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महाकुंभ 2025: गंगा पंडाल में शास्त्रीय और लोक कला का अनूठा संगम

महाकुंभ 2025: गंगा पंडाल में शास्त्रीय और लोक कला का अनूठा संगम
  • सोनक चक्रवर्ती ने किराने घराने के भजनों से गंगा पंडाल में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया।
  • पद्मश्री डॉ. आनंदा शंकर जयंत की भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
  • राजेन्द्र प्रसन्ना की बांसुरी की मधुर धुनों ने श्रोताओं को कृष्ण-रस में डुबो दिया।
  • तबला वादक पंडित अभिषेक मिश्रा ने बांसुरी वादन को अपने तबले की थाप से सजीव बनाया।
  • संस्कृति विभाग और मंत्रालय के अधिकारी कार्यक्रम में उपस्थित रहे, जिससे आयोजन की भव्यता बढ़ी।

महाकुंभनगर, 19 जनवरी 2025: महाकुंभ 2025 के सेक्टर 1 में स्थित गंगा पंडाल ने आज शास्त्रीय और लोक कला के अभूतपूर्व संगम का मंचन देखा। इस आयोजन में प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक सोनक चक्रवर्ती, पद्मश्री डॉ. आनंदा शंकर जयंत, और बांसुरी वादक राजेन्द्र प्रसन्ना ने अपने अद्वितीय प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

सोनक चक्रवर्ती की राग आधारित भजनों से शुरुआत

कार्यक्रम की शुरुआत किराने घराने के शास्त्रीय गायक सोनक चक्रवर्ती ने की। उस्ताद मशकूर अली खां और उस्ताद मुबारक अली खां के शिष्य चक्रवर्ती ने “चलो मन गंगा यमुना तीर” और “जब जानकीनाथ सहाय करें” जैसे भजनों से पंडाल में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत की परंपरा और उत्कृष्टता का प्रदर्शन किया, जिससे दर्शक आत्मिक अनुभव से अभिभूत हुए।

पद्मश्री डॉ. आनंदा शंकर जयंत की मनमोहक नृत्य प्रस्तुति

भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी की प्रख्यात नृत्यांगना पद्मश्री डॉ. आनंदा शंकर जयंत ने “गणपति तालानम” से अपनी प्रस्तुति की शुरुआत की। उनकी नृत्य रचनाएं “देवी उपासकम” और “शिवोहम” ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी नृत्य प्रस्तुति ने भारतीय संस्कृति की गहराई और नृत्य कला की भव्यता को जीवंत कर दिया।

राजेन्द्र प्रसन्ना की बांसुरी की मधुर धुन

कार्यक्रम के अगले भाग में बांसुरी वादक राजेन्द्र प्रसन्ना ने राग यमन और बनारसी दादरा में अपनी बांसुरी की मधुर धुनें प्रस्तुत कीं। “श्याम बजाए वन में मुरलिया” और “रास रचाए गोपियन संग” जैसी धुनों से उन्होंने श्रोताओं को कृष्ण-रस में डुबो दिया। तबला वादक पंडित अभिषेक मिश्रा ने अपनी थाप से इस प्रस्तुति को और अधिक सजीव बना दिया।

अधिकारियों और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति

कार्यक्रम में संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश के कार्यक्रम अधिशासी कमलेश कुमार पाठक, संस्कृति विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. सुभाष यादव, और संस्कृति मंत्रालय की वरिष्ठ सलाहकार गौरी बसु की उपस्थिति ने आयोजन को गरिमामय बना दिया।

गंगा पंडाल का सांस्कृतिक महत्व

गंगा पंडाल में हुए इस कार्यक्रम ने महाकुंभ के सांस्कृतिक पहलू को उजागर किया, जहां शास्त्रीय संगीत, नृत्य, और लोक कला के माध्यम से भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि का प्रदर्शन किया गया।

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