
- यूपी के 1989 बैच के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आशीष गुप्ता ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) के लिए आवेदन दिया।
- वर्तमान में डीजी रूल्स एंड मैनुअल्स के पद पर तैनात, दिसंबर 2026 में होना था रिटायरमेंट।
- नेटग्रिड के पूर्व सीईओ और बीएसएफ में एडीजी रह चुके हैं, खुफिया और तकनीकी मामलों के विशेषज्ञ माने जाते हैं।
- आईआईटी कानपुर से कंप्यूटर साइंस में डिग्री प्राप्त, प्रशासनिक दक्षता के लिए जाने जाते हैं।
- यूपी में बढ़ते वीआरएस ट्रेंड पर उठ रहे सवाल, वरिष्ठ अधिकारियों के इस्तीफों को लेकर अटकलें तेज।
लखनऊ, 28 फरवरी 2025: उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में एक बार फिर बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। यूपी कैडर के 1989 बैच के वरिष्ठतम आईपीएस अधिकारी आशीष गुप्ता ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) के लिए आवेदन किया है। वह वर्तमान में डीजी रूल्स एंड मैनुअल्स के पद पर कार्यरत हैं और दिसंबर 2026 में सेवानिवृत्त होने वाले थे। हालांकि, उन्होंने तीन महीने का नोटिस देकर अपनी सेवा से स्वैच्छिक रूप से हटने की इच्छा जताई है।
आशीष गुप्ता की इस घोषणा के बाद पुलिस महकमे में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। पुलिस विभाग में उन्हें एक तकनीकी मामलों और खुफिया तंत्र के विशेषज्ञ के रूप में जाना जाता है। आईआईटी कानपुर से कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएट गुप्ता की पहचान एक कुशल प्रशासक के रूप में भी रही है।
नेटग्रिड के सीईओ और बीएसएफ में एडीजी का महत्वपूर्ण कार्यकाल
अपने कार्यकाल में आशीष गुप्ता ने कई अहम पदों पर अपनी सेवाएँ दी हैं। उन्होंने केंद्र सरकार के खुफिया तंत्र को मजबूत करने वाले नेटग्रिड (NATGRID) के सीईओ के रूप में भी कार्य किया है। इसके अलावा, वे सीमा सुरक्षा बल (BSF) में अतिरिक्त महानिदेशक (ADG) के रूप में भी कार्यरत रह चुके हैं।
उनकी तकनीकी विशेषज्ञता और प्रशासनिक कौशल को देखते हुए उन्हें यूपी पुलिस और केंद्र सरकार के कई महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी दी गई थी। यही वजह है कि उनके अचानक वीआरएस लेने के फैसले को लेकर अटकलों का दौर तेज हो गया है।
वरिष्ठ अधिकारियों के वीआरएस पर उठ रहे सवाल
आशीष गुप्ता यूपी के दूसरे सबसे वरिष्ठ अधिकारी बन गए हैं, जिन्होंने हाल ही में वीआरएस के लिए आवेदन किया है। पिछले कुछ महीनों में यूपी पुलिस महकमे में कई वरिष्ठ अधिकारियों ने समय से पहले सेवा से मुक्त होने का फैसला लिया है।
इससे पहले भी कई बड़े अधिकारियों ने वीआरएस लिया था, जिससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या यूपी पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच कोई असंतोष की भावना है या फिर यह किसी बड़े प्रशासनिक बदलाव का संकेत है?
पत्नी भी वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी, 2025 में रिटायरमेंट
गौरतलब है कि आशीष गुप्ता की पत्नी तिलोत्तमा वर्मा भी 1990 बैच की वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में डीजी ट्रेनिंग के पद पर तैनात हैं। उनका सेवानिवृत्त होने का निर्धारित समय नवंबर 2025 है।
आशीष गुप्ता के वीआरएस के फैसले के बाद यह चर्चा भी तेज हो गई है कि क्या वे किसी नई जिम्मेदारी की ओर बढ़ रहे हैं, या फिर प्रशासनिक सेवा से पूरी तरह अलग होने का मन बना चुके हैं?
क्या हो सकते हैं संभावित कारण?
हालांकि, आशीष गुप्ता की ओर से अभी तक वीआरएस लेने के पीछे की कोई स्पष्ट वजह नहीं बताई गई है, लेकिन कुछ संभावित कारणों को लेकर चर्चाएं हो रही हैं –
- कोई नई जिम्मेदारी: कई बार वरिष्ठ अधिकारी किसी अन्य क्षेत्र में योगदान देने के लिए वीआरएस लेते हैं।
- व्यक्तिगत कारण: निजी या पारिवारिक कारण भी अधिकारियों के समय से पहले सेवा छोड़ने के निर्णय में भूमिका निभा सकते हैं।
- सिस्टम से असंतोष: हाल के वर्षों में पुलिस महकमे में बढ़ते राजनीतिक और प्रशासनिक दबाव को लेकर भी चर्चाएं होती रही हैं।
- निजी क्षेत्र में संभावनाएँ: टेक्नोलॉजी और साइबर सिक्योरिटी में उनकी विशेषज्ञता को देखते हुए, वे किसी निजी संस्थान या सरकार की किसी अन्य परियोजना से जुड़ सकते हैं।
आशीष गुप्ता जैसे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी का वीआरएस लेना निश्चित रूप से यूपी पुलिस और प्रशासनिक व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जा रहा है। उनके इस निर्णय से वरिष्ठ अधिकारियों के बीच स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की बढ़ती प्रवृत्ति पर भी सवाल उठने लगे हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार उनकी वीआरएस अर्जी को मंजूरी देती है या उन्हें किसी अन्य बड़ी जिम्मेदारी के लिए रोका जाता है। वहीं, यह भी संभव है कि वे किसी अन्य प्रशासनिक या निजी भूमिका में सक्रिय रूप से काम करना शुरू कर दें।
पुलिस महकमे और राजनीतिक गलियारों में इस फैसले को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है, और आने वाले दिनों में इससे जुड़े और भी नए खुलासे हो सकते हैं।