
- वेंटिलेटर का विवेकपूर्ण उपयोग: डॉ फरहा ने बताया कि हर सांस रोगी को वेंटिलेटर पर रखना फायदेमंद नहीं है और यह कई बार मरीज के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
- टीबी पर भारत की सफलता: डॉ सूर्यकांत ने बताया कि भारत ने टीबी रोगियों की संख्या में 17.3% और मृत्यु दर में 18% की कमी की है।
- वायु प्रदूषण से सांस के रोग: प्रो. कमर रहमान ने वायु प्रदूषण और परोक्ष धूम्रपान को सांस संबंधी बीमारियों का बड़ा कारण बताया।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता: केजीएमयू की कुलपति ने भारत और अमेरिका के बीच अनुसंधान और अनुभव साझा करने पर जोर दिया।
- व्यापक भागीदारी: कार्यक्रम में 100 से अधिक चिकित्सक और 400 से अधिक ऑनलाइन प्रतिभागी शामिल हुए।
लखनऊ, 10 दिसम्बर 2024: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लखनऊ के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग में एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ड्रग रेजिस्टेंस टीबी केयर और पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन सेंटर द्वारा आयोजित किया गया। यह पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन सेंटर उत्तर प्रदेश का पहला ऐसा केंद्र है, जो सांस से जुड़ी बीमारियों के उपचार और पुनर्वास के लिए समर्पित है।
इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक और प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ फरहा खान ने भाग लिया। उन्होंने अपने अनुभव और विचार साझा करते हुए टीबी और सांस संबंधी अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज पर चर्चा की। इस व्याख्यान में 100 से अधिक चिकित्सक, शोध छात्र और स्वास्थ्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे, जबकि 400 से अधिक प्रतिभागियों ने ऑनलाइन जुड़कर इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
डॉ फरहा का अनुभव और सुझाव
डॉ फरहा ने बताया कि उनके अस्पताल में कई बार अन्य देशों से गंभीर टीबी रोगी आते हैं, जिनका इलाज करने का उनके पास पर्याप्त अनुभव है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत में टीबी के रोगियों की संख्या और उनके इलाज का तरीका विश्व स्तर पर अद्वितीय है। उन्होंने अपने अनुभव के एक कठिन एक्सडीआर (एक्सटेंसिवली ड्रग रेजिस्टेंट) टीबी रोगी का मामला प्रस्तुत किया और बताया कि कैसे उन्होंने इस चुनौतीपूर्ण रोगी का सफलतापूर्वक इलाज किया।
डॉ फरहा ने गंभीर सांस रोगियों के लिए वेंटिलेटर के उपयोग पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि हर गंभीर सांस रोगी को वेंटिलेटर पर रखना आवश्यक नहीं है और यह कई बार नुकसानदेह हो सकता है। लंबे समय तक वेंटिलेटर पर रखने से मरीज को वेंटिलेटर एसोसिएटेड निमोनिया होने का खतरा रहता है, जिससे रोगी की स्थिति और बिगड़ सकती है।
उन्होंने सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) पर अमेरिका में किए जा रहे शोध और नवीनतम उपचार विधियों की भी जानकारी दी।
डॉ सूर्यकांत का वक्तव्य: भारत का टीबी नियंत्रण कार्यक्रम वैश्विक रोल मॉडल
रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष और कार्यक्रम संयोजक डॉ सूर्यकांत ने बताया कि भारत, टीबी नियंत्रण में वैश्विक नेता के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ की ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत ने 17.3% टीबी रोगियों की संख्या और 18% मृत्यु दर को कम करने में सफलता पाई है। यह भारत के मजबूत टीबी नियंत्रण कार्यक्रम का प्रमाण है, जिसे आज पूरी दुनिया मान्यता दे रही है।
डॉ सूर्यकांत ने यह भी बताया कि दुनिया के 29% एक्सडीआर टीबी रोगी भारत में पाए जाते हैं, जिससे भारत इस चुनौती का मुकाबला करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत के पास इतने व्यापक अनुभव हैं कि वह न केवल अमेरिका बल्कि अन्य देशों को भी टीबी के इलाज में प्रशिक्षित कर सकता है।
वायु प्रदूषण और धूम्रपान से बचने की सलाह
कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजिकल रिसर्च की पूर्व उपनिदेशक प्रो. कमर रहमान ने वायु प्रदूषण और धूम्रपान को सांस की बीमारियों का बड़ा कारण बताया। उन्होंने परोक्ष धूम्रपान, लकड़ी के चूल्हे से निकलने वाले धुएं और वायु प्रदूषण को सांस संबंधी रोगियों के लिए खतरनाक बताया। उन्होंने सभी को धूम्रपान न करने और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की सलाह दी।
केजीएमयू की कुलपति ने सहयोग बढ़ाने पर दिया जोर
केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग को इस सफल आयोजन के लिए बधाई दी। उन्होंने डॉ फरहा और डॉ सूर्यकांत से भारत और अमेरिका के बीच टीबी और सांस रोगों पर अनुसंधान और अनुभव साझा करने का आग्रह किया। कुलपति ने कहा कि इस प्रकार के सहयोग से इन बीमारियों के इलाज में और अधिक प्रभावी परिणाम हासिल किए जा सकते हैं।
अन्य प्रमुख चिकित्सकों और छात्रों की भागीदारी
कार्यक्रम में विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक, जैसे डॉ आर.ए.एस. कुशवाहा, डॉ राजीव गर्ग, डॉ अजय कुमार वर्मा, डॉ आनंद श्रीवास्तव, डॉ ज्योति बाजपेई, और कार्यक्रम समन्वयक डॉ पंखुड़ी और डॉ शिवम श्रीवास्तव ने भाग लिया। इसके अलावा, बड़ी संख्या में जूनियर डॉक्टर और शोध छात्र भी इस आयोजन में उपस्थित रहे।
आयोजन सचिव डॉ अंकित कुमार ने कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।