
- प्रयागराज नगर निगम के 150 साल पुराने भवन का 9 करोड़ रुपये की लागत से जीर्णोद्धार किया जा रहा है।
- भवन के निर्माण में पारंपरिक सामग्री जैसे गुड़, दाल, चूना, और बेलगिरी का उपयोग किया जा रहा है।
- महाकुंभ 2025 से पहले भवन को संरक्षित कर नया स्वरूप दिया जाएगा।
- फसाड लाइटिंग और पर्यावरण-अनुकूल तकनीक से भवन को पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाया जाएगा।
- योगी सरकार द्वारा प्रयागराज की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने का प्रयास जारी है।
प्रयागराज, 30 दिसम्बर 2024: महाकुंभ, भारत की सनातनी परंपराओं और संस्कृति का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। जनवरी 2025 में प्रयागराज में आयोजित होने वाले इस भव्य महापर्व को अद्वितीय बनाने की तैयारियां जोरों पर हैं। योगी सरकार ने इस आयोजन को दिव्य और भव्य स्वरूप देने के साथ-साथ प्रयागराज की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण और संवर्धन का भी बीड़ा उठाया है। इसी क्रम में प्रयागराज नगर निगम के 150 साल पुराने भवन का जीर्णोद्धार किया जा रहा है, जो महाकुंभ में श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बनेगा।
नगर निगम का ऐतिहासिक भवन: एक धरोहर
प्रयागराज नगर निगम का यह भवन 1865 के आसपास ब्रिटिश काल में ‘ग्रेट नॉर्दर्न’ होटल के रूप में बनाया गया था। बाद में इसे प्रशासनिक भवन में बदल दिया गया और फिर नगर निगम कार्यालय के रूप में उपयोग किया गया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यह भवन बुद्धिजीवियों की बैठक का प्रमुख स्थान था। इस भवन में स्वतंत्रता से जुड़े कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए।
दिसंबर 2020 में इस भवन की एक छत गिरने के बाद इसे गिराकर नया भवन बनाने का विचार किया गया। लेकिन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), एमएनआईटी प्रयागराज और आईआईटी मुंबई जैसे संस्थानों के परामर्श के बाद इस ऐतिहासिक इमारत को संरक्षित करने का निर्णय लिया गया। अब 9 करोड़ रुपये की लागत से इस भवन का जीर्णोद्धार किया जा रहा है।
पारंपरिक सामग्री से किया जा रहा है निर्माण
यह भवन पर्यावरण-अनुकूल पारंपरिक सामग्रियों से बनाया गया था। उसी तर्ज पर इसके जीर्णोद्धार के लिए भी पारंपरिक सामग्री का उपयोग किया जा रहा है।
- भवन के निर्माण में गुड़, उड़द की दाल, मेथी, बेलगिरी, चूना और सुरखी जैसी सामग्रियों का उपयोग हो रहा है।
- इन सामग्रियों को मध्य प्रदेश के कटनी और अन्य राज्यों से मंगवाया गया है।
- सीमेंट, बालू, और टाइलों जैसी आधुनिक सामग्रियों को हटाकर इसे इसके मूल स्वरूप में वापस लाने का प्रयास हो रहा है।
पारंपरिक सामग्रियों के उपयोग से यह भवन गर्मी में ठंडा रहेगा और ठंड में गर्म। यह तरीका पर्यावरण के अनुकूल है और इससे एयर कंडीशनिंग की जरूरत भी कम होगी।
भवन में होंगे ये बदलाव
- फसाड लाइटिंग का उपयोग: जीर्णोद्धार के बाद इस भवन में आकर्षक रोशनी लगाई जाएगी, जो रात में इसकी भव्यता को और बढ़ाएगी।
- पुराने स्वरूप की बहाली: आधुनिक मरम्मत के दौरान लगाए गए सीमेंट प्लास्टर, टाइलें, और अन्य चीजें हटा दी जाएंगी।
- म्यूजियम की झलक: इस भवन में पहले प्रयागराज म्यूजियम हुआ करता था, जिसके साक्ष्य अब भी यहां मौजूद हैं। इन्हें संरक्षित किया जाएगा।
महाकुंभ 2025 तक होगा तैयार
नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि यह ऐतिहासिक भवन महाकुंभ से पहले अपने नए स्वरूप में तैयार हो जाएगा। इसके बाद श्रद्धालु और पर्यटक इस धरोहर का दीदार कर सकेंगे।
नगर आयुक्त चंद्र मोहन गर्ग ने कहा, “यह भवन प्रयागराज की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है। इसके संरक्षण से न केवल नगर निगम का गौरव बढ़ेगा, बल्कि यह महाकुंभ में पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बनेगा।”
योगी सरकार का धरोहर संरक्षण पर जोर
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार महाकुंभ को न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी एक अद्वितीय आयोजन बनाने की दिशा में काम कर रही है। सरकार प्रयागराज की धरोहरों को संरक्षित करने और उन्हें पर्यटकों के लिए और अधिक आकर्षक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
नगर निगम भवन का जीर्णोद्धार इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो पर्यावरण-अनुकूल निर्माण तकनीकों और सांस्कृतिक संवर्धन का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करेगा।