
- 9 जिलों की सड़कों के नमूने जांच में फेल: कानपुर नगर, प्रतापगढ़, मुजफ्फरनगर, आजमगढ़ सहित 9 जिलों की सड़कों की गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरी।
- 36 सड़कों के नमूनों की जांच: इन जिलों में नवनिर्मित सड़कों से कुल 36 नमूने लिए गए थे, जिनमें से अधिकांश फेल हो गए।
- पीडब्ल्यूडी ने रिपोर्ट सौंपी: लोक निर्माण विभाग ने शासन को सौंपी रिपोर्ट में सड़कों की खराब गुणवत्ता उजागर की।
- गुणवत्ता सुधार के निर्देश: शासन ने दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई करने और सख्त मापदंड लागू करने के आदेश दिए।
- जनता की सुरक्षा पर सवाल: खराब सड़कों के कारण दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ा, जो जनता की सुरक्षा और सुविधाओं के लिए चिंताजनक है।
लखनऊ, 08 दिसम्बर 2024: उत्तर प्रदेश में नवनिर्मित सड़कों की गुणवत्ता को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। हाल ही में 9 जिलों की सड़कों की जांच के लिए लिए गए नमूने गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतर सके। इस जांच में कानपुर नगर, प्रतापगढ़, मुजफ्फरनगर, आजमगढ़, बलरामपुर, बदायूं, जालौन, बस्ती और गाजीपुर जिलों की सड़कों के नमूने फेल पाए गए। इससे पहले हरदोई जिले में भी सड़कों की गुणवत्ता पर सवाल उठे थे। इस रिपोर्ट ने राज्य के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
36 सड़कों के नमूनों की हुई थी जांच
पीडब्ल्यूडी मुख्यालय ने इन जिलों से कुल 36 सड़कों के नमूने जांच के लिए लिए थे। जांच का उद्देश्य सड़कों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना था। लेकिन अधिकांश नमूने गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतरे। रिपोर्ट के अनुसार, सड़कों में इस्तेमाल किए गए निर्माण सामग्री की गुणवत्ता बेहद खराब पाई गई। कई जगहों पर सड़क निर्माण में बेसिक मापदंडों का भी पालन नहीं किया गया।
सरकार ने दिए थे जांच के आदेश
प्रदेश सरकार ने हाल ही में नवनिर्मित सड़कों की गुणवत्ता जांच के लिए आदेश दिए थे। इन आदेशों के तहत, सड़कों के निर्माण में इस्तेमाल सामग्री और प्रक्रिया की जांच की गई। लेकिन रिपोर्ट में सामने आए नतीजों ने राज्य सरकार और पीडब्ल्यूडी विभाग के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। यह रिपोर्ट न केवल सरकारी धन के दुरुपयोग को उजागर करती है, बल्कि ठेकेदारों और अधिकारियों की लापरवाही का भी प्रमाण है।
पीडब्ल्यूडी ने रिपोर्ट सौंपी, कार्रवाई की तैयारी
पीडब्ल्यूडी मुख्यालय ने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। अब राज्य सरकार इस रिपोर्ट का परीक्षण करा रही है। रिपोर्ट में खराब गुणवत्ता के लिए जिम्मेदार ठेकेदारों और अधिकारियों की पहचान की जाएगी। मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया है। यह भी निर्देश दिया गया है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए सख्त मापदंड लागू किए जाएं।
लापरवाह अधिकारियों और ठेकेदारों पर गिर सकती है गाज
सरकार इस पूरे प्रकरण को लेकर बेहद सख्त नजर आ रही है। ऐसी संभावना है कि जांच में दोषी पाए गए अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, भविष्य में सड़कों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एक सख्त मॉनिटरिंग सिस्टम तैयार किया जाएगा।
यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है?
सड़कों की खराब गुणवत्ता सिर्फ एक प्रशासनिक समस्या नहीं है, बल्कि यह आम जनता की सुरक्षा और सुविधाओं से जुड़ा मुद्दा है। खराब सड़कों से न केवल दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता है, बल्कि इसका सीधा असर राज्य के विकास और नागरिकों के जीवन स्तर पर पड़ता है। इस मामले ने राज्य सरकार और पीडब्ल्यूडी विभाग के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत को रेखांकित किया है।