
- 06 दिसम्बर 2024 को लखनऊ में एनीमिया रिडक्शन पर राष्ट्रीय गोष्ठी का आयोजन।
- उपमुख्यमंत्री श्री बृजेश पाठक ने एनीमिया से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
- सम्मेलन में 200 से अधिक विशेषज्ञों ने भाग लिया और एनीमिया के उपचार एवं निदान पर चर्चा की।
- केजीएमयू ने मातृ एनीमिया पर की गई प्रगति और उन्नत उपचार विकल्पों को साझा किया।
- डिजिटल उपकरणों और अंतःशिरा फेरिक कार्बोक्सिमाल्टोज जैसे उन्नत उपचार विधियों के प्रभावी उपयोग पर चर्चा की गई।

लखनऊ, 06 दिसम्बर 2024: लखनऊ के प्रतिष्ठित कलार्क अवध होटल में किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू), लखनऊ के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग, सोसाइटीज ऑफ इंडिया और फेडरेशन ऑफ ऑब्स्ट्रेटिक और गायनेकोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में एनीमिया रिडक्शन जैसे अति महत्वपूर्ण विषय पर एक राष्ट्रीय गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा करने वाले एनीमिया के निदान और उपचार पर चर्चा करना था। देशभर के 200 से अधिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस गोष्ठी में भाग लिया और अपने अनुभवों को साझा किया, जिससे इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्यवाहियां सुनिश्चित की जा सकें।

इस कार्यक्रम का उद्घाटन उत्तर प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री श्री बृजेश पाठक ने दीप प्रज्वलित कर किया। उनके साथ मंच पर केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद, क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अविनाश अग्रवाल, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटेजीज के वाइस प्रेजिडेंट डॉ. जयदीप टेंक, प्रेजिडेंट ऑफोक्सी डॉ. शुरूचि शुकला और केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शुरूचि शुकला भी मौजूद थीं। इस आयोजन ने एनीमिया से निपटने के लिए नए दृष्टिकोण और उपायों पर विचार करने के लिए एक मंच प्रदान किया।
उत्तर प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता और एनीमिया पर उनकी दृष्टि
अपने उद्घाटन भाषण में उपमुख्यमंत्री श्री बृजेश पाठक ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार पहले से ही एनीमिया के निदान और उपचार के लिए बड़े पैमाने पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि एनीमिया एक गंभीर समस्या है, विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं में, जो मातृ और शिशु स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करती है। इसके अलावा, एनीमिया का आर्थिक और सामाजिक असर राज्य की विकास दर को प्रभावित करता है। श्री बृजेश पाठक ने कहा, ‘‘एनीमिया एक ऐसी बीमारी है जिसका दूरगामी सामाजिक-आर्थिक प्रभाव है, और माताओं और बच्चों में इसके प्रसार को कम करना हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।’’
उन्होंने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए कई पहल की हैं, और इस दिशा में किए गए कार्यों से आशाजनक परिणाम मिल रहे हैं। इस संदर्भ में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किए गए परिवर्तनकारी उपायों का उदाहरण दिया, जैसे कि कोविड-19 से निपटने के दौरान किए गए प्रयास और जल जीवन मिशन के तहत स्वच्छ पेयजल तक पहुंच सुनिश्चित करना। श्री पाठक ने स्वास्थ्य क्षेत्र में और अधिक सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया और सम्मेलन में मौजूद सभी विशेषज्ञों से एनीमिया की समस्या के समाधान के लिए साझा विचारों की उम्मीद जताई।
उत्तर प्रदेश में एनीमिया का प्रसार और प्रगति
इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य एनीमिया के निदान, उपचार और निवारण के लिए प्रभावी उपायों पर चर्चा करना था। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में मातृ एनीमिया के प्रसार में 2016 में 51 प्रतिशत से घटकर 2021 में 45.9 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह आंकड़ा राज्य में स्वास्थ्य सुधार के प्रयासों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। केजीएमयू ने इस मुद्दे से निपटने के लिए अनुसंधान, प्रशिक्षण और उन्नत स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से सबसे आगे कदम बढ़ाया है।
केजीएमयू की कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने संस्थान की प्रतिबद्धता को व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, सामुदायिक कार्यकर्ताओं और सरकार के बीच सहयोग एनीमिया की समस्या को हल करने के लिए जरूरी है। इसके अलावा, अभिनव नैदानिक समाधान और डिजिटल तकनीकें एनीमिया के इलाज और प्रबंधन के तरीके को बदलने में सहायक होंगी।’’ प्रो. सोनिया ने यह भी कहा कि इस तरह के सम्मेलनों के माध्यम से प्राप्त सुझाव और जानकारी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है और इसे धरातल पर लागू करने से राज्य में एनीमिया के प्रसार को और अधिक नियंत्रित किया जा सकता है।
उन्नत उपचार और डिजिटल तकनीकों का महत्व
सम्मेलन के दौरान, विशेषज्ञों ने एनीमिया के निदान और उपचार में नवीनतम उन्नत तकनीकों का उपयोग करने पर चर्चा की। FOGSI के अध्यक्ष डॉ. जयदीप टेंक ने निजी और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों में अंतःशिरा (Intravenous-IV) फेरिक कार्बोक्सिमाल्टोज (FCM) जैसे उन्नत उपचार विधियों को शामिल करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि यह उपचार विधि प्रभावी परिणाम देती है और इसे स्वास्थ्य प्रणालियों में एकीकृत करने से एनीमिया के इलाज में मदद मिल सकती है। साथ ही, डिजिटल हीमोग्लोबिनोमीटर जैसे उपकरणों की क्षमता पर भी चर्चा की गई, जो एनीमिया की त्वरित और सटीक जांच करते हैं। इन उपकरणों का उपयोग स्वास्थ्य कर्मियों को तत्काल निदान करने में मदद करेगा और उपचार की प्रक्रिया को तेज करेगा। इसके अलावा, सम्मेलन में इस बात पर भी जोर दिया गया कि सामुदायिक जुड़ाव और स्वास्थ्य कर्मियों की क्षमता निर्माण एनीमिया से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
विशेषज्ञों के विचार और समाधान
सम्मेलन में विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि एनीमिया गर्भवती महिलाओं और कमजोर आबादी में गहन देखभाल इकाइयों (ICU) में खराब परिणामों का एक प्रमुख कारण है। विशेषज्ञों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों और पर्यावरण सुरक्षा उपायों को मजबूत करने के साथ-साथ एनीमिया के लिए लक्षित नीति सुधारों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि एनीमिया के दूरगामी प्रभावों से निपटने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इस दौरान, स्वास्थ्य सुधारों को लागू करने के लिए प्रमुख कदमों और समाधानों पर चर्चा की गई, जो विभिन्न आयु समूहों और जनसांख्यिकी में एनीमिया के प्रसार को कम कर सकें। इस आयोजन से प्राप्त अनुशंसाओं और विचारों से उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में एनीमिया के प्रसार को कम करने के लिए नई नीतियों और कार्यक्रमों का मार्गदर्शन किया जाएगा। इस सम्मेलन ने एनीमिया के खिलाफ जंग में महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर किया और यह सुनिश्चित किया कि सभी हितधारक एकजुट होकर इस समस्या का समाधान खोजें।