
- चार लाख से अधिक गरीब बेटियों का विवाह: मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना ने उत्तर प्रदेश में गरीब बेटियों को सम्मानजनक वैवाहिक जीवन की शुरुआत का अवसर दिया।
- 51,000 रुपये का सरकारी योगदान: हर जोड़े के विवाह पर योगी सरकार 51,000 रुपये खर्च करती है, जिसमें 35,000 रुपये वधू के खाते में सीधे जमा होते हैं।
- 2024-25 में 25,000 से अधिक जोड़ों का विवाह: चालू वित्तीय वर्ष में 600 करोड़ रुपये के बजट से अब तक हजारों जोड़ों का विवाह सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
- सामाजिक समरसता को बढ़ावा: विवाह समारोह हर धर्म और समुदाय के रीति-रिवाजों के अनुसार आयोजित होते हैं।
- ‘सबका साथ, सबका विकास’ का प्रतीक: यह योजना समाज में सामाजिक समानता, समर्पण, और सर्वधर्म समभाव को बढ़ावा देने का आदर्श उदाहरण है।
लखनऊ, 09 दिसम्बर 2024: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 2017 में शुरू की गई मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना प्रदेश के गरीब और वंचित परिवारों के लिए वरदान साबित हो रही है। यह योजना अब तक चार लाख से अधिक बेटियों के विवाह का खर्च उठाकर उनके परिवारों को आर्थिक राहत और सामाजिक सुरक्षा प्रदान कर चुकी है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य गरीब परिवारों को सम्मानजनक तरीके से अपनी बेटियों का विवाह कराने में सहायता करना है।
2024-25 में 25,000 से अधिक जोड़ों का विवाह
चालू वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक 25,000 से अधिक जोड़ों का विवाह इस योजना के तहत कराया जा चुका है। राज्य सरकार ने इसके लिए 600 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है, जिसमें से आधे से अधिक धनराशि जिलों में स्थानांतरित हो चुकी है। योजना का लाभ वार्षिक आय सीमा 2 लाख रुपये तक के सभी वर्गों के परिवारों को मिल रहा है।
प्रत्येक जोड़े पर 51,000 रुपये का खर्च
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत प्रत्येक जोड़े पर 51,000 रुपये का खर्च किया जाता है। इसमें:
- 35,000 रुपये वधू के खाते में सीधे जमा किए जाते हैं।
- 10,000 रुपये कपड़े, गहने और अन्य जरूरी वस्तुओं की व्यवस्था के लिए खर्च होते हैं।
- 6,000 रुपये विवाह समारोह की व्यवस्थाओं पर खर्च किए जाते हैं।
गोरखपुर, रामपुर और बिजनौर बने अग्रणी जिले
इस योजना के तहत गोरखपुर, रामपुर और बिजनौर में सबसे अधिक जोड़ों का विवाह संपन्न हुआ है। गोरखपुर में 1,678, रामपुर में 1,653, और बिजनौर में 1,974 जोड़ों का विवाह योजना के तहत कराया गया। यह कार्यक्रम हर धर्म और समुदाय के रीति-रिवाजों के अनुसार आयोजित किया जाता है, जिससे समाज में सामाजिक समरसता और आपसी सहयोग को बढ़ावा मिलता है।
सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता का उत्सव
इस योजना की सबसे बड़ी खासियत इसकी समावेशिता है। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और अन्य समुदायों के रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह समारोह आयोजित किए जाते हैं। यह पहल समाज में सर्वधर्म समभाव और सामाजिक समानता के आदर्श को प्रोत्साहित करती है।
योजना के लाभार्थियों की संख्या में वृद्धि
बीते वर्षों में इस योजना के लाभार्थियों की संख्या में निरंतर वृद्धि देखी गई है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में 22,780 जोड़े इस योजना का लाभ उठा चुके थे, जबकि 2023-24 तक यह संख्या 1,04,940 तक पहुंच गई।
‘सबका साथ, सबका विकास’ का आदर्श उदाहरण
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सामूहिक विवाह योजना राज्य में ‘सबका साथ, सबका विकास’ के विजन का आदर्श उदाहरण है। यह योजना न केवल आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को राहत प्रदान करती है, बल्कि सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक विविधता को भी मजबूत करती है।