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निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र चुनाव पर लगाए गए आरोपों को खारिज किया, तथ्यों के साथ किया बिंदुवार खंडन

  • महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 6.4 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने पारदर्शी तरीके से किया मतदान।
  • अंतिम दो घंटे में 65 लाख वोटिंग को लेकर उठाए गए सवाल निराधार साबित।
  • सभी बूथों पर राजनीतिक दलों के अधिकृत एजेंटों की मौजूदगी में सम्पन्न हुई मतदान प्रक्रिया।
  • 9.77 करोड़ मतदाताओं में से केवल 90 शिकायतें दर्ज – आरोपों की विश्वसनीयता पर सवाल।
  • निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस को पहले ही सभी तथ्यों के साथ भेजा था विस्तृत स्पष्टीकरण।

नई दिल्ली/लखनऊ, 22 अप्रैल, 2025: भारत निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर फैलाए जा रहे भ्रामक दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए तथ्यों के आधार पर बिंदुवार खंडन जारी किया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी, विधिसम्मत और बहुदलीय निगरानी में सम्पन्न हुई है। नीचे आयोग द्वारा जारी किए गए छह प्रमुख बिंदु प्रस्तुत हैं:

1. मतदान आंकड़ों को लेकर फैलाया जा रहा भ्रम

महाराष्ट्र विधानसभा निर्वाचन के दौरान सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान केंद्र पर पहुंचे 6,40,87,588 मतदाताओं ने मतदान किया।

औसतन प्रति घंटे करीब 58 लाख वोट डाले गए।

इन औसत रुझानों के अनुसार, मतदान के अन्तिम दो घंटों में लगभग 116 लाख मतदाताओं ने मतदान किया।

इसलिए, दो घंटों में मतदाताओं द्वारा 65 लाख वोट डालना औसत प्रति घंटे मतदान रुझानों से काफी कम है।

हर मतदेय स्थल पर मतदान, उम्मीदवारों / राजनीतिक दलों द्वारा औपचारिक रूप से नियुक्त मतदान एजेंटों की उपस्थिति में हुआ।

2. मतदान प्रक्रिया राजनीतिक दलों की निगरानी में सम्पन्न

कांग्रेस के नामित उम्मीदवारों या उनके अधिकृत एजेंटों ने रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) और निर्वाचन प्रेक्षकों के समक्ष जाँच के समय किसी असामान्य मतदान के संबंध में कोई सिद्ध आरोप नहीं लगाया है।

3. मतदाता सूचियाँ विधिसम्मत प्रक्रिया से तैयार

महाराष्ट्र सहित भारत में मतदाता सूचियाँ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम, 1960 के अनुसार तैयार की जाती हैं।

चुनावों से ठीक पहले और/या प्रत्येक वर्ष एक बार, मतदाता सूचियों का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण आयोजित किया जाता है।

अंतिम मतदाता सूची भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) सहित सभी राष्ट्रीय/राज्यीय राजनीतिक दलों को उपलब्ध करायी जाती है।

4. नाम मात्र की आपत्तियाँ दर्शाती हैं प्रक्रिया की पारदर्शिता

महाराष्ट्र निर्वाचन के दौरान मतदाता सूचियों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद, 9,77,90,752 मतदाताओं के सापेक्ष:

प्रथम अपीलीय प्राधिकारी (डीएम) के समक्ष केवल 89 अपीलें,

द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी (सीईओ) के समक्ष केवल 01 अपील दायर की गई।

यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि 2024 में हुए चुनावों से पहले कांग्रेस या किसी अन्य राजनीतिक दल को कोई गंभीर शिकायत नहीं थी।

5. सभी दलों की सहभागिता से नियुक्त किए गए एजेंट

मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण के दौरान, 1,00,427 मतदेय स्थलों के लिए:

97,325 बूथ लेवल अधिकारी (EROs द्वारा नियुक्त)

कांग्रेस के 27,099 एजेंटों सहित सभी राजनीतिक दलों द्वारा कुल 1,03,727 बूथ लेवल एजेंट नियुक्त किए गए।

इसलिए, मतदाता सूची के विरुद्ध लगाए गए ये निराधार आरोप विधि के शासन का अपमान हैं।

6. पूर्व में कांग्रेस को भेजा गया था विस्तृत स्पष्टीकरण

निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस को 24 दिसंबर 2024 को भेजे गए अपने उत्तर में उपरोक्त सभी तथ्य सामने रखे थे।

यह उत्तर निर्वाचन आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर भी उपलब्ध है।

यह प्रतीत होता है कि ऐसे प्रकरण बार-बार उठाते समय इन सभी तथ्यों को पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है।

सभी भारतीय चुनाव विधि के अनुसार आयोजित किए जाते हैं।

भारत में जिस पैमाने और सटीकता के साथ चुनाव आयोजित होते हैं, उसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा की जाती है।

मतदाता सूची तैयार करने, मतदान और मतगणना आदि प्रत्येक प्रक्रिया सरकारी कर्मचारियों द्वारा, और वह भी राजनीतिक दलों के अधिकृत प्रतिनिधियों की उपस्थिति में सम्पन्न होती है।

गलत सूचना फैलाने पर आयोग का कड़ा संदेश

“किसी भी व्यक्ति द्वारा फैलाई गई कोई भी गलत सूचना न केवल कानून के प्रति अनादर का संकेत है, बल्कि उनके स्वयं के राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त हजारों प्रतिनिधियों के लिए भी अपयश लाती है तथा लाखों निर्वाचन कर्मचारियों का मनोबल गिराती है, जो चुनावों के दौरान अथक और पारदर्शी तरीके से काम करते हैं।”

“मतदाताओं द्वारा किसी भी प्रतिकूल निर्णय के बाद, इसे समझौतापूर्ण कहकर निर्वाचन आयोग को बदनाम करने की कोशिश पूरी तरह से असंगत है।”

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