
- नई नीति: यूपी सरकार की खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2023 लागू।
- महिला लाभ: ग्रामीण महिला उद्यमियों को 90% तक सौर ऊर्जा अनुदान।
- अनुदान: 35%-50% तक (₹10 करोड़ तक) वित्तीय सहायता।
- रोजगार: किसानों को लाभ, स्थानीय स्तर पर नौकरियां बढ़ेंगी।
- आवेदन: ‘निवेश मित्र’ पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करें।
लखनऊ, 5 मार्च 2025: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लागू की गई ‘खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2023’ प्रदेश में उद्यमिता को बढ़ावा देने और किसानों की उपज के समुचित उपयोग के लिए एक क्रांतिकारी कदम साबित हो रही है। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि यह नीति देश की सर्वोत्तम नीतियों में से एक है, जिसका उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को मजबूती देना और महिला उद्यमियों, किसानों व स्थानीय श्रमिकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
उन्होंने प्रदेश के उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों (SHG), कृषक उत्पादक संगठनों (FPO) और युवा व्यवसायियों से अपील की है कि वे इस नीति का अधिकतम लाभ उठाएं और अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करें।
महिला सशक्तीकरण और स्वावलंबन में मिलेगा लाभ
श्री मौर्य ने कहा कि यह नीति महिला सशक्तीकरण के लिए भी वरदान साबित होगी। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार ने अलग से प्रोत्साहन योजनाएं लागू की हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में महिला उद्यमियों द्वारा खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना पर 75 केवीए तक की सौर ऊर्जा परियोजनाओं पर 90% तक अनुदान प्रदान किया जाएगा।
- अन्य उद्यमियों के लिए 50% तक अनुदान का प्रावधान किया गया है।
अनुदान और वित्तीय सहायता से उद्यमिता को मिलेगा बढ़ावा
उत्तर प्रदेश सरकार इस योजना के तहत उद्यमियों को आर्थिक सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस नीति में परियोजना लागत का 35% से 50% तक (अधिकतम ₹10 करोड़ तक) का अनुदान प्रदान किया जा रहा है।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन (PM-FME) योजना के तहत परियोजना लागत का 35% (अधिकतम ₹10 लाख तक) अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है।
इस अनुदान से नए उद्यमियों को अपने व्यापार को शुरू करने में मदद मिलेगी और पहले से स्थापित व्यवसायों को अपनी क्षमता बढ़ाने का अवसर मिलेगा।
किसानों और स्थानीय समुदायों को मिलेगा सीधा लाभ
श्री मौर्य ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2023 के प्रभावी क्रियान्वयन से किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिलेगा।
- खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना से किसानों की उपज का अधिकतम उपयोग होगा और उनकी फसलें बर्बाद नहीं होंगी।
- स्थानीय स्तर पर खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।
- इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी और स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
योजना के बेहतर प्रचार-प्रसार पर जोर
उप मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस नीति का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे, इसके लिए व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाए।
- जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों और जागरूक नागरिकों से अपील की गई है कि वे इच्छुक उद्यमियों, किसानों और स्वयं सहायता समूहों को इस योजना का लाभ दिलाने में सहयोग करें।
- सरकार की ओर से निवेश मित्र वेब पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है, जिससे इच्छुक व्यक्ति आसानी से इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
योजना के मुख्य लाभ एक नजर में:
✅ परियोजना लागत का 35%-50% तक अनुदान (अधिकतम ₹10 करोड़ तक)
✅ ग्रामीण महिला उद्यमियों के लिए 75 केवीए तक की सौर ऊर्जा परियोजना पर 90% अनुदान
✅ अन्य उद्यमियों के लिए 50% तक अनुदान
✅ PM-FME योजना के तहत ₹10 लाख तक अनुदान
✅ स्थानीय स्तर पर नए रोजगार सृजन के अवसर
✅ किसानों की उपज का अधिकतम उपयोग और बर्बादी में कमी
✅ प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा और स्थानीय उत्पादों को बड़ा बाजार
कैसे करें आवेदन?
इस योजना का लाभ उठाने के लिए इच्छुक उद्यमी और किसान ‘निवेश मित्र’ वेब पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाया गया है, जिससे सभी पात्र व्यक्तियों को योजना का पूरा लाभ मिल सके।
सरकार की प्रतिबद्धता
उत्तर प्रदेश सरकार इस योजना को सफलतापूर्वक लागू करने और अधिकतम लाभार्थियों तक पहुंचाने के लिए पूरी तरह संकल्पबद्ध है। श्री मौर्य ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2023 किसानों, उद्यमियों और महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
अब समय है आगे बढ़ने का! इच्छुक उद्यमी तुरंत ‘निवेश मित्र’ पोर्टल पर आवेदन करें और अपने सपनों को साकार करें।