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लखनऊ: आयुर्वेदिक औषधियों से घाव का त्वरित उपचार, वैज्ञानिक शोध से नई तकनीक विकसित, आयुष मंत्रालय द्वारा आयुर्वेदिक शोध कार्यों को बढ़ावा देने के लिए उपलब्ध कराया जा रहा अनुदान

आयुर्वेदिक औषधियों से घाव का त्वरित उपचार: वैज्ञानिक शोध से नई तकनीक विकसित
  • आयुर्वेदिक औषधियों पर वैज्ञानिक शोध से विकसित की गई तकनीक घावों के त्वरित उपचार में सहायक।
  • राजकीय आयुर्वेद कॉलेज लखनऊ में व्रण प्रबंधन पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन।
  • पद्म मनोरंजन साहू और ज्ञान चंद ने व्रण प्रबंधन पर अपने विचार साझा किए।
  • आईआईटी बीएचयू के तकनीकी सहयोग से विशेष पट्टी विकसित, जो मरीजों को घर पर ड्रेसिंग करने में सक्षम बनाती है।

लखनऊ, 18 जनवरी 2025– आधुनिक जीवनशैली में घावों के उपचार के लिए तेजी से काम करने वाली, बिना दुष्प्रभाव वाली तकनीक की आवश्यकता होती है। इस दिशा में आयुर्वेद की औषधियों पर वैज्ञानिक शोध के आधार पर विकसित की गई तकनीक ने एक नई राह दिखाई है।

यह बातें आयुष राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. दयाशंकर मिश्र दयालु ने राजकीय आयुर्वेद कॉलेज, टुडियागंज, लखनऊ में एक दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन के अवसर पर कहीं। कार्यक्रम का मुख्य विषय व्रण (घाव) प्रबंधन था।

संगोष्ठी का मुख्य आकर्षण:

इस संगोष्ठी में पद्म प्रो. मनोरंजन साहू, पूर्व निदेशक, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली, और प्रो. ज्ञान चंद, एंडोक्राइनोलॉजी विभाग, संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ, ने व्रण प्रबंधन पर अपने विचार साझा किए।

डॉ. दयाशंकर मिश्र दयालु ने कहा कि आयुर्वेदिक औषधियों के वैज्ञानिक शोध को जनहित में लाने के लिए प्रदेश सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इस शोध कार्य को आगे बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय द्वारा अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि लखनऊ के आयुर्वेद कॉलेज में हर प्रकार के घाव के इलाज की सुविधा उपलब्ध है।

आईआईटी बीएचयू और पीजीआई का तकनीकी सहयोग:

प्रो. मनोरंजन साहू ने बताया कि आयुर्वेद में वर्णित औषधियों को आईआईटी बीएचयू के तकनीकी सहयोग से एक विशेष प्रकार की पट्टी विकसित की गई है, जो घाव को जल्दी भरने में सहायक है। इस पट्टी के उपयोग से मरीज घर पर ही ड्रेसिंग कर सकता है, जिससे समय और खर्च दोनों की बचत होती है।

प्रो. ज्ञान चंद ने बताया कि पीजीआई लखनऊ द्वारा आयुर्वेदिक औषधियों के घाव की देखभाल में उपयोग पर किए गए शोध से उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं।

आयुर्वेद के माध्यम से घाव उपचार का भविष्य:

डॉ. दयालु ने कहा कि इस प्रकार के शोध कार्य आयुर्वेद के भविष्य को और मजबूत करेंगे और लोगों को आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ-साथ पारंपरिक आयुर्वेदिक उपचार का भी लाभ मिलेगा।

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