
- डॉ. राजेश्वर सिंह ने अंबालिका इंस्टीट्यूट में AI की चुनौतियों और अवसरों पर विचार रखे।
- उन्होंने कहा कि 2045 तक मशीनें मानव बुद्धि से आगे निकल सकती हैं।
- उत्तर प्रदेश में AI इंटेलिजेंस सेंटर स्थापित करने की योजना पर प्रकाश डाला।
- AI के उपयोग से शासन, स्वास्थ्य, वित्त और साइबर सुरक्षा में क्रांति लाने पर जोर दिया।
- छात्रों को AI अनुसंधान और डिजिटल कौशल में दक्ष बनने के लिए प्रेरित किया।

लखनऊ, 08 मार्च 2025: वर्तमान समय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा तकनीकी परिवर्तन लाने वाली शक्ति बन चुकी है। भारत भी इस परिवर्तन के केंद्र में है, और देश को AI के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने की आवश्यकता है। इसी विषय पर विचार-विमर्श करने के लिए शनिवार को अंबालिका इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड साइंस, मोहनलालगंज में “कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में चुनौतियाँ और अवसर” विषय पर 8वीं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

इस महत्वपूर्ण संगोष्ठी में सरोजनीनगर से भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने बड़ी संख्या में उपस्थित इंजीनियरिंग छात्रों, शोधकर्ताओं और शिक्षकों को संबोधित करते हुए AI के महत्व, इसकी संभावनाओं और भारत के लिए इससे जुड़ी चुनौतियों पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
AI क्रांति: भारत के लिए अवसर और चुनौती

