
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आउटसोर्स कर्मियों का न्यूनतम मानदेय ₹18,000 करने की घोषणा की।राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने इस निर्णय का स्वागत किया और इसे ऐतिहासिक कदम बताया।
- परिषद ने आशा बहुओं को भी ₹18,000 फिक्स मानदेय में लाने की मांग की।
- आउटसोर्स कर्मियों के लिए नियमावली बनाने की जरूरत बताई गई, जिससे चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता आए।
- इस फैसले से प्रदेश के 5 लाख से अधिक आउटसोर्स कर्मचारियों को लाभ होगा।
लखनऊ, 28 फरवरी 2025: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है। अब आउटसोर्स कर्मियों को न्यूनतम ₹18,000 प्रति माह का मानदेय मिलेगा, जिससे लाखों कर्मचारियों को लाभ होगा। इस निर्णय का राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने स्वागत किया है और इसे कर्मियों के हित में एक ऐतिहासिक फैसला बताया है।
परिषद के अध्यक्ष जे.एन. तिवारी ने कहा कि विगत एक वर्ष से परिषद इस मांग को लेकर प्रयासरत थी, और मुख्यमंत्री के इस फैसले से करीब 5 लाख कर्मियों को सीधा फायदा होगा। साथ ही, परिषद ने मुख्यमंत्री से आशा बहुओं को भी ₹18,000 फिक्स मानदेय की परिधि में लाने की मांग की है।
आउटसोर्स कर्मियों के हित में सरकार का बड़ा फैसला
प्रदेश में सरकारी विभागों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मी लंबे समय से अपने मानदेय में बढ़ोतरी की मांग कर रहे थे। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने मुख्यमंत्री से दो बार इस मुद्दे पर मुलाकात की थी और इस विषय पर सरकार का ध्यान आकर्षित किया था।
इस निर्णय से प्रदेश के स्वास्थ्य, शिक्षा, नगर निगम, जल निगम, बिजली विभाग सहित विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मियों को सीधा लाभ मिलेगा। पहले जहां कुछ कर्मियों को ₹12,000 से ₹16,000 तक मानदेय मिलता था, अब न्यूनतम ₹18,000 सुनिश्चित कर दिया गया है।
परिषद ने की आशा बहुओं के लिए भी मानदेय वृद्धि की मांग
परिषद के अध्यक्ष जे.एन. तिवारी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अनुरोध किया कि आशा बहुओं को भी इस निर्णय के तहत लाया जाए। उन्होंने कहा कि आशा बहुएं प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्र की रीढ़ हैं, और उन्हें ₹18,000 का फिक्स मानदेय दिया जाना चाहिए।
परिषद का कहना है कि यदि आशा बहुओं को भी इस श्रेणी में शामिल किया जाता है, तो इससे उनके सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में बड़ा सुधार होगा और वे और अधिक समर्पित होकर कार्य कर सकेंगी।
आउटसोर्स कर्मियों के लिए नियमावली बनाने की जरूरत
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने सरकार से आउटसोर्स कर्मियों के लिए एक स्पष्ट नियमावली बनाने की भी मांग की है। परिषद का मानना है कि इससे चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और कर्मियों को उनके अधिकार मिल सकेंगे।
परिषद के पदाधिकारियों ने यह भी कहा कि वर्तमान में कई विभागों में अस्थायी आधार पर आउटसोर्स कर्मियों की भर्ती होती है, जिससे उनके भविष्य की सुरक्षा पर सवाल उठता है। यदि सरकार एक ठोस नियमावली बनाती है, तो इससे कर्मियों को न केवल स्थिरता मिलेगी, बल्कि उनके काम में गुणवत्ता भी सुनिश्चित होगी।
सीएम योगी के फैसले का जोरदार स्वागत
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे.एन. तिवारी, कार्यवाहक अध्यक्ष निरंजन कुमार श्रीवास्तव, वरिष्ठ उपाध्यक्ष नारायण दुबे, महामंत्री अरुणा शुक्ला, उपाध्यक्ष त्रिलोकी नाथ चौरसिया, प्रीति पांडे, ओमप्रकाश पांडे और राजेश निराला सहित कई पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस फैसले का स्वागत किया, परिषद ने कहा कि यह निर्णय आउटसोर्स कर्मियों के लिए आर्थिक संबल प्रदान करेगा और उनके मानसिक तनाव को भी कम करेगा।
उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम आउटसोर्स कर्मियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने इस फैसले को सराहनीय बताते हुए नियमावली निर्माण और आशा बहुओं के मानदेय वृद्धि की मांग की है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इन अतिरिक्त मांगों पर क्या कदम उठाती है।