
- डॉ. राजेश्वर सिंह ने सपा पर पीडीए के नाम पर सामान्य वर्ग की उपेक्षा का आरोप लगाया।
- ट्वीट में उन्होंने समाजवादी पार्टी को “जातिवाद की राजनीति” करने वाला बताया।
- ‘समाजवाद नहीं, समाज का घात है’ कहकर उन्होंने सपा की वैचारिक दिशा पर सवाल उठाए।
- उन्होंने पूछा कि “21वीं सदी की सोच कब अपनाएगी समाजवादी पार्टी?”
- राणा सांगा पर सपा सांसद के बयान को लेकर डॉ. सिंह ने पार्टी की चुप्पी पर आक्रोश जताया।
लखनऊ, 11 अप्रैल 2025: सरोजनीनगर से भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने समाजवादी पार्टी की जातिवादी राजनीति पर एक तीखा,प्रहार करते हुए गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि सपा द्वारा पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की राजनीति के नाम पर समाज को केवल विभाजित किया गया है, और सामान्य वर्ग की लगातार उपेक्षा की गई है।
अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल से जारी संदेश में डॉ. सिंह ने लिखा:
“ना पछतावा, ना शर्म — बस जातिवाद की राजनीति!
कभी रामभक्तों पर गोली चलवाने वाले,
कभी औरंगजेब के समर्थकों के साथ,
कभी राणा सांगा जी को गालियां देने वालों,
तो कभी प्रभु राम की निंदा करने वालों के साथ…!!”
सरोजनीनगर विधायक ने यह भी जोड़ा कि सपा की राजनीति समाजवाद के नाम पर समाज को तोड़ने का काम कर रही है। जिसमें न विकास का सपना है, न समरसता की भावना। उन्होंने कहा ”यह समाजवाद नहीं, यह ‘समाज का घात’ है”
“जिसने प्रदेश को पीछे धकेला,
और देश को कमजोर कर रहे,
जिनके पीडीए में सामान्य वर्ग का कोई स्थान नहीं, कोई सम्मान नहीं है!
केवल बांटने की नीति,
तुष्टिकरण की राजनीति,
यही समाजवादी सोच का प्रमाण है।”
अपने ट्वीट के अंतिम हिस्से समाजवादी पार्टी पर तंज करते हुए विधायक ने लिखा :
“मुझे उस दिन का इंतज़ार है,
जब समाजवादी पार्टी जातिवाद की ज़ंजीर तोड़ेगी, 21वीं सदी की सोच अपनाएगी,
डिजिटल युग के अनुकूल कुछ बात करेगी।
पर अभी तो…
ना विकास का सपना, ना समरसता की धार,
सिर्फ़ जाति की गिनती, और वोट का हिसाब,
जातिवाद, जातिवाद और जातिवाद,
यही समाजवादी पार्टी का असली रूप है !!”
डॉ. सिंह का यह संदेश ऐसे समय में आया है जब समाजवादी पार्टी के एक राज्यसभा सांसद द्वारा राणा सांगा पर दिए गए विवादित बयान पर राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रिया देखी जा रही है। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा अपनी पार्टी के नेता का यह कहकर बचाव किया गया कि उक्त वक्तव्य को राज्यसभा को कार्यवाही से निकाल दिया गया। सपा प्रमुख के बयान से एक बार फिर राणा सांगा पर आस्था रखने वाले वर्ग को निराशा ही हाथ लगी है।