डॉ. राजेश्वर सिंह ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आने वाले समय में दुनिया को सबसे अधिक प्रभावित करने वाली तकनीक होगी। उन्होंने बताया कि 1950 में “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस” शब्द गढ़े जाने के बाद से इस क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति हुई है।
उन्होंने विशेषज्ञों के अनुमान का हवाला देते हुए कहा कि 2045 तक मशीनें मानव बुद्धि से आगे निकल सकती हैं। यह एक बड़ा बदलाव होगा, और भारत को इसके लिए पूरी तरह तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा कि AI सिर्फ एक तकनीक नहीं, बल्कि एक क्रांति है, और भारत को इसे अपनाने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि “भारत में हर साल लगभग 1.5 मिलियन इंजीनियर स्नातक होते हैं, लेकिन यदि वे AI और डिजिटल तकनीकों में दक्षता हासिल नहीं करेंगे, तो वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकते हैं।”
साथ ही उन्होंने कहा कि भारत के पास दुनिया की सबसे युवा जनसंख्या है, और अगर इस जनसंख्या को AI, मशीन लर्निंग और डेटा साइंस जैसी अत्याधुनिक तकनीकों में प्रशिक्षित किया जाए, तो भारत तकनीकी महाशक्ति बन सकता है।
AI विकास के लिए सरकार की पहल
डॉ. सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने AI अनुसंधान और विकास के लिए ₹10,371 करोड़ का बजट आवंटित किया है। इस निधि का उपयोग भारत को AI के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाने और डिजिटल इंडिया मिशन को सशक्त करने के लिए किया जा रहा है।
उन्होंने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार के प्रयासों के तहत सरोजनीनगर के नादरगंज में एक अत्याधुनिक AI इंटेलिजेंस सेंटर स्थापित किया जा रहा है। यह सेंटर फोरेंसिक साइंस, मशीन लर्निंग और प्रशासनिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और उत्तर प्रदेश को AI हब के रूप में विकसित करेगा।
साथ ही उन्होंने कहा कि “मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश तेजी से डिजिटल परिवर्तन की दिशा में बढ़ रहा है, और AI इसमें अहम भूमिका निभाएगा।”
AI के विभिन्न क्षेत्रों में प्रभाव
डॉ. राजेश्वर सिंह ने AI द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किए जा रहे सकारात्मक बदलावों का जिक्र करते हुए कुछ प्रमुख उदाहरण प्रस्तुत किए –
1. शासन और प्रशासन में AI का उपयोग
- कुंभ मेले में 65 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ प्रबंधन में AI ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- यातायात और सुरक्षा प्रबंधन में AI आधारित स्मार्ट कैमरों और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग किया जा रहा है।
2. बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में AI
- बैंकिंग सेक्टर में डिजिटल धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए AI आधारित साइबर सुरक्षा प्रणाली विकसित की जा रही है।
- ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को सुरक्षित बनाने के लिए AI का प्रयोग बढ़ रहा है।
3. स्वास्थ्य सेवाओं में AI की भूमिका
- AI की मदद से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का शुरुआती चरण में ही पता लगाया जा सकता है।
- रोगों के निदान और टेलीमेडिसिन सेवाओं में AI के बढ़ते उपयोग से सस्ती और कुशल स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हो रही हैं।
4. परिवहन और स्मार्ट शहरों में AI
- स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम AI की मदद से बेहतर हो रहा है।
- ड्राइवरलेस कारों और AI आधारित ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर तेजी से शोध किया जा रहा है।
AI से जुड़ी चुनौतियाँ और नैतिक चिंताएँ
डॉ. राजेश्वर सिंह ने AI से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नैतिक और सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर भी चर्चा की, जिनमें शामिल हैं –
1. रक्षा क्षेत्र में AI का प्रयोग
- युद्ध और सैन्य अभियानों में AI के उपयोग की सीमाएँ तय करना आवश्यक है।
- ड्रोन और ऑटोमेटेड हथियारों के बढ़ते उपयोग को नियंत्रित करने की जरूरत है।
2. साइबर सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी
- 2018 में जहां साइबर अपराध के 26,000 मामले थे, वहीं 2024 तक यह संख्या बढ़कर 26 लाख हो गई है।
- डेटा सुरक्षा और निजता बनाए रखने के लिए सख्त कानूनों की आवश्यकता है।
3. डिजिटल डिवाइड को कम करना
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच AI और डिजिटल साक्षरता की खाई को पाटना होगा।
- AI को सभी के लिए सुलभ बनाना आवश्यक है, ताकि कोई भी इससे वंचित न रहे।
डिजिटल साक्षरता और AI में भारतीय युवाओं की भागीदारी
डॉ. सिंह ने कहा कि AI को समझना अब एक विकल्प नहीं, बल्कि सफलता की कुंजी है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे AI अनुसंधान, कौशल विकास और नवाचार में सक्रिय रूप से भाग लें।
उन्होंने कहा कि –
“यदि भारत डिजिटल डिवाइड (डिजिटल अंतराल) को दूर नहीं करेगा, तो हम वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाएंगे।”
उन्होंने सरकार द्वारा स्टार्टअप्स और AI रिसर्च के लिए उपलब्ध कराई गई ₹10,371 करोड़ की निधि का अधिकतम लाभ उठाने की अपील की।
सम्मान और पुरस्कार वितरण
कार्यक्रम के दौरान, AI विषय पर आर्टिकल प्रस्तुत करने वाले विजेताओं को डॉ. राजेश्वर सिंह द्वारा ट्रॉफी प्रदान की गई।
इस संगोष्ठी में कई प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिनमें शामिल थे –
✅ अंबालिका इंस्टीट्यूट के चेयरमैन – अंबिका मिश्रा
✅ संस्थान के निदेशक – डॉ. अशुतोष द्विवेदी
✅ पूर्व IRS अधिकारी – रामेश्वर सिंह
✅ KSG (बेंगलुरु) के निदेशक – प्रो. के. एस. गुप्ता
✅ ब्रिगेडियर आर. के. सिंह
✅ लखनऊ विश्वविद्यालय, कंप्यूटर विज्ञान विभाग प्रमुख – डॉ. पुनीत मिश्रा
AI अपनाना समय की मांग
इस संगोष्ठी के माध्यम से डॉ. राजेश्वर सिंह ने AI के महत्व, अवसरों और चुनौतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने AI को भारत के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए युवाओं को इसमें दक्षता हासिल करने के लिए प्रेरित किया। “AI में भारत को केवल भागीदार नहीं, बल्कि एक वैश्विक नेता बनना होगा।”