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पहलगाम आतंकी हमले के बाद सपा प्रमुख की चुप्पी पर भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह का तीखा हमला: वोटबैंक की राजनीति का लगाया आरोप, कहा- आपके बयानों में राष्ट्र का स्वर नहीं, पाकिस्तान का नैरेटिव झलकता है

पहलगाम आतंकी हमले के बाद सपा प्रमुख की चुप्पी पर भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह का तीखा हमला: वोटबैंक की राजनीति का लगाया आरोप, कहा- आपके बयानों में राष्ट्र का स्वर नहीं, पाकिस्तान का नैरेटिव झलकता है
  • पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 हिंदू तीर्थयात्रियों की नृशंस हत्या ने देश को झकझोर दिया।
  • डॉ. राजेश्वर सिंह ने अखिलेश यादव पर तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति का आरोप लगाया।
  • डॉ. सिंह ने पूछा – शहीदों के परिवारों से मिलने में परहेज, लेकिन माफिया के घर संवेदना क्यों?

लखनऊ: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद देशभर में आक्रोश का माहौल है। वहीं इस गंभीर मसले पर समाजवादी पार्टी की चुप्पी और पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के दोहरे रवैये पर भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने तीखा हमला बोला है। सरोजनीनगर से विधायक डॉ. सिंह ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर अखिलेश यादव को निशाने पर लेते हुए उन्हें तुष्टिकरण और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति का प्रतीक बताया।

डॉ. राजेश्वर सिंह ने पूछा – “क्या शहीदों के दर्द से भी वोटबैंक जोड़ेंगे?”

डॉ. राजेश्वर सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा:

“आज जब देश आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट है, तब भी सपा प्रमुख तुष्टिकरण, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और वोटबैंक की घृणित राजनीति में लिप्त हैं।”

उन्होंने सवाल उठाया कि 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष हिंदू तीर्थयात्रियों की हत्या के बाद देशभर में जहां एक स्वर में निंदा हो रही थी, वहीं सपा प्रमुख ने न सिर्फ चुप्पी साधी, बल्कि शहीद शुभम द्विवेदी के परिवार से मिलने तक से इनकार कर दिया।

“अखिलेश यादव का यह कहना कि ‘उस परिवार से मेरा कोई संबंध नहीं है’, बेहद शर्मनाक है। क्या हिंदू तीर्थयात्रियों की हत्या से उन्हें कोई सरोकार नहीं?”

“मुख्तार अंसारी पर संवेदना, शहीदों पर चुप्पी – यही दोहरा चरित्र है”: डॉ. सिंह का हमला

डॉ. सिंह ने अखिलेश यादव के उस रवैये की भी आलोचना की जिसमें उन्होंने माफिया मुख्तार अंसारी की मृत्यु पर उसके घर जाकर संवेदना जताई थी, लेकिन आतंकी हमले में मारे गए शुभम द्विवेदी जैसे मासूमों के परिवार के प्रति कोई मानवीयता नहीं दिखाई।

उन्होंने तीखे शब्दों में कहा –

“जब एक खूंखार माफिया की मौत होती है, तो सपा प्रमुख घर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। लेकिन जब निर्दोष नागरिक आतंकी हमले में मारे जाते हैं, तब उन्हें यह तक कहने की फुर्सत नहीं होती कि वे दुखी हैं। क्या यही आपकी नैतिकता है?”

“आतंकवादियों को बचाने वालों का इतिहास है समाजवादी पार्टी का”

डॉ. सिंह ने 2013 की घटना का हवाला देते हुए कहा कि उस समय अखिलेश यादव की सरकार ने 21 कुख्यात आतंकियों के मुकदमे वापस लेने की कोशिश की थी, जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था –

“क्या आप आतंकियों को पद्म भूषण देना चाहते हैं?”

उन्होंने कहा कि आज भी सपा वही पुराना रास्ता अपना रही है – जहां बाबर और औरंगज़ेब जैसे हमलावरों की प्रशंसा की जाती है और राणा सांगा, छत्रपति संभाजी महाराज जैसे राष्ट्रभक्तों का अपमान।

“आपकी चुप्पी इस्लामाबाद के समर्थन में क्यों बदल जाती है?”

अपने कटाक्ष में डॉ. सिंह ने कहा:

“क्या आपका झुकाव आज भी इस्लामाबाद की ओर है? आप आतंकियों के खिलाफ नहीं बोलते, सेना पर सवाल उठाते हैं और तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं – यह राष्ट्रहित नहीं, राष्ट्रविरोध है।”

डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि अखिलेश यादव को यह बताना चाहिए कि सर्वदलीय बैठक में वह क्यों नहीं पहुंचे? क्यों उन्होंने आतंकी घटना के बाद राष्ट्र के साथ खड़े होने की बजाय मौन रहकर विभाजनकारी राजनीति को हवा दी?

“महाकुंभ तक को वोट बैंक के चश्मे से देखते हैं”

भाजपा विधायक ने कहा कि जो लोग महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजनों को भी वोट बैंक की राजनीति से जोड़कर देखते हैं, वे न तो धर्म के हैं, न ही राष्ट्र के।

“यह समय एकजुटता का है, लेकिन कुछ लोग इसे भी धार्मिक और राजनैतिक ध्रुवीकरण का अवसर बना रहे हैं – यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।”

“जनता सब देख रही है, और जवाब भी देगी!”

खबर के अंत में डॉ. राजेश्वर सिंह ने देशवासियों से आह्वान करते हुए कहा:

“जब देश आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई चाहता है, तब कुछ राजनीतिक दल देश को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अब जनता भ्रमित नहीं होगी। वह देख भी रही है और सही समय पर जवाब भी देगी।”

डॉ. राजेश्वर सिंह का यह बयान सिर्फ राजनीतिक आलोचना नहीं बल्कि एक राष्ट्रवादी चेतावनी भी है – कि आतंकवाद, तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति अब नहीं चलेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस समय भारत को एकजुटता चाहिए, न कि विभाजनकारी बयानबाज़

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