
- राणा सांगा पर दिए गए बयान को लेकर सपा सांसद रामजीलाल सुमन पर मथुरा एमपी-एमएलए कोर्ट में वाद दायर किया गया है।
- वादी पक्ष (एडवोकेट रीना एन सिंह और कथावाचक कौशल किशोर ठाकुर) का कहना है कि यह बयान ऐतिहासिक तथ्यों के विरुद्ध है।
- मथुरा बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अधिवक्ता किशन सिंह ने इस वाद को दायर किया, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया है।
- अब कानूनी प्रक्रिया के तहत सांसद को अदालत में अपना पक्ष रखना होगा।
नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन के खिलाफ मथुरा के एमपी-एमएलए कोर्ट में वाद दायर किया गया है। यह वाद सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट रीना एन. सिंह और कथावाचक कौशल किशोर ठाकुर महाराज द्वारा दाखिल किया गया। मामला राज्यसभा में राणा सांगा को गद्दार कहने और उन पर बाबर को भारत आमंत्रित करने का आरोप लगाने से जुड़ा है।
मामला क्या है?
हाल ही में राज्यसभा में दिए गए एक बयान में सांसद रामजीलाल सुमन ने मेवाड़ के महान योद्धा राणा सांगा पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि राणा सांगा ने मुगल शासक बाबर को भारत बुलाया था, जिससे भारतीय इतिहास को बड़ा नुकसान हुआ। इस बयान को इतिहास के तथ्यों के विपरीत और समाज में विद्वेष फैलाने वाला बताया गया।
एडवोकेट रीना एन सिंह और कथावाचक कौशल किशोर ठाकुर ने इस बयान को राष्ट्र नायकों का अपमान बताते हुए मथुरा एमपी-एमएलए कोर्ट में वाद दायर किया, जिसे विशेष न्यायालय ने स्वीकार कर लिया है।
वादी पक्ष का क्या कहना है?
एडवोकेट रीना एन सिंह ने कहा कि,
“मुगल आक्रांता बाबर के बारे में सबसे विश्वसनीय ग्रंथ ‘बाबरनामा’ में कहीं भी यह नहीं लिखा गया है कि राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया था। बल्कि यह लिखा गया है कि बाबर केवल राणा सांगा से ही डरता था।”
उन्होंने आगे कहा,
“ऐसे बयान ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करने का प्रयास हैं, जो समाज में भ्रम और वैमनस्य पैदा कर सकते हैं। किसी भी राजनीतिक दल के नेता को ऐसा कोई बयान नहीं देना चाहिए जिससे समाज में विद्वेष उत्पन्न हो।”
कथावाचक कौशल किशोर ठाकुर महाराज ने भी इस बयान की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि,
“राणा सांगा भारत के महान योद्धाओं में से एक थे, जिन्होंने मुगलों और विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ संघर्ष किया। उनके योगदान को गलत तरीके से प्रस्तुत करना न केवल इतिहास से छेड़छाड़ है, बल्कि देशभक्तों का अपमान भी है।”
अदालत में केस की स्थिति
यह वाद मथुरा बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अधिवक्ता किशन सिंह के माध्यम से दाखिल किया गया, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया है। अब आगे की सुनवाई में सांसद रामजीलाल सुमन को अपना पक्ष रखना होगा।
विपक्ष और जनता की प्रतिक्रिया
सांसद रामजीलाल सुमन के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में भी कड़ी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। भाजपा और हिंदू संगठनों ने इस बयान की कड़ी निंदा की और इसे राष्ट्र नायकों के अपमान के रूप में देखा। इतिहासकारों और शिक्षाविदों का कहना है कि ऐसे बयान ऐतिहासिक तथ्यों के खिलाफ हैं और समाज में गलत संदेश देते हैं।
अब इस मामले में अदालत क्या फैसला देती है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। सांसद रामजीलाल सुमन को अब इस केस में कानूनी प्रक्रिया का सामना करना होगा। यह मामला इतिहास, राजनीति और न्यायपालिका के त्रिकोण में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।