HomeMahakumbh- 2025पतित को पावन बनाने का पर्व है महाकुंभ- प्रयागपुत्र राकेश कुमार शुक्ला

पतित को पावन बनाने का पर्व है महाकुंभ- प्रयागपुत्र राकेश कुमार शुक्ला

पतित को पावन बनाने का पर्व है महाकुंभ- प्रयागपुत्र राकेश कुमार शुक्ला
  • महाकुंभ: अध्यात्म, संस्कृति और मानवता का संगम, पतित को पावन बनाने का पर्व।
  • महाकुंभ के चार आयाम: आध्यात्मिक परिकल्पना, प्रबंधन, अर्थव्यवस्था और वैश्विक भागीदारी।
  • सनातन धर्म का उद्देश्य: मानव मात्र का कल्याण और धर्म का वास्तविक स्वरूप।
  • डिजिटल डिटॉक्स का माध्यम: श्रद्धालुओं को रील से रियल जीवन की ओर प्रेरित करता है।
  • महाकुंभ 2025 की तैयारियां: भारतीय संस्कृति को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का अवसर।

प्रयागराज, 30 दिसंबर: महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह सनातन संस्कृति और मानवता का अद्वितीय संगम है। यह पर्व करीब डेढ़ माह तक चलता है और दुनिया भर से करोड़ों श्रद्धालु इसमें भाग लेने आते हैं। महाकुंभ अध्यात्म, संस्कृति और समाज का एक ऐसा मंच है, जहां मानवता के कल्याण का संदेश प्रसारित किया जाता है। प्रयागपुत्र राकेश कुमार शुक्ला, जो मेला विशेषज्ञ और 2019 कुंभ में केंद्र सरकार के विशेष सलाहकार रह चुके हैं, ने महाकुंभ के महत्व और इसकी मूल भावना पर विस्तार से चर्चा की।

महाकुंभ का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व

महाकुंभ मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत है। इसे केवल एक मेला मानना इसकी पवित्रता और महत्व को कमतर आंकने जैसा होगा। राकेश शुक्ला ने इसे “पतित को पावन बनाने का पर्व” बताया और कहा कि यह जीवन को पुनः आध्यात्मिकता और सत्य की ओर ले जाने का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने महाकुंभ को डिजिटल डिटॉक्स का माध्यम बताते हुए कहा कि श्रद्धालु यहां रील की बजाय रियल जीवन जीने का अनुभव करते हैं। कल्पवास, ध्यान, तप, और सत्संग के माध्यम से यह पर्व आत्ममंथन का अद्भुत अवसर है।

महाकुंभ के चार आयाम

राकेश शुक्ला ने महाकुंभ को चार मुख्य हिस्सों में बांटते हुए इसे श्रद्धालुओं के लिए समझना आवश्यक बताया:

  1. आध्यात्मिक परिकल्पना: ऋषि-मुनियों और संतों के सत्संग एवं विचारों से शुरू होने वाला पर्व।
  2. प्रबंधन: श्रद्धालुओं और संतों के लिए कुशल और सुव्यवस्थित व्यवस्था।
  3. अर्थव्यवस्था: स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक उन्नति का साधन।
  4. वैश्विक भागीदारी: विदेशी श्रद्धालुओं और साधकों का आना, जिससे भारत की संस्कृति का प्रसार होता है।

सनातन धर्म का उद्देश्य: मानव मात्र का कल्याण

महाकुंभ सनातन वैदिक हिंदू धर्म का एक ऐसा आयोजन है, जिसका उद्देश्य केवल धार्मिकता नहीं, बल्कि मानवता का व्यापक कल्याण है। राकेश शुक्ला ने कहा कि संतों के संदेश से प्रेरित होकर समाज को यह समझना चाहिए कि व्यवसाय में धर्म होना चाहिए, न कि धर्म का व्यवसाय। यह पर्व अध्यात्म और सेवा का संदेश देता है।

डिजिटल युग में रियल जीवन का अनुभव

महाकुंभ को राकेश शुक्ला ने डिजिटल डिटॉक्स का अद्वितीय अवसर बताया। यहां श्रद्धालु तकनीक से दूर होकर प्रकृति, अध्यात्म और मानवता के करीब आते हैं। कल्पवास के माध्यम से श्रद्धालु जीवन के वास्तविक अर्थ को समझने का प्रयास करते हैं।

महाकुंभ 2025: आयोजन की तैयारियां जोरों पर

महाकुंभ 2025 के आयोजन को लेकर प्रयागराज में तैयारियां जोरों पर हैं। यह आयोजन दुनिया भर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा और भारतीय संस्कृति के महत्व को वैश्विक स्तर पर उजागर करेगा। मेला प्रबंधन, सुरक्षा व्यवस्था, और आध्यात्मिक कार्यक्रमों की योजनाएं अभी से तैयार की जा रही हैं।

संदेश: धर्म में व्यवसाय नहीं, व्यवसाय में धर्म हो

राकेश शुक्ला ने महाकुंभ को “ईश्वरीय संविधान की शक्ति से संचालित पर्व” बताया और कहा कि यह मानवता के कल्याण का माध्यम है। उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की कि वे इस पर्व को केवल मेला न समझें, बल्कि इसकी पवित्रता और महत्व को आत्मसात करें।

महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह मानवता की सांस्कृतिक धरोहर है। यह पर्व आध्यात्मिक शांति, पवित्रता और मानवता के अद्भुत संदेश को प्रसारित करता है। श्रद्धालु इस महापर्व में भाग लेकर जीवन के वास्तविक अर्थ और उद्देश्य को समझ सकते हैं।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments