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अनुरागिनी संस्था व बिसलेरी की ‘बॉटल्स फॉर चेंज’ पहल के तहत लखनऊ में प्लॉगिंग अभियान संपन्न: स्वर्ण जयंती उद्यान में जुटे सैकड़ों युवा, लिया प्लास्टिक मुक्त लखनऊ का संकल्प

अनुरागिनी संस्था व बिसलेरी की ‘बॉटल्स फॉर चेंज’ पहल के तहत लखनऊ में प्लॉगिंग अभियान संपन्न: स्वर्ण जयंती उद्यान में जुटे सैकड़ों युवा, लिया प्लास्टिक मुक्त लखनऊ का संकल्प
  • लखनऊ के स्वर्ण जयंती उद्यान में युवाओं ने दौड़ते हुए प्लास्टिक कचरा एकत्र किया, जिससे स्वच्छता व पर्यावरण सुरक्षा का संदेश दिया गया।
  • बिसलेरी के शुभम मिश्रा ने बताया कि साफ व सूखा प्लास्टिक पुनर्चक्रण के योग्य होता है और जागरूकता ही इसका स्थायी समाधान है।
  • ICCMRT लखनऊ के छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और प्लास्टिक मुक्त शहर का संकल्प लिया।
  • कार्यक्रम में कई शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता एवं संस्था पदाधिकारी उपस्थित रहे, जिन्होंने पहल की सराहना की।
  • संस्था के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण सिंह जादौन ने कहा कि सही प्रबंधन ही प्लास्टिक संकट से मुक्ति दिला सकता है, और यह अभियान उसी दिशा में एक कदम है।

लखनऊ: पर्यावरण संरक्षण और प्लास्टिक प्रदूषण के विरुद्ध जन-जागरूकता फैलाने की दिशा में अनुरागिनी संस्था और बिसलेरी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप से ‘बॉटल्स फॉर चेंज’ अभियान के अंतर्गत एक प्रभावशाली प्लॉगिंग अभियान और जन-जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम लखनऊ स्थित सहकारी और कॉर्पोरेट प्रबंधन, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (ICCMRT) तथा स्वर्ण जयंती उद्यान, इंदिरा नगर में संपन्न हुआ।

इस आयोजन का उद्देश्य प्लास्टिक प्रदूषण के प्रति युवाओं को न केवल सजग बनाना, बल्कि उन्हें इस समस्या के व्यावहारिक समाधान का भागीदार बनाना भी था। कार्यक्रम में ICCMRT के छात्र-छात्राओं, बिसलेरी के प्रतिनिधियों, तथा अनुरागिनी संस्था की टीम ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

कार्यक्रम की शुरुआत एक ऊर्जावान प्लॉगिंग गतिविधि से हुई, जिसमें प्रतिभागियों ने दौड़ते हुए उद्यान व आसपास के क्षेत्र से प्लास्टिक की बोतलें, पॉलिथीन, चिप्स के रैपर और अन्य अपघटनीय कचरे को इकट्ठा किया। इस गतिविधि का उद्देश्य केवल क्षेत्र को साफ करना नहीं था, बल्कि समाज को यह संदेश देना था कि हर नागरिक की भागीदारी से ही पर्यावरण की रक्षा संभव है।

‘बॉटल्स फॉर चेंज’: प्लास्टिक पुनर्चक्रण की दिशा में बड़ा कदम

बिसलेरी इंटरनेशनल के उत्तर प्रदेश CSR कार्यपालक अधिकारी शुभम मिश्रा ने कार्यक्रम के दौरान ‘बॉटल्स फॉर चेंज’ अभियान की रूपरेखा और उद्देश्यों को विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि सूखा, साफ और पृथक किया गया प्लास्टिक कचरा पुनः उपयोग हेतु भेजा जा सकता है, जिससे पर्यावरणीय बोझ को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

शुभम मिश्रा ने यह भी कहा, “हमारी छोटी-छोटी आदतें जैसे प्लास्टिक को अलग करना, उसे दोबारा उपयोग में लाना और जागरूकता फैलाना ही इस संकट से लड़ने के बड़े उपाय हैं।”

शिक्षण संस्थानों की भागीदारी: बदलाव की राह पर युवा

ICCMRT के प्राचार्य डॉ. राम कोमल प्रजापति ने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में कहा, “युवाओं को केवल जागरूक होना पर्याप्त नहीं, उन्हें समाधान का भी सक्रिय हिस्सा बनना चाहिए। आज जिस तरह से छात्रों ने सहभागिता की है, वह दर्शाता है कि हमारी नई पीढ़ी पर्यावरण के प्रति संवेदनशील और उत्तरदायी है।”

अनुरागिनी संस्था की भूमिका: सामाजिक बदलाव की अग्रदूत

संस्था के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण सिंह जादौन ने कहा, “प्लास्टिक अब जीवनशैली का हिस्सा बन चुका है, लेकिन उसका जिम्मेदार प्रबंधन ही हमें इस पर्यावरणीय संकट से बाहर निकाल सकता है। इस प्रकार की पहलें समाज में स्थायी और सकारात्मक बदलाव ला रही हैं।”

युवाओं का उत्साह और संकल्प

कार्यक्रम में सम्मिलित छात्रों ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक के प्रति लापरवाही अब नहीं चलेगी। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने ‘प्लास्टिक मुक्त लखनऊ’ का संकल्प लिया और मानव शृंखला बनाकर पर्यावरणीय चेतना का सशक्त संदेश दिया।

विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति ने बढ़ाया उत्साह

इस अवसर पर आई.सी.सी.एम.आर.टी. के प्रोफेसर वीलू भार्गव, पर्यावरणविद् नीरज श्रीवास्तव, UPCLDF के निदेशक हिरेंद्र कुमार मिश्र, अवध विकास परिषद् के अध्यक्ष अरविंद मिश्र, परिवहन सहकारी समिति के निदेशक संजय चौहान, तथा अनुरागिनी संस्था के उत्कर्ष सिंह, प्रिंस यादव, ऋषि नामदेव, अभिरूप सिंह और राहुल यादव प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

जनसहभागिता से ही बनेगा स्वच्छ, हरित लखनऊ

‘बॉटल्स फॉर चेंज’ के माध्यम से अनुरागिनी संस्था और बिसलेरी ने यह दिखाया कि जब सामाजिक संगठन, शैक्षणिक संस्थान और कॉर्पोरेट क्षेत्र मिलकर काम करते हैं, तब सामाजिक बदलाव केवल सपना नहीं, सच्चाई बन सकता है। यह कार्यक्रम एक प्रेरक उदाहरण बन गया है कि पर्यावरण संरक्षण कोई एक दिन की क्रिया नहीं, बल्कि सतत प्रयास है।

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