नवनिर्मित कार्यालय भवन का उद्घाटन किया।
- कारागार मुख्यालय द्वारा आयोजित “एक जेल, एक प्रोडक्ट” स्टाल का निरीक्षण किया गया।
- न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान में एक दिवसीय संवेदीकरण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
- कार्यक्रम में विधिक सेवा प्राधिकरण की उपलब्धियों और बंदियों के पुनर्वास पर चर्चा की गई।
- तकनीकी सत्र में बंदियों को दी जा रही विधिक सहायता और किशोर न्याय अधिनियम पर व्याख्यान दिए गए।

लखनऊ, 18 जनवरी 2025: उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के नवनिर्मित कार्यालय भवन का उद्घाटन न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई, न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय एवं कार्यपालक अध्यक्ष, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली, द्वारा आज सुबह 10 बजे किया गया। उद्घाटन के पश्चात शिलापट्ट अनावरण और फीता काटने की औपचारिकता संपन्न की गई। इस अवसर पर न्यायमूर्ति गवई ने भवन परिसर में वृक्षारोपण भी किया।
जेल उत्पाद स्टाल का निरीक्षण
उद्घाटन के बाद न्यायमूर्ति गवई ने “एक जेल, एक प्रोडक्ट” स्टाल का निरीक्षण किया, जो कारागार मुख्यालय द्वारा आयोजित किया गया था। उन्होंने बंदियों के पुनर्वास के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और उनके जीवन सुधार के लिए कारागार विभाग के योगदान को महत्वपूर्ण बताया।
संवेदीकरण कार्यक्रम का शुभारंभ
न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान में आयोजित एक दिवसीय संवेदीकरण कार्यक्रम का शुभारंभ न्यायमूर्ति गवई द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इस कार्यक्रम में सर्वोच्च न्यायालय और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीशों ने भाग लिया। प्रमुख अतिथियों में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति अरुण भंसाली, न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता, न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा, और न्यायमूर्ति ए.आर. मसूदी उपस्थित रहे।
विचार-विमर्श और विशेष निर्देश
कार्यक्रम के दौरान, न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने विधिक सेवा प्राधिकरण की उपलब्धियों और लोक अदालतों के माध्यम से वादों के निस्तारण में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला। न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने बंदियों के मानवाधिकार और उनके पुनर्वास पर बल दिया, जबकि न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने अंडर ट्रायल रिव्यू कमेटी की भूमिका पर चर्चा की। मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति गवई ने राज्य प्राधिकरण के प्रयासों की सराहना की और इसे और अधिक सुदृढ़ करने पर जोर दिया।
तकनीकी सत्र और व्याख्यान
कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में पी.एन. पांडे (डीआईजी कारागार) और आशीष तिवारी (वरिष्ठ अधीक्षक, केंद्रीय कारागार फतेहगढ़) ने बंदियों को दी जा रही विधिक सहायता पर चर्चा की। ओंकार नाथ तिवारी (जीएलए यूनिवर्सिटी, मथुरा) ने किशोर न्याय अधिनियम और बालकों के अधिकारों पर व्याख्यान दिया।
सहभागिता और संचालन
इस कार्यक्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव, नवनियुक्त सिविल जज, समाज कल्याण अधिकारी, प्रोबेशन अधिकारी, कानूनी सहायता के अधिवक्ता, पराविधिक स्वयंसेवक, और विभिन्न लॉ कॉलेजों के छात्र उत्साहपूर्वक भाग ले रहे थे। कार्यक्रम का संचालन शिखा श्रीवास्तव और निशांत देव ने किया।
आभार प्रदर्शन और समापन
कार्यक्रम के अंत में न्यायमूर्ति ए.आर. मसूदी ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया और कार्यक्रम की सफलता पर संतोष व्यक्त किया।