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कर्नाटक सरकार के मुस्लिम आरक्षण फार्मूले पर भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह का कड़ा प्रहार – डाॅ. सिंह ने कहा- “कांग्रेस की नव-खिलजी नीति भारत की सामाजिक एवं आर्थिक संरचना को दीमक की तरह चट कर जाएगी”, पूरी खबर पढ़ें और डिटेल से जानें डॉ. सिंह ने क्या-क्या कहा

  • कर्नाटक सरकार का फैसला संविधान विरोधी: सरकारी ठेकों में मुस्लिम समुदाय को 4% आरक्षण असंवैधानिक।
  • अनुच्छेद 14 का उल्लंघन: योग्यता और अनुभव की जगह धर्म के आधार पर आरक्षण असमानता को बढ़ावा देगा।
  • ‘जिन्ना मॉडल’ को लागू करने की कोशिश: कांग्रेस पर विभाजनकारी राजनीति करने का आरोप।
  • ‘राजनीतिक इस्लामीकरण’ की ओर बढ़ता कदम: यह नीति देश की सामाजिक और आर्थिक संरचना को कमजोर करने की साजिश है।
  • देशवासियों से अपील: लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए इस तुष्टिकरण नीति का विरोध करें।

लखनऊ: कर्नाटक सरकार द्वारा सरकारी ठेकों में मुस्लिम समुदाय को 4% आरक्षण देने के फैसले पर भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने इस निर्णय को “संविधान विरोधी और तुष्टिकरण की पराकाष्ठा” बताते हुए कहा कि यह भारत के न्यायिक और आर्थिक ढांचे को कमजोर करने वाला कदम है।

डॉ. राजेश्वर सिंह ने जोर देते हुए कहा कि सरकारी ठेकों में आरक्षण की यह नई नीति संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का खुला उल्लंघन है। उन्होंने सवाल उठाया और कहा कि “क्या अब कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में सरकारी ठेके अनुभव और योग्यता के बजाय धर्म के आधार पर दिए जाएंगे?”

उन्होंने कहा कि यह निर्णय न केवल बहुसंख्यक समाज के आर्थिक बहिष्कार का षड्यंत्र है, बल्कि भारत की संवैधानिक संरचना को कमजोर करने की एक साजिश भी है।

कांग्रेस की ‘नव-खिलजी नीति’ भारत की नींव कमजोर कर देगी

भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि पार्टी ने 1947 से कोई सबक नहीं लिया और अब ‘जिन्ना मॉडल’ को फिर से लागू करने पर तुली है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने वोट बैंक की लालसा में तुष्टिकरण की सभी सीमाएं पार कर दी हैं। यह नीति देश की सामाजिक और आर्थिक संरचना को कमजोर करने की दिशा में एक खतरनाक कदम है।

उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने हमेशा तुष्टिकरण की राजनीति को बढ़ावा दिया है, लेकिन अब यह नीतियां लोकतंत्र की आत्मा को आघात पहुंचा रही हैं।”

“सरकारी ठेके योग्यता से नहीं, धर्म से?” – कांग्रेस की नीति पर बड़ा सवाल

डॉ. सिंह ने सवाल उठाया कि क्या अब सरकारी ठेकों का आवंटन योग्यता और अनुभव के बजाय धर्म के आधार पर होगा?

उन्होंने कहा कि “सरकार का यह फैसला संविधान के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है। सरकारी टेंडर एक व्यवसायिक प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं, जहां किसी भी ठेकेदार को उसकी क्षमता, अनुभव और दक्षता के आधार पर कार्य दिया जाता है, न कि उसके धर्म के आधार पर।”

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यह निर्णय “राजनीतिक इस्लामीकरण” की दिशा में बढ़ाया गया एक खतरनाक कदम है।

“देश की एकता और अखंडता को बचाने के लिए इस साजिश का विरोध करें”

डॉ. राजेश्वर सिंह ने देशवासियों से अपील करते हुए कहा कि “समय आ गया है कि लोग इस साजिश को पहचानें और लोकतंत्र की रक्षा के लिए आगे आएं।”

उन्होंने कांग्रेस सरकार की इस नीति का पुरजोर विरोध करने की बात कही और कहा कि देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए ऐसे फैसलों के खिलाफ खड़ा होना जरूरी है।

कर्नाटक सरकार का यह निर्णय न केवल असंवैधानिक है, बल्कि यह योग्यता आधारित प्रणाली को ध्वस्त कर तुष्टिकरण की नीति को बढ़ावा देता है। भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने इस पर कड़ा विरोध जताते हुए देशवासियों से इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की है।

अब देखना यह होगा कि इस मुद्दे पर केंद्र सरकार और न्यायपालिका क्या कदम उठाती है।

📢 आपकी राय क्या है? क्या सरकारी ठेके योग्यता के आधार पर दिए जाने चाहिए या धर्म के आधार पर? अपनी राय नीचे कमेंट करें!

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