
- डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने भारत को ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था और सशक्त समाज की नींव प्रदान की।
- यूपीआई, डिजीलॉकर और कोविन जैसी सेवाएँ करोड़ों जिंदगियों को सरल और सुगम बना रही हैं।
- परिवेश पोर्टल ने पर्यावरणीय स्वीकृति प्रक्रियाओं को तेज और पारदर्शी बनाया।
- यूपीआई का उपयोग अब सात देशों में किया जा रहा है, जिसमें फ्रांस में इसका विस्तार यूरोप में पहली बार हुआ है।
- डिजिटल इंडिया ने भारत को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई और अन्य देशों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना।

केंद्रीय विदेश और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री, श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने नई दिल्ली स्थित पर्यावरण भवन में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी पर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने डिजिटल इंडिया की सफलता और उसके प्रभावों पर विस्तार से प्रकाश डाला। श्री सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के कारण भारत में डिजिटल क्रांति संभव हुई है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम, जिसकी शुरुआत 01 जुलाई 2015 को हुई थी, का उद्देश्य देश को एक ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था और डिजिटल रूप से सशक्त समाज में परिवर्तित करना था। इस पहल ने भारत के डिजिटल इकोसिस्टम को मजबूत किया है और नागरिकों के जीवन को बदलने में अहम भूमिका निभाई है।
डिजिटल सेवाओं का व्यापक असर
श्री सिंह ने डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत शुरू की गई सेवाओं की सराहना करते हुए कहा कि ये सेवाएँ लोगों के जीवन को सरल बना रही हैं। यूपीआई, डिजीलॉकर, कोविन, आरोग्य सेतु, ई-संजीवनी, उमंग, जेम, दिक्षा, और ई-कोर्ट जैसे प्लेटफॉर्म ने भारत को डिजिटल युग में आगे बढ़ाया है। उन्होंने बताया कि यूपीआई के माध्यम से एक क्लिक में भुगतान करना और डिजीलॉकर के जरिए दस्तावेज़ सुरक्षित रखना अब हर भारतीय के लिए संभव हो गया है। यह तकनीकी परिवर्तन न केवल सुविधा प्रदान करता है बल्कि भ्रष्टाचार को भी खत्म करने में सहायक सिद्ध हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर राजधानी से ₹100 निकलते हैं, तो वह पूरे ₹100 लाभार्थियों तक पहुँचते हैं।
पर्यावरणीय प्रक्रियाओं में डिजिटल क्रांति
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में डिजिटल प्रक्रियाओं के योगदान का उल्लेख करते हुए श्री सिंह ने परिवेश पोर्टल की सराहना की। उन्होंने कहा कि पहले पर्यावरणीय स्वीकृति (एनवायरनमेंटल क्लीयरेंस) के लिए महीनों का समय लगता था, लेकिन अब इस प्रक्रिया को डिजिटल माध्यम से तेज और पारदर्शी बना दिया गया है। परिवेश पोर्टल के माध्यम से पर्यावरणीय क्लीयरेंस शीघ्रता से प्रदान की जा रही है, जिससे न केवल समय की बचत हो रही है, बल्कि भ्रष्टाचार की संभावनाएँ भी समाप्त हो गई हैं।
यूपीआई: भारत की वैश्विक पहचान
डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में भारत की सफलता पर प्रकाश डालते हुए श्री सिंह ने बताया कि यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) ने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है। वर्तमान में यूपीआई का उपयोग सात देशों- यूएई, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस में किया जा रहा है। फ्रांस में यूपीआई की शुरुआत विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पहली बार यूरोप में डिजिटल भुगतान प्रणाली के रूप में अपनी जगह बना पाया है। श्री सिंह ने बताया कि यूपीआई का वैश्विक विस्तार भारतीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों को विदेशों में भी भुगतान करने और प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
डिजिटल इंडिया की वैश्विक सराहना
श्री सिंह ने कहा कि डिजिटल इंडिया ने न केवल भारत को वैश्विक मंच पर स्थापित किया है, बल्कि दूसरे देशों के लिए भी एक मिसाल कायम की है। जब वह विदेश दौरे पर जाते हैं, तो वहाँ के सरकारी प्रतिनिधि और आम लोग भारत की डिजिटल क्रांति की प्रशंसा करते हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विजन और दृढ़ संकल्प का परिणाम है कि आज पूरी दुनिया भारत की डिजिटल पहल की सराहना कर रही है।
डिजिटल इंडिया की उपलब्धियाँ
उन्होंने बताया कि डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के कारण अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी इंटरनेट की पहुँच आसान हो गई है। यह पहल न केवल शहरी बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी डिजिटल समावेशन को बढ़ावा दे रही है। इसके अलावा, भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) का उपयोग करने के लिए कई देशों ने भारत के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत का डिजिटल इकोसिस्टम अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी विश्वसनीय और प्रशंसनीय हो गया है।