
- राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन: रिमोट सेंसिंग के माध्यम से सतत विकास की दिशा में उन्नति।
- प्रमुख सचिव का संबोधन: तकनीक और प्रशासन के समन्वय से समाज का समग्र सशक्तीकरण।
- प्रतिभागियों का सम्मान: विभिन्न श्रेणियों में नवाचार और उत्कृष्ट योगदान के लिए पुरस्कार।
- सतत विकास पर मंथन: नीति निर्माण में रिमोट सेंसिंग और डेटा इंटीग्रेशन की भूमिका पर चर्चा।
- गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति: कार्यक्रम में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्तियों का योगदान।

लखनऊ : 13 दिसम्बर 2024: लखनऊ में आयोजित प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संगोष्ठी “सतत भविष्य के लिए रिमोट सेंसिंग: विकसित भारत की ओर एक परिकल्पित मार्गदर्शन” का समापन उत्तर प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव, पंधारी यादव के प्रेरणादायक संबोधन के साथ हुआ। श्री यादव ने इस संगोष्ठी में रिमोट सेंसिंग और आधुनिक तकनीकों की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन ही निर्णय समर्थन प्रणाली को सशक्त बना सकता है। उन्होंने कहा कि राजस्व, वन, और भूमि प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में वैज्ञानिकों और प्रशासनिक तंत्र के बीच बेहतर समन्वय से राष्ट्र निर्माण को नई दिशा दी जा सकती है।

श्री यादव ने तकनीकी नवाचारों और अनुसंधान के प्रति भारतवासियों के स्वाभाविक उत्साह की सराहना करते हुए कहा कि “सशक्त भारत का निर्माण समाज के समग्र सशक्तीकरण के बिना संभव नहीं है।” उन्होंने संगोष्ठी में भाग लेने वाले विद्वानों, अधिकारियों और प्रतिभागियों के योगदान की सराहना की और “विकसित भारत” के लक्ष्य को साकार करने के लिए तकनीकी सहयोग और नवाचार को आवश्यक बताया।

इस संगोष्ठी में कई प्रतिभागियों को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया। ओरल प्रेजेंटेशन (छात्र) श्रेणी में पवन कुमार ठाकुर, आदिति गोयल और भवनीत गुलाटी को पुरस्कृत किया गया, जबकि पोस्टर प्रेजेंटेशन (छात्र) श्रेणी में सोनी बोरा, रश्मि मलिक और कृति वाजपेयी को सम्मानित किया गया। प्रतिनिधि श्रेणी में ओरल प्रेजेंटेशन के लिए रवींद्र कुमार नायक, पी.आर. बेहड़ा और एस.एस. साहू, तथा पोस्टर प्रेजेंटेशन के लिए मीनाक्षी कुमार, देबब्रत मिश्रा और डॉ. शशांक त्रिपाठी को सम्मान प्राप्त हुआ। इन पुरस्कारों ने नवाचार और योगदान को मान्यता प्रदान की।
संगोष्ठी ने सतत विकास के लिए रिमोट सेंसिंग की असीम संभावनाओं पर गहन चर्चा का मंच प्रदान किया। इस दौरान उभरती प्रौद्योगिकियों, डेटा इंटीग्रेशन, और नीति निर्माण में इन तकनीकों की भूमिका पर व्यापक मंथन हुआ। विशेषज्ञ वक्ताओं और शोधकर्ताओं ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों को शासन में पारदर्शिता और सुगमता सुनिश्चित करने का प्रमुख साधन बताया। कार्यक्रम के समापन पर यह संकल्प लिया गया कि प्रौद्योगिकी और नवाचार “विकसित भारत” के विजन को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाने में ए.के. अग्रवाल (पूर्व निदेशक, आरएसएसी-यू.पी. एवं अध्यक्ष, आईएसआरएस-लखनऊ चैप्टर), डॉ. एस.पी. अग्रवाल (अध्यक्ष, आईएसआरएस एवं निदेशक, एनईएसएसी, शिलांग), डॉ. प्रवीण के ठाकुर (सचिव, आईएसआरएस), डॉ.अनुज कुमार शर्मा (एसोसिएट डीन, इनोवेशन एंड सोशल एंटरप्रेन्योरशिप, एकेटीयू, लखनऊ) और डॉ. एम.एस. यादव (वैज्ञानिक – ‘एसई’ और प्रमुख, एसआरडी, आरएसएसी-यूपी और सचिव, आईएसआरएस-लखनऊ चैप्टर) जैसी हस्तियों की उपस्थिति रही।
यह संगोष्ठी “विकसित भारत” के लक्ष्य को साकार करने में प्रौद्योगिकी और प्रशासन के समन्वय की आवश्यकता को समझने और भविष्य की योजनाओं का खाका तैयार करने के लिए एक निर्णायक पहल साबित हुई।