
- विदेशी संतों की भागीदारी: जापान, स्पेन और नेपाल से आए संतों ने महाकुंभ के दिव्य और भव्य स्वरूप की प्रशंसा की।
- सुव्यवस्थित आयोजन: एयर कनेक्टिविटी और ट्रांसपोर्टेशन की उत्कृष्ट व्यवस्था ने आयोजन को विश्वस्तरीय बनाया।
- स्वच्छता पर जोर: सैनिटेशन पर फोकस करते हुए स्वच्छता को प्राथमिकता दी गई है।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग: डिजिटल सूचना प्रणाली से श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए सुविधाएं आसान हुईं।
- सनातन धर्म का वैश्विक प्रचार: योगी सरकार के प्रयासों से महाकुंभ ने सनातन संस्कृति को वैश्विक मंच पर प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया।
महाकुंभ नगर/प्रयागराज: महाकुंभ 2025 के आयोजन की तैयारी उत्तर प्रदेश सरकार के नेतृत्व में पूरे जोश और भव्यता के साथ की जा रही है। योगी सरकार के प्रयासों से प्रयागराज में हो रहे इस महाकुंभ ने न केवल देश के साधु-संतों को बल्कि विदेश से आए संतों को भी मंत्रमुग्ध कर दिया है। जापान, स्पेन और नेपाल जैसे देशों से आए साधु-संत यहां की सुव्यवस्थित व्यवस्था और सनातन संस्कृति के महापर्व की दिव्यता से अभिभूत हैं।
विदेशी संतों को रास आ रहा है प्रयागराज का नव्य महाकुंभ
जैसे-जैसे महाकुंभ की तिथियां नजदीक आ रही हैं, वैसे-वैसे प्रयागराज के अखाड़ा सेक्टर में साधु-संतों की उपस्थिति बढ़ती जा रही है। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा की छावनी में जापानी साध्वी योग माता और महामंडलेश्वर केको ने अपने गुरुओं के साथ हिस्सा लिया। योग माता ने बताया कि महाकुंभ के आयोजन में ट्रांसपोर्टेशन और एयर कनेक्टिविटी की उत्कृष्ट व्यवस्था ने आयोजन को विश्वस्तरीय बना दिया है। वहीं, नेपाल से आई महामंडलेश्वर हेमा नंद गिरी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि संत मुख्यमंत्री द्वारा किए जा रहे इस दिव्य और भव्य आयोजन ने सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार नेपाल समेत दुनियाभर में तेज किया है।
स्वच्छता और डिजिटलाइजेशन पर जोर
योगी सरकार के प्रयासों से महाकुंभ 2025 न केवल भव्य और दिव्य है बल्कि स्वच्छ और डिजिटल रूप से भी अत्यंत संगठित है। स्पेन से आई अवधूत अंजना गिरी (पूर्व नाम एंजिला) ने बताया कि वह पिछले 30 वर्षों से महाकुंभ में आती रही हैं, लेकिन इस बार का अनुभव बिल्कुल अलग है। सैनिटेशन पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिससे सभी जगह स्वच्छता बनी हुई है। “डिजिटल प्लेटफॉर्म पर मिलने वाली सूचनाएं विदेशी पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए बेहद सहायक हैं,” उन्होंने कहा।
फ्रांस से आए ब्रूनो गिरी ने महाकुंभ की व्यवस्था को सराहा। उन्होंने कहा कि वह पहले भी दो बार इस महापर्व में शामिल हो चुके हैं, लेकिन इस बार का अनुभव बेहद अलग है। प्रयागराज का बदला हुआ स्वरूप और उत्सव का माहौल देखकर वे बेहद खुश हैं।
संतों की उपस्थिति से महाकुंभ का बढ़ा गौरव
महाकुंभ में देश-विदेश के संत न केवल सनातन संस्कृति की महिमा का अनुभव कर रहे हैं, बल्कि अपने गुरुओं के साथ साधना करने की तैयारी में भी जुटे हुए हैं। नेपाल, जापान और स्पेन से आए संतों ने आयोजन में शामिल होकर इसे और अधिक गौरवशाली बना दिया है।
योगी सरकार द्वारा ‘अतिथि देवो भव:’ की परंपरा को निभाने और महाकुंभ को सुव्यवस्थित एवं स्वच्छ बनाने के प्रयासों की हर कोई प्रशंसा कर रहा है।