
- 1971 के युद्ध की कहानी सुनकर छलक उठीं आँखें ।
कौशांबी, 16 दिसम्बर 2024: हर साल 16 दिसम्बर को भारत 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर अपनी निर्णायक जीत का सम्मान करने और अपने सैनिकों के वीर बलिदान को श्रद्धांजलि देने के लिए विजय दिवस मनाता है। वैसे तो भारत के जवानों का सम्मान देश के कोने कोने में होता है।लेकिन उत्तर प्रदेश का इकलौता ऐसा करारी थाना हैं जहां पहली बार गौरवान्वित और भावुकता देखने को मिला है। विजय दिवस के अवसर पर सोमवार को करारी थाना परिसर में पूर्व सैनिक कल्याण समिति कौशाम्बी के अध्यक्षता में सन 1971 के युद्ध का 53वां विजय दिवस मनाया गया।

53वीं वर्षगाँठ के मौके पर 1971 के इस युद्ध में अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर शहीदों को याद करने एवं सन् 1962, सन् 1965 एवं सन् 1971 की लड़ाई में भाग लेने वाले पूर्व सैनिकों, वीर नारियों एवं बुजुर्ग पूर्व सैनिकों को सम्मानित करने के लिए करारी प्रभारी निरीक्षक विनीत सिंह के द्वारा एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता व संचालन समिति के जिलाध्यक्ष पूर्व हवलदार दशस्थ लाल करवरिया ने किया।उक्त आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में सदर क्षेत्राधिकारी सत्येन्द्र तिवारी रहे। समिति संस्था के संस्थापक/संरक्षक पूर्व सुबेदार शारदा प्रसाद वर्मा एवं जिलाध्यक्ष पूर्व हवलदार दशस्थ लाल करवरिया के आवाहन पर जनपद के सैकड़ों पूर्व सैनिक एवं वीर नारियाँ शामिल हुए। प्रभारी निरीक्षक विनीत सिंह ने आयोजन में पधारे सभी पूर्व सैनिकों, वीर नारियों एवं उनके आश्रितों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया।

सन् 1971 के युद्ध में सक्रिय भाग लेने वाले कैप्टन श्रीनाथ सिंह, सुबेदार मेजर जय नारायण मिश्रा, नायब सुबेदार रमाकान्त मिश्रा, सिपाही मूरध्वज सिंह, सिपाही शीतल प्रसाद सिंह, एफ०एफ०ओ० मोती लाल मिश्रा, नायक चन्दन सिंह, कैप्टन बड़े लाल तिवारी एवं कारगिल युद्ध में सक्रिय भाग लेने वाले पूर्व हवलदार दशरथ लाल करवरिया (जिलाध्यक्ष) ने सन् 1962, सन् 1965, सन् 1971 एवं कारगिल युद्ध के अनुभव साझा किया।सीओ सत्येन्द्र तिवारी ने उपरोक्त सभी युद्ध विजेताओं के द्वारा दी गई महत्वपूर्ण जानकारियों को रुचिपूर्वक सीधे-सरल शब्दों में व्याख्या की, जिससे इन युद्धों की तत्कालीन कठिन परिस्थितियाँ परिदृश्य हो गईं। इस दौरान परिसर में उपस्थित सभी लोगों की आँखें छलक उठी। सदर सीओ और थाना प्रभारी के द्वारा द्वारा उपरोक्त युद्धों में सक्रिय भाग लेने वाले जीवित पूर्व सैनिकों को पुष्प गुच्छ देते हुए अंगवस्त्र (शॉल) भेंट कर स्वागत किया गया। इसके साथ ही वीर नारियों को भी अंगवस्त्र (शॉल) भेंट कर स्वागत किया।
कार्यक्रम के समापन के बाद प्रभारी निरीक्षक विनीत सिंह ने मुख्य अतिथि सहित सभी को स्वल्पाहार के लिए आमंत्रित किया तथा सभी पूर्व सैनिकों एवं वीर नारियों एवं उनके आश्रितों ने स्वल्पाहार किया। सभी पूर्व सैनिकों ने करारी पुलिस स्टाफ के द्वारा दिए गए आतिथ्य की भूरि-भूरि प्रशंसा की, जो अपने आप में एक अनुपम पहल है। ‘पूर्व सैनिक कल्याण समिति, जनपद-कौशाम्बी के जिलाध्यक्ष पूर्व हवलदार दशरथ लाल करवरिया ने सभी पूर्व सैनिकों एवं वीर नारियों की तरफ से प्रभारी निरीक्षक थाना करारी का आभार व्यक्त किया एवं उन्हें धन्यवाद दिया। पूर्व सैनिकों ने भारत माता की जय एवं वन्दे मातरम् के जयकारों से समारोह का विसर्जन किया।
पूर्व सैनिक कल्याण समिति कौशाम्बी के संस्थापक/संरक्षक पूर्व सुबेदार शारदा प्रसाद वर्मा के मुताबिक सन् 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच दिनांक 03 दिसम्बर से 16 दिसम्बर तक चले 13 दिवसीय युद्ध (आपरेशन कैक्टस लिली) की परिणित पूर्वी पाकिस्तान में 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों के साथ पाकिस्तानी पूर्वी कमान्ड के कमान्डर लेफ्टीनेन्ट जनरल ए०ए०के० नियाजी द्वारा भारतीय पूर्वी कमान्ड के जनरल ऑफिसर कमान्डिग-इन-चीफ लेफ्टीनेन्ट जनरल जगजीत सिंह अरोरा के समक्ष हार मान कर आत्मसमर्पण करने से हुई। इसी के साथ एक नये राष्ट्र बांग्लादेश का अभ्युदय हुआ। हर साल 16 दिसम्बर को भारत 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर अपनी निर्णायक जीत का सम्मान करने और अपने सैनिकों के वीर बलिदान को श्रद्धांजलि देने के लिए विजय दिवस मनाता है। इस ऐतिहासिक घटना ने न केवल एक सैन्य विजय को चिह्नित किया, बल्कि एक नए राष्ट्र बांग्लादेश के निर्माण को भी चिहिनत किया।