
- प्रयागराज महाकुंभ 2025 में आधुनिक तकनीक का अधिकतम उपयोग किया गया है।
- ऊर्जा विभाग ने बिजली के खंभों की जीआईएस मैपिंग कर उनकी भौगोलिक स्थिति को चिन्हित किया है।
- प्रत्येक खंभे को एक संख्या दी गई है, जिससे खंभे की लोकेशन स्पष्ट होती है।
- खंभों पर लगाए गए क्यूआर (QR) कोड से तीर्थयात्री अपनी समस्या दर्ज कर सकते हैं, जिससे प्रशासन तुरंत सहायता प्रदान कर सके।
- बिजली के खंभों पर लगी लाइटें तीर्थयात्रियों को मेले में रास्ता दिखाने में मदद करेंगी।

लखनऊ। 13 जनवरी 2025: प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला 2025 आधुनिक तकनीक और मशीनों के सहयोग से संचालित किया जा रहा है। इस महाकुंभ मेले के आयोजन और प्रबंधन में न केवल मानवीय पुरुषार्थ का बल्कि अत्याधुनिक तकनीकों का भी अधिकतम उपयोग किया गया है। ऊर्जा विभाग ने तीर्थयात्रियों की सहायता के लिए एक अनोखा नवाचार किया है, जो मेले की सुरक्षा और सुविधा को और अधिक सशक्त बनाता है।
ऊर्जा विभाग का अनोखा नवाचार:
ऊर्जा विभाग ने महाकुंभ मेले में बिजली के खंभों का विशेष प्रबंधन किया है। इन खंभों की जीआईएस मैपिंग कर उनकी भौगोलिक स्थिति को चिन्हित किया गया है। प्रत्येक खंभे को एक संख्या दी गई है, जो उस पर अंकित है। यह संख्या न केवल खंभे की लोकेशन को स्पष्ट करती है बल्कि इसे पुलिस या प्रशासनिक सहायता के लिए भी उपयोग में लाया जा सकता है।
यदि कोई तीर्थयात्री अपने परिवार से बिछड़ जाता है या किसी समस्या में फंस जाता है, तो वह नजदीकी सहायता काउंटर या हेल्पलाइन पर खंभे की संख्या और अपनी समस्या बताकर तुरंत सहायता प्राप्त कर सकता है।
इसके अतिरिक्त, प्रत्येक खंभे पर एक क्यूआर (QR) कोड भी लगाया गया है। तीर्थयात्री इसे अपने स्मार्टफोन से स्कैन कर सकते हैं, जिससे एक छोटा सा फॉर्म खुल जाएगा। इस फॉर्म में वे अपना नाम, फोन नंबर और समस्या दर्ज कर सकते हैं। सबमिट करने के बाद प्रशासनिक अधिकारी तीर्थयात्री तक पहुँचकर उसकी मदद करेंगे।
बिजली के खंभों पर लगी लाइटें मेले में रास्ता दिखाने में भी सहायक होंगी। तीर्थयात्रियों को इस सुविधा का भरपूर लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।