
- संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने गोला के कबीरधाम आश्रम में आत्मिक और राष्ट्रहितकारी जीवन जीने का संदेश दिया।
- उन्होंने कहा कि “मैं, मेरा परिवार, समाज और राष्ट्र” – इन चार स्तरों पर जीवन समर्पित करना ही सच्ची सेवा है।
- कबीर की वाणी को सामाजिक चेतना की पुकार बताते हुए युवाओं को सेवा और समरसता के मार्ग पर चलने का आह्वान किया।
- उन्होंने भारतीय संस्कृति, परिवार व्यवस्था और दान भावना को विश्व के लिए आदर्श बताया।
- इस अवसर पर क्षेत्र प्रचारक अनिल जी सहित कई वरिष्ठ संघ पदाधिकारी उपस्थित रहे।

लखीमपुर खीरी (गोला तहसील), 8 अप्रैल 2025 : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने जनपद के गोला तहसील अंतर्गत स्थित कबीरधाम मुस्तफाबाद आश्रम में आयोजित एक विराट सत्संग कार्यक्रम में भाग लेते हुए भारतीय संस्कृति, सामाजिक समरसता और राष्ट्र सेवा के मूल्यों को आत्मसात करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि “मैं, मेरा परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए यदि कुछ कर रहा हूं, तो सब कुछ कर रहा हूं। यही चार कायदे भारतीय जीवन का आधार बनें, तो सबका कल्याण संभव है।”
भारतीय संस्कृति ही जीवन का मूल मंत्र
अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में संघ प्रमुख ने कहा कि भारत की महान परंपराएं आज भी जीवित हैं और यही हमारी शक्ति है। उन्होंने कहा कि भौतिक सुख प्राप्त करने के बावजूद हमने आत्मिक मूल्यों को नहीं छोड़ा। समाज की व्यवस्था आज भी परिवार के आधार पर चल रही है। “भारत में व्यक्ति नहीं, परिवार एक सामाजिक इकाई है। इसीलिए हमें परिवार को ही समाजोपयोगी बनाना होगा और आगे बढ़ाना होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि देश की भलाई के लिए कार्य करना हर नागरिक का दायित्व है।
गौ, नदी और धरती – हमारी माताएं
डॉ. भागवत ने भारतीय संस्कृति में कृतज्ञता के भाव को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि हमारे यहां जो भी हमें कुछ देता है, उसे हम माता का स्थान देते हैं। “इसलिए हम गौमाता, नदीमाता और धरती माता कहते हैं। इसी भावना को हमें भारत माता के प्रति भी रखना चाहिए।” उन्होंने कहा कि यही भाव हमें भारतीय बनाता है और यही अमरत्व की ओर ले जाता है।
‘कबीर की वाणी सामाजिक चेतना का आह्वान’
संघ प्रमुख ने कहा कि विज्ञान के कारण भौतिक विकास हुआ, लेकिन इसके साथ-साथ पर्यावरण का विनाश भी हुआ। भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसने विकास करते हुए कभी कुछ नष्ट नहीं किया। उन्होंने कहा कि संत कबीर की वाणी केवल भक्ति नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना की गूंज है। “कबीर का चिंतन आज के युवाओं को सेवा, समर्पण और राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा देता है।”
‘दान की भावना ही भारतीयता है’
उन्होंने एक संस्मरण सुनाते हुए कहा कि जब एक भारतीय ‘चतुर्वेदी’ जर्मनी गया, तो वहां के लोगों ने सोचा कि वह चारों वेदों का ज्ञाता होगा, लेकिन उसे संस्कृत तक नहीं आती थी। “हमें अपने भीतर भारतीयता का बोध और संस्कृति की समझ पैदा करनी होगी।” उन्होंने कहा कि भारत ने दुनिया को बहुत कुछ सिखाया, लेकिन कभी घमंड या स्वार्थ नहीं किया। यही ‘दान भाव’ भारतीयता की असली पहचान है।
‘भोग नहीं, आत्मकल्याण जीवन का उद्देश्य’
डॉ. भागवत ने कहा कि जब से सृष्टि बनी है, तब से मनुष्य सुख की तलाश में है, लेकिन वास्तविक सुख आत्मा की शांति में है, न कि भोग-विलास में। उन्होंने कहा कि “उपासना ऐसी हो जो सत्य तक पहुंचाए, जीवन ऐसा हो जिसमें स्वार्थ नहीं हो, और सेवा भाव हो।” उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे अपने आस-पास के गरीब बच्चों की शिक्षा और समाज के कल्याण के लिए चिंतित रहें।
संत असंग देव महाराज का सम्मानपूर्ण संदेश
कार्यक्रम के आरंभ में डॉ. मोहन भागवत ने दीप प्रज्वलन कर सत्संग का उद्घाटन किया। इस अवसर पर कबीरधाम के प्रमुख संत पूज्य असंग देव महाराज ने सरसंघचालक के माता-पिता को नमन करते हुए कहा कि “जिन माता-पिता ने ऐसे संस्कारी पुत्र को जन्म दिया, जिन्होंने मातृभूमि, गौमाता, धरती माता और गुरु के प्रति श्रद्धा और सेवा भाव रखा, वे धन्य हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि मोहन भागवत जी के आगमन से यह पावन स्थल और अधिक मनभावन हो गया है।
नवीन आश्रम का भूमि पूजन और शिष्टाचार भेंट
डॉ. भागवत ने कार्यक्रम के दौरान नवीन आश्रम भवन का भूमि पूजन भी किया। इसके उपरांत उन्होंने संत असंग देव महाराज से शिष्टाचार भेंट कर मार्गदर्शन प्राप्त किया। इससे पूर्व वे वाराणसी और मिर्जापुर में भी संतों से भेंट कर चुके हैं।
सत्संग में उमड़ा श्रद्धा और राष्ट्रभाव का सैलाब
इस आयोजन में हजारों श्रद्धालु, संत, ग्रामीण और स्वयंसेवक सम्मिलित हुए। दूरदराज़ से आए भक्तों के लिए विशेष स्क्रीन की व्यवस्था की गई थी, ताकि वे सत्संग का लाभ ले सकें। पूरा आश्रम परिसर भक्ति, राष्ट्रप्रेम और सांस्कृतिक चेतना से ओत-प्रोत नजर आया। यह आयोजन न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का भी प्रतीक बना।
सुरक्षा रही चाक-चौबंद
डॉ. भागवत की उपस्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन, पुलिस बल और खुफिया एजेंसियों द्वारा पूरे आश्रम परिसर में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए थे। कार्यक्रम स्थल और आसपास के क्षेत्रों में पुलिस बल पूर्ण सतर्कता के साथ तैनात रहा।
कार्यक्रम में उपस्थित संघ पदाधिकारी
इस विशेष अवसर पर क्षेत्र प्रचारक अनिल जी, प्रांत प्रचारक कौशल जी, क्षेत्र प्रचार प्रमुख सुभाष जी, क्षेत्र शारीरिक प्रमुख अखिलेश जी, वरिष्ठ प्रचारक ओमपाल जी, प्रांत प्रचार प्रमुख यशोदानन्द जी, क्षेत्र संघचालक कृष्ण मोहन जी, प्रांत संघचालक सरदार स्वर्ण सिंह जी, प्रांत कार्यवाह प्रशांत जी, प्रचारक राजकिशोर जी, प्रचारक अशोक केडिया जी एवं विभाग प्रचारक अभिषेक जी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।