
- महाकुंभ 2025 का पहला स्नान सोमवार, 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन होगा, जो सुबह 5:03 बजे से शुरू होगा।
- मकर संक्रांति के दिन पहला शाही स्नान ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 5:27 बजे से 6:21 बजे तक होगा।
- विजय मुहूर्त दोपहर 2:15 बजे से 2:57 बजे तक रहेगा, जो स्नान के लिए शुभ समय है।
- गोधूलि मुहूर्त शाम 5:42 बजे से 6:09 बजे तक रहेगा, जो धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
- महाकुंभ 2025 में 144 साल बाद बनने वाला दुर्लभ शुभ संयोग इसे विशेष धार्मिक महत्व प्रदान करेगा।
महाकुम्भ नगर/प्रयागराज/लखनऊ, 12 जनवरी 2025: प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के पावन स्नान से होगी। इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में स्नान कर अपनी आत्मा को शुद्ध करेंगे और पुण्य अर्जित करेंगे। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत सुबह 5:03 बजे से होगी, जो श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिन धार्मिक दृष्टि से बहुत शुभ माना जाता है।
पहला शाही स्नान: मकर संक्रांति पर ब्रह्म मुहूर्त में
महाकुंभ 2025 का पहला शाही स्नान मकर संक्रांति के पावन अवसर पर होगा। इस दिन का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:27 बजे से 6:21 बजे तक रहेगा। शाही स्नान के दौरान विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत और महंत संगम में स्नान करेंगे। यह आयोजन महाकुंभ के मुख्य आकर्षणों में से एक होता है, जहां संतों का भव्य जुलूस और उनके द्वारा संगम में स्नान करना एक विशेष आध्यात्मिक माहौल बनाता है।
अन्य शुभ मुहूर्त: विजय और गोधूलि
शाही स्नान के दिन विजय मुहूर्त दोपहर 2:15 बजे से 2:57 बजे तक रहेगा, जो स्नान के लिए अत्यंत शुभ समय माना जाता है। इसके अलावा, गोधूलि मुहूर्त शाम 5:42 बजे से 6:09 बजे तक होगा। यह समय भी धार्मिक अनुष्ठानों और स्नान के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह दिन के अंत में आने वाला शुभ समय होता है।
144 साल बाद दुर्लभ शुभ संयोग
महाकुंभ 2025 में 144 साल बाद एक दुर्लभ शुभ संयोग बन रहा है। इस संयोग के कारण इस महाकुंभ का महत्व और भी बढ़ जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस विशेष संयोग के दौरान संगम में स्नान करने से कई गुना अधिक पुण्य फल की प्राप्ति होती है। श्रद्धालु इस मौके पर अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं और आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होते हैं।
महाकुंभ की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता
महाकुंभ भारतीय संस्कृति और धर्म का एक ऐसा पर्व है, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु और साधु-संत एकत्रित होते हैं। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और परंपराओं का संगम भी है। महाकुंभ के दौरान विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, भजन-कीर्तन, और आध्यात्मिक प्रवचन भी आयोजित किए जाते हैं, जो इस पर्व को और भी विशेष बनाते हैं।
प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का आयोजन एक ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की घटना है, जिसमें श्रद्धालु स्नान कर अपनी आत्मा को शुद्ध करेंगे और पुण्य अर्जित करेंगे। 144 साल बाद बनने वाला दुर्लभ शुभ संयोग इस महाकुंभ को और भी खास बनाता है। लाखों श्रद्धालु इस अवसर पर संगम में स्नान कर अपनी धार्मिक और आध्यात्मिक यात्रा को सार्थक बनाएंगे।
यह विस्तृत जानकारी महाकुंभ 2025 के आयोजन को समझने में मदद करेगी और श्रद्धालुओं को इस पवित्र पर्व की तैयारियों में सहायता करेगी।